Navami Havan Mantra: नवरात्रि हवन मंत्र और संपूर्ण विधि यहां देखें

Navami Havan Mantra (नवरात्रि में हवन कैसे करें): वैसे तो नवरात्रि में किसी भी दिन हवन पूजन किया जा सकता है। लेकिन अगर इसके खास दिन की बात करें तो वो नवमी का दिन माना जाता है। यहां हम आपको बताएंगे नवरात्रि में हवन पूजन करने की सरल विधि क्या है।

Navratri Havan Vidhi 2025

Navratri Havan Vidhi 2025 In Hindi

Navami Havan Mantra (नवरात्रि में हवन कैसे करें): पुराणों के अनुसार किसी भी पूजा का अगर पूर्ण फल प्राप्त करना हो तो उसका हवन जरूर करना चाहिए। हवन सनातनी परंपरा में शुद्धिकरण का एक कर्मकांड है। ऐसा माना जाता है कि हवन करने से आसपास की सभी नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती है। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी दोनों ही तिथियों पर हवन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यहां हम आपको हवन करने की बेहद सरल विधि बताएंगे जिससे आप अपने आप से ही घर में हवन कर सकेंगे।

Kanya Pujan Vidhi

नवरात्रि हवन की सामग्री (Navratri Hawan Samagri)

हवन के लिए आम की लकड़ी, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, बेल, नीम, पलाश का पौधा, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, अश्वगंधा की जड़, तमाल यानी कपूर, लौंग, चावल, ब्राम्ही, मुलैठी की जड़, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, बहेड़ा का फल और हर्रे तथा घी, शकर जौ, लोभान, इलायची, तिल, गुगल और अन्य वनस्पतियों का बूरा। हवन के लिए गाय के गोबर से बनी छोटी-छोटी कटोरियां या उपलों को घी में डुबोकर डाला जाता है।

Navratri Havan Pujan Muhurat 2025

नवरात्रि हवन मंत्र (Navratri Hawan Mantra In Hindi)

आचमन- सबसे पहले तो निम्न मंत्र पढ़ते हुए तीन बार आचमन करें |

ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम: |

हाथ धोएं- फिर यह मंत्र बोलते हुए हाथ धो लें

ॐ हृषीकेशाय नम: |

तिलक- इस मंत्र को बोलते हुए सभी लोग तिलक करें |

ॐ चंदनस्य महत्पुण्यं पवित्रं पापनानम |

आपदां हरते नित्यं लक्ष्मी: तिष्ठति सर्वदा ||

रक्षासूत्र (मौली)- फिर हाथ में मौली बांध लें |

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: |

तेन त्वां प्रतिबंध्नामि रक्षे मा चल मा चल ||

दीप पूजन- इसके बाद नीचे दिए गए मंत्र को बोलते हुए दीपक जला लें |

दीपो ज्योति: परं ब्रम्ह दीपो ज्योति: जनार्दन: |

दीपो हरतु में पापं दीपज्योति: नमोऽस्तु ते ||

गुरुस्मरण- फिर हाथ जोडकर गुरुदेव का ध्यान करें |

गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु:.... सद्गुरुं तं नमामि ||

ध्यान- इसके बाद गणेशजी व मां सरस्वतीजी का स्मरण करें-

वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ |

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||

कलश पूजन- फिर हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर कलश में ‘ॐ’ वं वरुणाय नम:’ कहते हुए वरुण देवता का और निम्न श्लोक पढ़ते हुए तीर्थों का आवाहन करेंगे –

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति |

नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन सन्निधिं कुरु ||

इसके बाद अक्षत–पुष्प कलश के सामने चढ़ा दें। इसके बाद कलश को तिलक करें और साथ मं पुष्प, बिल्वपत्र व दूर्वा चढायें। फिर धुप व दीप दिखायें और प्रसाद चढायें |

संकल्प- हाथ में जल, अक्षत व पुष्प लेकर संकल्प करें।

हाथ में लिए जल को देखते हुये ऐसी भावना करें कि जैसे जल व्यापक हैं, ऐसे ही हमारा संकल्प भी व्यापक हो। संकल्प करने के पहले, मध्य में और अंत में भगवान विष्णु को समर्पित करने की भावना करते हुये तीन बार भगवान के ‘विष्णु’ नाम का उच्चारण करें। ‘ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (यहां अपने नगर-गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2082……. ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे चैत्र मासे शुक्ल पक्षे अष्टमी या नवमी जिस दिन हवन करें तिथौ गुरु/शुक्र वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री ……….. (जिस देवी की पूजा कर रहे हैं उनका नाम लें)पूजनं च अहं करिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन निर्विघ्नतापूर्वक कार्य सिद्धयर्थं यथामिलितोपचारे गणपति पूजनं करिष्ये।

संकल्प करने के बाद अग्नि स्थापना करें- इसके लिए हवन कुंड में आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद इन मंत्रों से हवन शुरू करें। एक व्यक्ति घी से आहुति डाले तोअन्य हवन सामग्री का प्रयोग करें।

-ॐ आग्नेय नम: स्वाहा (ॐ अग्निदेव ताम्योनम: स्वाहा), ॐ गणेशाय नम: स्वाहा, ॐ गौरियाय नम: स्वाहा, ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा, ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा, ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा, ॐ हनुमते नम: स्वाहा, ॐ भैरवाय नम: स्वाहा, ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा, ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा, ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा, ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा, ॐ शिवाय नम: स्वाहा, ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुति स्वाहा, ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: क्षादी: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: स्वाहा, ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा, ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा, ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।

-इसके बाद नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्ये' की कम से कम 1 माला से हवन करनी चाहिए।

सप्तशती के पंचम अध्याय का भी दुर्गा हवन में प्रचलन है आप इससे भी अष्टमी या नवमी पर हवन कर सकते है।

-इस तरह हवन करने के बाद पूर्ण आहूति के लिये नारियल में छेद कर उसमें घी भरकर, लाल तूल लपेटकर, धागा बांधकर, पान, सुपारी, लौंग, जायफल, बताशा, अन्य प्रसाद रखकर पूर्ण आहुति देते हुए ये मंत्र बोलें- 'ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।'

-पूर्ण आहुति के बाद कुछ दक्षिणा माता के पास रख दें, फिर परिवार सहित माता रानी की आरती करें और माता से अपने द्वारा हुए अपराधों की क्षमा-याचना करें।

क्षमा प्रार्थना : पूजन, जप, हवन आदि में हुई गलतियों के लिए हाथ जोड़कर सभी लोग इस मंत्र के साथ क्षमा प्रार्थना करें |

ॐ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम |

पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ||

ॐ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर |

यत्पूजितं माया देवं परिपूर्ण तदस्तु में ||

क्षमा प्रार्थना के बाद करें विसर्जन- अपने हाथ में थोड़े-से अक्षत लेकर उसे देव स्थापन और हवन कुंड में निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए चढायें –

ॐ गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर |

यत्र ब्रम्हादयो देवा: तत्र गच्छ हुताशन ||

-इसके बाद अपने ऊपर से किसी से 1 रुपया उतरवाकर किसी अन्य को दें दें। इस सरल विधि से आप खुद ही हवन पूजन कर सकते हैं।

(नोट- नवरात्रि हवन के बारे में जानकारी astroabhay.websites से ली गई है)

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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