Mauni Amavasya Katha: मौनी अमावस्या कब है? जानिए इसका महत्व और व्रत कथा
Mauni Amavasya 2024 Date And Time: पौराणिक कथा के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर भगवान शिव और श्री हरि विष्णु की पूजा करने से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है। जानिए मौनी अमावस्या की व्रत कथा।
Mauni Amavasya Vrat Katha In Hindi
Mauni Amavasya 2024 Date And Time (मौनी अमावस्या कब है): माघ महीने की अमावस्या को ही मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस तिथि पर दान-पुण्य के कार्य करने और पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। ये अमावस्या तपस्या और आध्यात्मिक कार्यों के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। इस दिन मौन व्रत रखने के कारण ही इसे मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस अमावस्या पर ही मनु ऋषि का जन्म हुआ था। यहां जानें इस साल मौनी अमावस्या कब है और क्या है इसकी पौराणिक कथा।
Mauni Amavasya 2024 Date And Time (मौनी अमावस्या तिथि व मुहूर्त)
मौनी अमावस्या- 9 फरवरी 2024, शुक्रवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 09 फरवरी 2024 को 08:02 AM बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - 10 फरवरी 2024 को 04:28 AM बजे
Mauni Amavasya Vrat Katha In Hindi (मौनी अमावस्या व्रत कथा)
एक समय की बात है एक कांचीपुरी नाम के नगर में एक ब्राह्मण का परिवार रहता था। ब्राह्मण की पत्नी, एक पुत्री और इसके अलावा ब्राह्मण के सात बेटे भी थे। ब्राह्मण ने अपने सभी पुत्रों का विवाह बड़ी धूमधाम से किया और फिर अपनी पुत्री गुणवती के लिए वर तलाशने लगा। उसने अपने बड़े बेटे को योग्य वर खोजने के लिए नगर से बाहर भेजा।
इस बीच उसने अपनी पुत्री गुणवती की कुंडली एक ज्योतिष को दिखाई। कुंडली देख ज्योतिष बोला, कि आपकी बेटी विवाह के उपरान्त सप्तपति होते ही विधवा हो जाएगी। यह सुनकर ब्राह्मण दुखी हो गया और ज्योतिष से इस दोष का निवारण बताने के लिए कहा। तब ज्योतिष ने कहा कि अगर सिंहलद्वीप में रहने वाली सोमा नाम की धोबिन शादी के समय अपना पुण्य आपकी पुत्री को दान कर दे और वर-वधु को अशीर्वाद दें तो आपकी पुत्री आजीवन सुहागन रहेगी। यह सुनते ही ब्राह्मण ने अपने सबसे छोटे बेटे के साथ अपनी पुत्री को सोमा धोबीन के घर भेज दिया।
उन्होंने सोमा धोबिन को पूरी बात बताई। सोमा धोबीन उनके साथ उनके घर जाने के लिए तैयार हो गई। इधर ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने शादी की तैयारियां करके रखी थी और पुत्री के आते ही ब्राह्मण ने गुणवती का विवाह कराया। परंतु सप्तपति होते ही ब्राह्मण की पुत्री गुणवति विधवा हो गई, तब सोमा धोबिन ने अपने सभी पुण्य का फल दान कर गुणवती के पति को पुनः जीवित कर दिया, और वर-वधु को आशीर्वाद देकर अपने घर के लिए वापस लौट गई।
जब सोमा धोबिन अपने घर पहुंची तो उसने देखा कि उसके पति, पुत्र और दामाद तीनों की मृत्यु हो गई है। जिसके बाद धोबिन नदी किनारे एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा करने लगी और पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा की। सोमा धोबिन की भक्ति से भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर सोमा धोबिन को पुण्य दिया। जिससे उसके पति, पुत्र और दामाद फिर से जीवित हो गए। कहते हैं तभी से ऐसी मान्यता है कि यदि माघ अमावस्या के दिन मौन रहकर भगवान शिव और विष्णु की पूजा करते हैं तो मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है।
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