धनतेरस पर कुबेर देवता, माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा कैसे होती है, यहां जानिए स्टेप बाय स्टेप पूरी विधि
Dhanteras Ki Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Puja Samagri, Aarti, Mantra, Dhanteras Laxmi Pujan Vidhi At Home Live Update: धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। कहते हैं इस दिन आयुर्वेद के देव धन्वंतरि जी समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की विशेष परंपरा होती है।
धनतेरस पर कुबेर देवता, माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा कैसे होती है, यहां जानिए स्टेप बाय स्टेप पूरी विधि
धनतेरस का त्योहार धन और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। तभी तो इस दिन आर्थिक रूप से संपन्न होने के लिए लोग माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं। इसके अलावा इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। कहते हैं धनतेरस की शाम में घर के मुख्य द्वार के पास यम दीपम जलाने से घर के सदस्यों पर अकाल मृत्यु का खतरा नहीं रहता। चलिए आपको बताते हैं धनतेरस की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा के बारे में विस्तार से यहां।
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धनतेरस पूजा मुहूर्त 2024 (Dhanteras 2024 Puja Muhurat)
धनतेरस का त्योहार इस साल 29 अक्टूबर 2024, मंगलवार को मनाया जा रहा है। धनतेरस पूजा का प्रदोष काल मुहूर्त शाम 05:38 से रात 08:13 बजे तक रहेगा। वहीं वृषभ काल मुहूर्त शाम 06:31 से रात 08:27 बजे तक रहेगा।
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धनतेरस पूजा सामग्री (Dhanteras Puja Samagri List)
भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की तस्वीर, गंगा जल, 13 दिए, दिए में जलाने के लिए एक पैकेट रूई, पूजा के लिए एक थाली, लकड़ी की चौकी, चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीले रंग के कपड़े, पानी से भरा कलश, घी, माचिस, शक्कर या गुढ़, मौलवी, हल्दी, अक्षत, कपूर, धूप, अगरबत्ती।
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धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi In Hindi)
- धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इस दिन माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि देव की पूजा की जाती है।
- पूजा शुरू करने से पहले मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं। साथ ही घर में लक्ष्मी जी के पैरों के निशान बनाएं।
- इसके बाद माता लक्ष्मी, देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि की षोडोपचार विधि से पूजा करें।
- भगवान को कुमकुम लगाएं और माला पहनाएं साथ ही अक्षत चढ़ाएं।
- इसके बाद भोग अर्पित करें। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि को कृष्ण तुलसी, गाय का दूध और उससे बना मक्खन जरूर चढ़ाना चाहिए।
- धनतेपस पर पीतल की कोई न कोई वस्तु खरीदकर भगवान धन्वंतरि को जरूर चढ़ाएं। साथ ही धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें।
- अंत में माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि जी की आरती करें और पूजा के बाद सभी में प्रसाद बांट दें।
- शाम के समय आटे से चौमुखा दीपक बनाएं और उसमें सरसों या तिल का तेल डालकर इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा में रख दें।
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धनतेरस के दिन यम-दीपदान की पूजन विधि (Yama Deepam Pujan Vidhi In Hindi)
यमदीपदान प्रदोष काल में करना चाहिए।
इसके लिए आपको आटे का एक बड़ा सा दीपक लेना है। इसके बाद स्वच्छ रुई लेकर दो लंबी बत्तियां बना लें। ये बत्तियां इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुंह दिखाई दें।
फिर दीपक में तिल का तेल भरें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें।
प्रदोष काल में दीपक का रोली, अक्षत और पुष्प से पूजन करें। इसके बाद दीपक को घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी -सी खील और गेहूं से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दक्षिण दिशा की तरफ रख दें।
इसके बाद ‘ॐ यमदेवाय नमः ’ कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें ।
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धनतेरस के दिन क्या खरीदें और क्या न खरीदें (Dhanteras Ke Din Kya Kharide Aur Kya Na Kharide)
- इस दिन चांदी और पीतल के बर्तन जरूर खरीदने चाहिये।
- माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिये यंत्र, कौड़ियां और धनिया खरीदें।
- इस दिन कांच का सामान खरीदने से बचना चाहिये।
- इस दिन काले रंग की चीजों को भी नहीं खरीदना चाहिए।
धनतेरस पूजा विधि मंत्र
धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी के 'ॐ नमो भगवते धन्वंतरये। अमृत कलश हस्ताय। सर्व रोग निवारिणे। ॐ शान्ति:।' और कुबेर देव के 'ॐ ह्रीं कुबेराय नमः' मंत्र का जाप करें। इससे घर में पसरी बीमारी दूर होगी। अगर घर में लंबे समय से बीमार हैं तो धनतेरस के दिन इन मंत्रों का जाप करने से बीमारी नष्ट होगी और आरोग्य कावरदान मिलेगा। साथ ही, धन लाभ के योग भी बनेंगे।धनतेरस पूजा विधि मंत्र
ॐ धन्वंतराये नमः-ॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृत कलश हस्ताय सर्व आमय
विनाशनाय त्रिलोक नाथाय श्री महाविष्णुवे नम:||
-ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।”
-ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
धनतेरस की पूजा का समय
धनतेरस के दिन पूजन के लिए प्रदोष काल संध्याकाल 05 बजकर 38 मिनट से लेकर 08 बजकर 13 मिनट तक है। वहीं, वृषभ काल शाम 06 बजकर 31 मिनट से लेकर संध्याकाल 08 बजकर 13 मिनट तक है। इस समय भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा करें। इस समय में पूजा करने से धन में अपार वृद्धि होगी।धनतेरस पूजा सामग्री
कलावा, रोली और अक्षत: भगवान धनवंतरी को वस्त्र के तौर पर कलावा पहनाते हैं और रोली एवं अक्षत चढ़ाते हैं। ऐसे में इन तीनों चीजों को भी लाएं।कौड़ी: धनतेरस के दिन 5 कौड़ी पूजा में रखने के बाद उन्हें घर के 5 स्थानों पर रखा जाता है। ...
मिठाई: भगवान धनवंतरी और कुबेर देव के भोग के लिए मिठाइयां भी घर लेकर आएं।
धनतेरस क्यों मनाया जाता है
इस शुभ अवसर पर भगवान धन्वन्तरि के संग धन की देवी मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही शुभ चीजों को घर लाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि उपासना करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है।dhanteras ke puja kaise karen: धनतेरस की पूजा कैसे करें
धनतेरस के दिन साफ- सुथरे कपड़े पहल लें और शाम को भगवान धन्वंतरि, कुबेर जी और माता लक्ष्मी का चित्र या प्रतिमा को पूजा की चौकी पर स्थापित करें। फिर दीपक और धूप जलाएं। इसके बाद भगवान सभी भगवान को रोली से तिलक करें। साथ ही उनको फल और पुष्प चढाएं।धनतेरस पर दिया जलाने की विधि
यम दीपक जलाने के मिट्टी के दीए का प्रयोग करना चाहिए और इसे चौमुखी रूप में जलाना चाहिए। यानी के रूई की दो बातियां इसमें क्रॉस करके लगानी चाहिए और इसे चारों तरफ से जलाकर दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। यम दीपक जलाने का मंत्र धनतेरस के दिन जब शाम के वक्त यमदीप जलाएं तो इस मंत्र का जप जरूर करें।Dhanteras Mantra: धनतेरस मंत्र
धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी के 'ॐ नमो भगवते धन्वंतरये। अमृत कलश हस्ताय। सर्व रोग निवारिणे। ॐ शान्ति:।'धनतेरस के दिन कितने दीपक जलाने चाहिए
धनतेरस के 5 दीपक जलाने के अलावा एक चौमुखी दीपक यम को समर्पित करते हुए भी जलाएं। यम दीपक यमराज को समर्पित करते हुए जलाया जाता है इसलिए इसकी सही दिशा दक्षिण दिशा मानी जाती है। इस दिन आप 13 दीपक जला सकते हैं।yam deepam time: यम दीपम कब जलाया जाएगा
2024 में धनतेरस के दिन यम दीपम जलाने का मुहूर्त 29 अक्टूबर की शाम 05:38 से शाम 06:55 तक रहेगा। त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर की सुबह 10:31 से 30 अक्टूबर की दोपहर 01:15 बजे तक रहेगी।Dhanteras Par Diya Kha Jalaye: धनतेरस पर दीया कहां जलाएं
धनतेरस पर कितने दीपक जलाने चाहिए (Dhanteras Par Kitne Deepak Jalane Chahiye)धनतेरस पर 13 दीपक जलाने चाहिए। जानिए घर में कहां-कहां रखें ये दीपक...
पहला दीया – घर में पहला दीया दक्षिण कोने में जलाएं जो कि यमराज की दिशा होती है।
दूसरा दीया – घी का दीया जलाकर पूजा घर में ईशान दिशा की ओर देवताओं के सामने रखें, जिसमें आप एक केसर का धागा भी डाल सकते हैं।
तीसरा दीया – अपने परिवार को बुरी नज़र से बचाने के लिए घर के मुख्य द्वार पर दीया जरूर रखें।
चौथा दीया – घर में चौथा दीया तुलसी जी के पास जलाएं
पांचवा दीया – घर की छत को साफ-सुथरा कर वहां पर पांचवा दीया रखने से घर सुरक्षित रहता है।
छठा दीया – सरसों के तेल में जलाये हुए दीये को पीपल के पेड़ के नीचे रखें।
सातवां दीया – धनतेरस के दिन सातवां दीया पड़ोस के किसी भी मंदिर में जला दें।
आठवां दीया – घर में आठवां दीया कूड़े के पास जलाना चाहिए।
नौवां दीया – घर के वॉशरूम के बाहर में दीप जलाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
दसवां दीया – धनतेरस के दिन दसवां दीया खिड़कियों पर जलाएं।
ग्यारवां दीया – दीये को घर की रसोई में रखने से अन्न और भुखमरी की समस्या नही होती है।
बारहवां दीया – धनतेरस की रात को बेल के वृक्ष के नीचे दीप रखने से घर की संपत्ति में वृद्धि होती हैं।
तेरहवां दीया – अंतिम दीये को अपने घर की तरफ आने वाले चौराहे पर जलाएं।
धनतेरस पूजन का समय
नतेरस पर धन की देवी माता लक्ष्मी और धन्वंतरी जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:30 मिनट से लेकर रात 08:12 मिनट तक है। जबकि कुबेर पूजन का मुहूर्त शाम में 7 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 25 मिनट तक है।धनतेरस पूजा का मुहूर्त: Dhanteras Puja Muhurat 2024
धनतेरस का पर्व आज यानी 29 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन पूजा-अर्चना करने का शुभ मुहूर्त संध्याकाल में 06 बजकर 31 मिनट से लेकर 08 बजकर 13 मिनट तक है।धनतेरस उपाय: Dhanteras Upay
अगर आप धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो धनतेरस के दिन पूजा के समय मां लक्ष्मी को कमल का फूल अवश्य ही अर्पित करें। इस उपाय को करने से धन की देवी मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। मां लक्ष्मी की कृपा से साधक को सभी कार्यों में शुभ की प्राप्ति होती है।अगर आप आय और सौभाग्य में वृद्धि पाना चाहते हैं, तो धनतेरस के दिन धनिया की खरीदारी अवश्य ही करें। वहीं, पूजा के समय धन की देवी मां लक्ष्मी को धनिया अर्पित करें। इस उपाय को करने से धन में बढ़ोतरी होती है।
अगर आप आर्थिक तंगी से निजात पाना चाहते हैं, तो धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी को श्रीफल अर्पित करें। पूजा के बाद लाल रंग के वस्त्र में श्रीफल रख घर के मुख्य द्वार पर बांध दें। इस उपाय को करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
अगर आप पैसे की तंगी से निजात पाना चाहते हैं, तो धनतेरस के दिन पूजा के समय मां लक्ष्मी को सफेद कौड़ी अर्पित करें। इस उपाय को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। मां लक्ष्मी की कृपा से धन संबंधी परेशानी दूर हो जाती है।
अगर आप सुखों में वृद्धि पाना चाहते हैं, तो धनतेरस के दिन पूजा के दौरान मां लक्ष्मी को अखंडित चावल से निर्मित खीर अवश्य ही अर्पित करें। इस उपाय को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
धनतेरस पर कितने दीपक जलाने चाहिए
धनतेरस पर 13 दीपक जलाएं जाते हैं। लेकिन, 5 स्थानों पर विशेष रुप से दिए जलाने चाहिए। ताकी आप पर माता लक्ष्मी, भगवान धनवन्तरी और कुबेर देवता की कृपा बनी रही।Maa Laxmi Puja Vidhi: मां लक्ष्मी पूजा विधि
धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। चौकी पर मां लक्ष्मी, भगवान धनवंतरि और कुबेर जी की प्रतिमा को विराजमान करें। इसके बाद दीपक जलाएं और चंदन का तिलक लगाकर आरती उतारें।Dhanteras ke puja kaise karen: धनतेरस की पूजा कैसे करें
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि को कृष्ण तुलसी, गाय का दूध और उससे बना मक्खन जरूर चढ़ाना चाहिए। धनतेपस पर पीतल की कोई न कोई वस्तु खरीदकर भगवान धन्वंतरि को जरूर चढ़ाएं। साथ ही धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें। अंत में माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि जी की आरती करें और पूजा के बाद सभी में प्रसाद बांट दें।धन्वंतरि पूजा मंत्र : Dhanvantari Puja Mantra
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
धनतेरस की पूजा कैसे करते हैं
धनतेरस के दिन कुबेर देवता की मूर्ति पर चंदन लगाएं। इस दिन पूजा के समय कुबेर देवता के मंत्रो का जाप करें। भगवान कुबेर को पूजा के समय हल्दी, धनिया, कमल गट्टे, दूर्वा जरूर अर्पित करना चाहिए। पूजा के अंत में कुबेर देवता की आरती करें और भोग लगाएं।Dhanvantri Chalisa Lyrics: धन्वंतरि चालीसा लिरिक्स
जय धनवंतरि जय रोगारी। सुनलो प्रभु तुम अरज हमारी ॥तुम्हारी महिमा सब जन गावें। सकल साधुजन हिय हरषावे ॥
शाश्वत है आयुर्वेद विज्ञाना। तुम्हरी कृपा से सब जग जाना ॥
कथा अनोखी सुनी प्रकाशा। वेदों में ज्यूँ लिखी ऋषि व्यासा ॥
कुपित भयऊ तब ऋषि दुर्वासा। दीन्हा सब देवन को श्रापा ॥
श्री हीन भये सब तबहि। दर दर भटके हुए दरिद्र हि ॥
सकल मिलत गए ब्रह्मा लोका। ब्रह्म विलोकत भये हुँ अशोका ॥
परम पिता ने युक्ति विचारी। सकल समीप गए त्रिपुरारी ॥
उमापति संग सकल पधारे। रमा पति के चरण पखारे ॥
आपकी माया आप ही जाने। सकल बद्धकर खड़े पयाने ॥
इक उपाय है आप हि बोले। सकल औषध सिंधु में घोंले ॥
क्षीर सिंधु में औषध डारी। तनिक हंसे प्रभु लीला धारी ॥
मंदराचल की मथानी बनाई। दानवो से अगुवाई कराई ॥
देव जनो को पीछे लगाया। तल पृष्ठ को स्वयं हाथ लगाया ॥
मंथन हुआ भयंकर भारी। तब जन्मे प्रभु लीलाधारी ॥
अंश अवतार तब आप ही लीन्हा। धनवंतरि तेहि नामहि दीन्हा ॥
सौम्य चतुर्भुज रूप बनाया। स्तवन सब देवों ने गाया ॥
अमृत कलश लिए एक भुजा। आयुर्वेद औषध कर दूजा ॥
जन्म कथा है बड़ी निराली। सिंधु में उपजे घृत ज्यों मथानी ॥
सकल देवन को दीन्ही कान्ति। अमर वैभव से मिटी अशांति ॥
कल्पवृक्ष के आप है सहोदर। जीव जंतु के आप है सहचर ॥
तुम्हरी कृपा से आरोग्य पावा। सुदृढ़ वपु अरु ज्ञान बढ़ावा ॥
देव भिषक अश्विनी कुमारा। स्तुति करत सब भिषक परिवारा ॥
धर्म अर्थ काम अरु मोक्षा। आरोग्य है सर्वोत्तम शिक्षा ॥
तुम्हरी कृपा से धन्व राजा। बना तपस्वी नर भू राजा ॥
तनय बन धन्व घर आये। अब्ज रूप धन्वंतरि कहलाये ॥
सकल ज्ञान कौशिक ऋषि पाये। कौशिक पौत्र सुश्रुत कहलाये ॥
आठ अंग में किया विभाजन। विविध रूप में गावें सज्जन ॥
अथर्व वेद से विग्रह कीन्हा। आयुर्वेद नाम तेहि दीन्हा ॥
काय ,बाल, ग्रह, उर्ध्वांग चिकित्सा। शल्य, जरा, दृष्ट्र, वाजी सा ॥
माधव निदान, चरक चिकित्सा। कश्यप बाल , शल्य सुश्रुता ॥
जय अष्टांग जय चरक संहिता। जय माधव जय सुश्रुत संहिता ॥
आप है सब रोगों के शत्रु। उदर नेत्र मष्तिक अरु जत्रु ॥
सकल औषध में है व्यापी। भिषक मित्र आतुर के साथी ॥
विश्वामित्र ब्रह्म ऋषि ज्ञान। सकल औषध ज्ञान बखानि ॥
भारद्वाज ऋषि ने भी गाया। सकल ज्ञान शिष्यों को सुनाया ॥
काय चिकित्सा बनी एक शाखा। जग में फहरी शल्य पताका ॥
कौशिक कुल में जन्मा दासा। भिषकवर नाम वेद प्रकाशा ॥
धन्वंतरि का लिखा चालीसा। नित्य गावे होवे वाजी सा ॥
जो कोई इसको नित्य ध्यावे। बल वैभव सम्पन्न तन पावें ॥
॥ दोहा ॥
रोग शोक सन्ताप हरण, अमृत कलश लिए हाथ।
जरा व्याधि मद लोभ मोह, हरण करो भिषक नाथ ॥
धनतेरस पूजा विधि क्या है?
धनतेरस के दिन धन्वंतरि देव की षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है। इसके बाद शाम को मुख्य द्वार और आंगन में दीप जलाये जाते हैं।Laxmi Puja Vidhi: लक्ष्मी पूजा विधि
धनतेरस पर लक्ष्मी माता की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके लिए मंदिर में एक लाल कपड़ा बिछाएं। फिर उस पर माता की मूर्ति स्थापित करें। माता को कुमकुम लगाएं और भोग लगाएं। उनकी मंत्रों का जाप करते हुए उनकी आरती करें। फिर उन्हें भोग लगाकर प्रसाद सभी में बांट दें।धन्वंतरि पूजा विधि (Dhanavantari Puja Vidhi In Hindi)
- पूजा घर के पास एक लकड़ी का पटरा रखें और उस पर लाल या पीला रंग का कपड़ा बिछा लें।
- फिर उस पर धन्वंतरि जी की मूर्ति या चित्र रखें। साथ में कुबेर देवता और माता लक्ष्मी की भी फोटो रखें।
- मंदिर में जो दीया जलाकर रखेंगे उसके नीचे थोड़ा सा चावल या नया धान रखें।
- फिर तांबे के जल में कलश भरकर रखें और जल से सभी देवी और देवताओं को आचमन करवाएं।
- सभी स्थापित देवी देवता की प्रतिमा को रोली कुमकुम, फूल, दूर्वा, पान, फूल, हल्दी, पीला चावल, श्री फल और नैवेद्य अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान धन्वंतरि से रोगों के नाश और आरोग्यता के लिए प्रार्थना करें।
- माता लक्ष्मी और कुबेर देवता से धन-धान्य की प्रार्थना करें।
- भगवान धन्वंतरि की पूजा के दौरान 'ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः' का जाप करते रहें।
- अंत में आरती करके प्रसाद सभी में बांट दें।
Gomati Chakra: धनतेरस पर खरीदें गोमती चक्र
धनतेरस पर गोमती चक्र खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन खरीदे गए गोमती चक्र माता लक्ष्मी को चढ़ाएं। इसके बाद घर की तिजोरी में रख लें। ये उपाय से पैसों की कभी नहीं होगी।Dhanteras Kuber Puja Vidhi (धनतेरस के दिन कुबेर देव की पूजा कैसे करें)
- धनतेरस के दिन भगवान कुबेर की पूजा का विधान है।
- इस दिन सुबह साफ सफाई करके घर के मंदिर में कुबेर देवता की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।
- धनतेरस के दिन कुबेर देवता की मूर्ति पर चंदन लगाएं।
- इस दिन पूजा के समय कुबेर देवता के मंत्रो का जाप करें।
- भगवान कुबेर को पूजा के समय हल्दी, धनिया, कमल गट्टे, दूर्वा जरूर अर्पित करना चाहिए।
- पूजा के अंत में कुबेर देवता की आरती करें और भोग लगाएं।
Dhanteras Kyu Manaya Jata Hai (धनतेरस का महत्व क्या होता है)
धनतेरस का त्योहार भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के दिन के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन आयुर्वेद के देव धन्वंतरि जी समुद्र मंथन से हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस का दिन बर्तन की खरीदारी के लिए बेहद शुभ होता है।धन्वंतरि भगवान की आरती (Dhanvantari Bhagwan Ki Aarti)
ॐ जय धन्वन्तरि देवा, स्वामी जय धन्वन्तरि जी देवा।जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
Dhanteras Par Sona Kharidne Ka Muhurat 2024: धनतेरस पर सोना खरीदने का मुहूर्त 2024
इस साल धनतेरस के दिन सोने की खरीदारी का मुहूर्त 29 अक्टूबर 2024 की सुबह 10:31 से अगले दिन की सुबह 6:31 बजे तक रहेगा। वहीं धनतेरस पर खरीदारी के लिए अभिजीत मुहूर्त भी बेहद शुभ माना जाता है। जो 11:52 AM से 12:27 PM तक रहेगा। जानिए धनतेरस के चौघड़िया मुहूर्त क्या रहने वाले हैं।गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
भगवान गणेश की जय, पार्वती के लल्ला की जय
Dhanteras Vrat Katha (धनतेरस व्रत कथा)
पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। तब से ही इस तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जानें लगा और इस दिन सोना, चांदी या बर्तन खरीदना शुभ माना जानें लगा। धन्वन्तरि को औषधि और चिकित्सा के देवता भी माना जाता है। इनकी पूजा करने से हर प्रकार के रोग से मुक्ति मिलती है।धनतेरस के दिन क्या- क्या खरीदना चाहिए: Dhanteras ke din kya kya kharidna chahiye
सोना- धनतेरस के पावन दिन सोना खरीदना शुभ होता है।चांदी- धनतेरस के पावन दिन चांदी खरीदना शुभ होता है।
बर्तन- धनतेरस के पावन दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।
धनिया- धनतेरस के दिन धनिया खरीदना शुभ होता है।
नए वस्त्र- धनतेरस के दिन नए वस्त्र लेने की भी परंपरा है।
Dhanteras 2024 Car/Vehicle Buying Muhurat (धनतेरस 2024 वाहन खरीदारी मुहूर्त)
9:18 AM से 10:41 AM-10:41 AM से 12:05 PM
-12:05 PM से 01:28 PM
-07:15 PM से 08:51 PM
धनतेरस को क्या खरीदें: Dhanteras ko kya khariden
धनतेरस पर सोना चांदी, तांबा और अ्य धातुओं को खरीदना शुभ माना गया है। दरअसल, यह सभी वस्तुएं माता लक्ष्मी को अधिक प्रिय हैं। ऐसे में इनकी खरीदारी करने से घर परिवार में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।धनतेरस क्यों मनाते हैं
मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।धनतेरस पूजाा मंत्र (Dhanteras Puja Mantra)
ओम् महालक्ष्म्यै नमो नम:ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमो नम:
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।।
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवा य धन्वंतराये
धनतेरस का फोटो
धनतेरस पूजाा मंत्र (Dhanteras Puja Mantra)
ओम् महालक्ष्म्यै नमो नम:ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमो नम:
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।।
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवा य धन्वंतराये:
धनतेरस चौघड़िया मुहूर्त 2024 (Dhanteras Choghadiya Muhurat 2024)
लाभ - उन्नति- 10:41 AM से 12:05 PMअमृत - सर्वोत्तम- 12:05 PM से 01:28 PM
शुभ - उत्तम - 02:51 PM से 04:15 PM
लाभ - उन्नति- 07:15 PM से 08:51 PM
शुभ - उत्तम - 10:28 PM से 12:05 AM, अक्टूबर 30
अमृत - सर्वोत्तम - 12:05 AM से 01:42 AM, अक्टूबर 30
चर - सामान्य- 01:42 AM से 03:18 AM, अक्टूबर 30
धनतेरस पूजा विधि: Dhanteras Puja Vidhi
धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।इस दिन माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि देव की पूजा की जाती है।
पूजा शुरू करने से पहले मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं। साथ ही घर में लक्ष्मी जी के पैरों के निशान बनाएं।
इसके बाद माता लक्ष्मी, देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि की षोडोपचार विधि से पूजा करें।
भगवान को कुमकुम लगाएं और माला पहनाएं साथ ही अक्षत चढ़ाएं।
इसके बाद भोग अर्पित करें। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि को कृष्ण तुलसी, गाय का दूध और उससे बना मक्खन जरूर चढ़ाना चाहिए।
धनतेपस पर पीतल की कोई न कोई वस्तु खरीदकर भगवान धन्वंतरि को जरूर चढ़ाएं। साथ ही धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें।
अंत में माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि जी की आरती करें और पूजा के बाद सभी में प्रसाद बांट दें।
शाम के समय आटे से चौमुखा दीपक बनाएं और उसमें सरसों या तिल का तेल डालकर इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा में रख दें।
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