Adhik Maas Amavasya Vrat Katha In Hindi: यहां देखें अधिक मास अमावस्या की व्रत कथा, जिसे पढ़ने से मिलेगा पुण्य फल
Adhik Maas Amavasya Vrat Katha: अधिक मास की अमावस्या का व्रत रखना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। मान्यता है इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखकर दान-पुण्य के काम करता है उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां देखिए अधिक मास की अमावस्या की व्रत कथा (Adhik Maas Ki Katha)।
Adhik Maas Amavasya Vrat Katha In Hindi
Adhik Maas Amvasya Vrat Katha In Hindi: आज अधिक मास की अमावस्या है। ये अमावस्या साल में आने वाली हर अमावस्या से खास मानी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये तीन साल में एक ही बार आती है। दरअसल जिस साल में अधिक मास (Adhik Maas 2023) पड़ता है उसी साल में ये अमावस्या भी पड़ती है। इस दिन स्नान-दान और पितरों की आत्मा की शांति के उपाय करना बेहद फलदायी होता है। कई लोग अमावस्या पर व्रत (Adhik Maas Ki Kahani) भी रखते हैं। व्रती अमावस्या की व्रत कथा (Amavasya Ki Vrat Katha) को पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें।
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अधिक मास की अमावस्या की व्रत कथा (Adhik Maas Amavasya Vrat Katha In Hindi)
अमावस्या व्रत कथा के अनुसार, एक गांव में गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था, उस परिवार में पति-पत्नी और उसकी एक पुत्री भी थी। पुत्री सुंदर, संस्कारवान और गुणवान थी लेकिन गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक साधु महाराज पधारें। कन्या ने उस साधु की खूब सेवा की। कन्या के सेवाभाव से प्रसन्न होकर साधु ने उसे लंबी आयु का आशीर्वाद दिया लेकिन साथ में ये भी कहा कि इस कन्या के हाथ में विवाह योग्य रेखा नहीं है।
तब ब्राह्मण दम्पति ने साधु से इस समस्या का उपाय पूछा। साधु महाराज ने कहा कि यहां से कुछ ही दूरी पर एक गांव में सोना नाम की एक धोबिन अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो बहुत संस्कार संपन्न तथा पति परायण है।
यदि यह कन्या उस धोबिन की सेवा करे और वो धोबिन महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दे तो इससे कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। साधु ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं आती-जाती नहीं है।
यह सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी को प्रात: काल ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर साफ-सफाई और अन्य सारे कार्य करने के लिए कहा। मां के कहे अनुसार उस कन्या ने भी यही किया। वो रोजाना सुबह उस धोबिन के घर जाती और वहां सारा काम निपटाकर सभी के उठने से पहले अपने घर वापस आ जाती।
एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि तुम तो सुबह ही उठकर सारे काम कर लेती हो और मुझे पता भी नहीं चलता। बहू ने कहा मां जी, मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम कर रही हैं। मैं तो देर से उठती हूं। यह सब जानकार दोनों सास-बहू घर की निगरानी करने लगी कि आखिर कौन सुबह-सुबह उनके घर आकर सारा काम करके चला जाता है।
कई दिनों के बाद धोबिन ने उस कन्या को देखा जो मुंह ढके अंधेरे में घर में आती है और सारे काम करके चली जाती है। जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों में गिर पड़ी और पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह से मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं?
तब कन्या ने साधु द्वारा कही गई सारी बात बता दी। सोना धोबिन पति परायण थी, अतः उसमें तेज था। वह उस कन्या की मदद के लिए तैयार हो गई, सोना धोबिन का पति थोड़ा अस्वस्थ चल रहा था। उसने अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा।
सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर उस कन्या की मांग में लगाया वैसे ही उसके पति की मृत्यु हो गई। उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से बिना कुछ खाये पिये ही चली थी, यह सोचकर कि रास्ते में पीपल का पेड़ मिलेगा तो वह उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी।
उस दिन अमावस्या थी। ब्राह्मण के घर मिले पकवान की जगह उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा भी की और उसके बाद ही जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसका पति फिर से जीवित हो उठा।
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