मुरथल का सुखदेव ढाबा, कभी झोपड़े में था चलता, अब 24 घंटे लगती है हजारों की भीड़

Murthal Sukhdev Dhaba: दिल्ली या फिर नोएडा से रात-बिरात अगर कहीं घूमने का मन करता है तो सबसे पहला ख्याल मुरथल का ही आता है। दिल्ली से महज 3 घंटे की ड्राइव करके मुरथल पहुंचा जा सकता है।

मुरथल रोड ट्रिप
01 / 06

मुरथल रोड ट्रिप

'चलो भाई मुरथल पराठे खाने चलते हैं' दिल्ली से रोड ट्रिप के बारे में प्लान करते हुए सबसे पहला ख्याल मुरथल का ही आता है। महज 3 घंटे की रोड ट्रिप के जरिए लोग मुरथल में एक खास जगह सिर्फ पराठे का स्वाद लेने जाते हैं।

अमरिक सुखदेव ढाबा मुरथल
02 / 06

अमरिक सुखदेव ढाबा मुरथल

हम बात कर रहे हैं अमरिक सुखदेव ढाबा की जो आज के टाइम में मुरथल की पहचान बन गई है। साल 1956 में सरदार प्रकाश सिंह ने इसे खोला था। बाद में उनके बेटे अमरीक सिंह और सुखदेव सिंह ने अपने नाम अमरीक-सुखदेव से जोड़कर इस ढाबे का नाम रख दिया।

ट्रक चालकों के लिए गया था खोला
03 / 06

ट्रक चालकों के लिए गया था खोला

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस ढाबे को सबसे पहले ट्रक चालकों के लिए खोला गया था। हाइवे पर चलने वाले ट्रक डाइवर गाड़ी रोककर इसी ढाबे पर खाना खाया करते थे।

झोपड़े के साथ खुला था ढाबा
04 / 06

झोपड़े के साथ खुला था ढाबा

मुरथल का ये ढाबा छोटे से झोपड़े के साथ खुला था। भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के सबसे शानदार रेस्टोरेंट में शुमार ये ढाबा पहले केवल तिरपाल (टेंट) और लकड़ी के खंभों से बना हुआ था।

खाने के शौकीनों के बीच लोकप्रिय
05 / 06

खाने के शौकीनों के बीच लोकप्रिय

शुरुआत में यहां सिर्फ दाल, सब्जी, रोटी और चावल परोसा जाता था बाद में इन्होंने अपने मेन्यू का विस्तार किया। इनके मेन्यू में शामिल पराठे जिसे मक्खन के साथ परोसा जाता है वो विश्व प्रसिद्ध है।

मेन्यू और रास्ता
06 / 06

मेन्यू और रास्ता

खाने-पीने का शौक रखने वालों के लिए ये ढाबा किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां खाने के साथ ही 11 प्रकार के तंदूरी पराठे और 7 प्रकार के तवा पराठे मिलते हैं। सड़क मार्ग से ये अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है जहां बस या फिर निजी वाहन से आप जा सकते हैं।

End of Photo Gallery
Subscribe to our daily Newsletter!

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited