6 जिलों की किस्मत का खुलेगा ताला, 923 गांव बनने वाले हैं हाईटेक शहर; हजारों किसानों की हो जाएगी चांदी-चांदी

YEIDA Master Plan: उत्तर प्रदेश के 6 जिलों के 923 गांवों की तस्वीर बदलने वाली है। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक प्राधिकरण (YEIDA) के मास्टर प्लान 2031 को हरी झंडी मिल गई है। इस प्लान के मुताबिक, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ और हाथरस में व्यापक पैमाने पर शहरी विकास होगा। यीडा इंडस्ट्रियल, आवासीय और व्यापारिक प्रोजेक्ट को डेवलप करेगा। मास्टर प्लान में अलीगढ़ में लॉजिस्टिक हब और मथुरा में एक हेरिटेज सिटी का विकास होगा। आइये जानतें 6 जिलों में और क्या नये विकास कार्य किए जाएंगे?

यीडा का मेगा प्लान
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यीडा का मेगा प्लान

यूपी में शहरी विकास को तेजी के साथ बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्राणीण इलाकों तक शहरों की पहुंच होने वाली है। यही कारण है की सरकार ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक प्राधिकरण (YEIDA) के रीजनल मास्टर प्लान फेज-2 2031 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत यीडा नोएडा, बुलंदशहर के अतिरिक्त मथुरा, आगरा, हाथरस और अलीगढ़ के कुल 923 गावों तक विकास किया जाएगा। इन 4 जिलों की 34 हजार हेक्टेयर जमीन पर बड़े प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिए अधिग्रहण किया जाएगा। इसमें 165 किमी. लंबे यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे बड़े परियोजनाएं स्थापित किए जाएंगे।

यहां होगा जमीन अधिग्रहण
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यहां होगा जमीन अधिग्रहण

दरअसल, यमुना अथॉरिटी के अधिसूचित एरिया में 6 जिलों की जमीन आती है। फिलहाल, अथॉरिटी रीजनल मास्टर प्लान फेज-1 के तहत गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर के गांवों की जमीन का अधिग्रहण कर डेवलप कर रही थी। लेकिन फेज-2 का प्रस्ताव साल 2012 में तैयार होने और कई संशोधन के बावजूद शासन स्तर पर मंजूरी न मिलने की वजह से अटका पड़ा था। लेकिन, 12 साल बाद इसे उत्तर प्रदेश शासन की ओर से इसे मंजूरी मिल गई है। अगली बैठक में इसे सहमति के लिए रखा जाएगा।

यीडा सिटी गांव लिस्ट
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यीडा सिटी गांव लिस्ट

फिलहाल, यमुना अथॉरिटी के फेज-1 में गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर का डेवलप किया जा रहा है। इन दोनों ही जनपदों का 75900 हेक्टेयर क्षेत्रफल है, जिसके दायरे में 226 गांव आते हैं, जिनमें से 109 शहरी क्षेत्र से लगते हैं। मौजूदा समय में कुल 24 हजार हेक्टेयर जमीन पर यीडा विकास कर रही है। लेकिन अब फेज-2 में मथुरा के करीब 11653.76 हेक्टेयर क्षेत्रफल में राया अर्बन सेंटर बनाया जाएगा, जिससे बड़े पैमाने में किसानों के साथ स्थानीय लोगों का आर्थिक विकास होगा।

टप्पल-बाजना अर्बन सेंटर के गांव
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टप्पल-बाजना अर्बन सेंटर के गांव

जानकारी के मुताबिक, इस परियोजना के तहत विकसित होने वाले क्षेत्रफल के अंतर्गत 415 गांवों की जमीन दायरे में आती है। वहीं, अलीगढ़ के 11104.40 हेक्टेयर में टप्पल-बाजना अर्बन सेंटर विकसित किया जाएगा। यह परियोजना अलीगढ़ के 92 गावों की जमीन पर विकसित किया जाएगा, जबकि आगरा के 58 गांवों की 12 हजार हेक्टेयर जमीन पर विकास कार्य किए जाएंगे। वहीं, हाथरस के 358 गांवों की जमीन पर कितने क्षेत्रफल में विकास होगा इसका डिटेल प्लान अभी बनाया जाएगा।

न्यू आगरा अर्बन सेंटर डीपीआर
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न्यू आगरा अर्बन सेंटर डीपीआर

यीडा ने मथुरा और अलीगढ़ के प्लान को धरातल पर उतारने के लिए विस्तृत परियोजाना रिपोर्ट यानी (DPR) तैयार कर ली है। इन सभी परियोजनाओं के लिए डेवलपर्स के चयन की प्रक्रिया चल रही है। वहीं, न्यू आगरा अर्बन सेंटर के लिए डीपीआर बनाने के लिए कंसल्टेंट को नियुक्त किया गया है, जिसे 9 महीने में रिपोर्ट सौंपनी होगी। उधर, हाथरस अर्बन सेंटर के लिए डीपीआर जल्द ही तैयार कर कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार की मंजरी के बाद हेरिटेज सिटी और लॉजिस्टिक पार्क जैसी महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को धार देने के लिए यीडा इंडस्ट्रियल, रेजीडेंसिल और कामर्शियल प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढ़ाएगा। परियोजना के विकास से हजारों लोगों को रोजगार, स्थानीय उद्योग धंधे, छोटो-मोटे व्यापार, बाजार, रेस्टोरेंट हॉस्पिटल्स इत्यादि विकसित होंगे, जिससे लोगों सहूलियत होगी।

6 जिलों की किस्मत का खुलेगा ताला
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6 जिलों की किस्मत का खुलेगा ताला

जानकारी के मुताबिक, यमुना नदी के ईस्ट साइड में मथुरा और वृंदावन के 29 किलोमीटर क्षेत्रफल में रिवर फ्रंट विकसित किया जाएगा। प्रोजेक्ट की डीपीआर के तहत रीक्रिएशनल ग्रीन डेवलपमेंट के तहत 2600 हेक्टेयर जमीन पर एम्यूजमेंट पार्क, बॉटेनिकल गार्डन, साइंस सिटी, चिल्ड्रेन पार्क, कनवेंशन सेंटर, ट्रैफिक पार्क, एक्सपो मार्ट के अतिरिक्त 1100 हेक्टेयर में स्पोर्ट्स सिटी बसाई जाएगी। कुल मिलाकर मिक्स लैंड यूज के तहत जो भी विकास होगा। उसमें औद्योगिक, संस्थागत, ग्रुप हाउसिंग, आवासीय और अन्य प्रकार के विकास कार्य किए जाएंगे। इस प्रकार से 6 जिलों के 923 गांवों के किस्मत का ताला खुलेगा। किसानों की जमीन के अच्छे दाम लगेंगे, जिससे उनका आर्थिक विकास होगा। संबंधित गांवों के शहरीकरण से बड़े पैमाने पर लोगों के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

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