Labour Day Shayari: फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं.., मजदूरों के दर्द को बयां करते हैं ये चुनिंदा शेर, देखें मजदूर दिवस पर शायरी

Majdoor Diwas Shayari in Hindi: मजदूर दिवस राष्ट्रों की सरकारों और संस्थाओं को यह याद दिलाता है कि समाज का विकास तभी संभव है जब श्रमिक सुरक्षित और सम्मानित हों। मजदूरों के सम्मान में बहुत से शायरों ने कुछ बेहतरीन शेर लिखे हैं। इन चुनिंदा शेरों में मजदूरों के हालात को बड़ी खूबसूरती से पेश किया गया है।

Labour Day Shayari

Labour Day 2025 Shayari: मजदूर दिवस पर शायरी, मजदूरों पर शायरी

Labour Day Shayari in Hindi (मजदूर पर शायरी): हर साल की तरह इस साल भी 1 मई यानी आज मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। यह खास दिन दुनिया भर में श्रमिकों के सम्मान और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित किया गया है। मजदूर दिवस मेहनतकश लोगों के संघर्ष और अधिकारों के सम्मान, योगदान और मेहनत को मान्यता देने के लिए एक बेहद खास दिन है। कई देशों में मजदूर दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश रहता है। मजदूर दिवस राष्ट्रों की सरकारों और संस्थाओं को यह याद दिलाता है कि समाज का विकास तभी संभव है जब श्रमिक सुरक्षित और सम्मानित हों। मजदूरों के सम्मान में बहुत से शायरों ने कुछ बेहतरीन शेर लिखे हैं। इन चुनिंदा शेरों में मजदूरों के हालात को बड़ी खूबसूरती से पेश किया गया है। आइए मजदूर दिवस के खास मौके पर पढ़ें दुनियाभर के श्रमिकों को समर्पित ये चंद मशहूर शेर:

Labour Day par Shayari | Happy Labour Day Shayari | Majdoor Diwas Shayari

1. तू क़ादिर ओ आदिल है मगर तेरे जहाँ में

हैं तल्ख़ बहुत बंदा-ए-मज़दूर के औक़ात

- अल्लामा इक़बाल

2. सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर

मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते

- मुनव्वर राना

3. फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं

वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं

- मुनव्वर राना

4. कुचल कुचल के न फ़ुटपाथ को चलो इतना

यहाँ पे रात को मज़दूर ख़्वाब देखते हैं

- अहमद सलमान

5. शहर में मज़दूर जैसा दर-ब-दर कोई नहीं

जिस ने सब के घर बनाए उस का घर कोई नहीं

- अज्ञात

6. आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए

आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए

- हफ़ीज़ जालंधरी

7. नींद आएगी भला कैसे उसे शाम के बा'द

रोटियाँ भी न मयस्सर हों जिसे काम के बा'द

- अज़हर इक़बाल

8. बोझ उठाना शौक़ कहाँ है मजबूरी का सौदा है

रहते रहते स्टेशन पर लोग क़ुली हो जाते हैं

- मुनव्वर राना

9. मेहनत कर के हम तो आख़िर भूके भी सो जाएँगे

या मौला तू बरकत रखना बच्चों की गुड़-धानी में

- विलास पंडित मुसाफ़िर

10. तामीर-ओ-तरक़्क़ी वाले हैं कहिए भी तो उन को क्या कहिए

जो शीश-महल में बैठे हुए मज़दूर की बातें करते हैं

- ओबैदुर रहमान

11. होने दो चराग़ाँ महलों में क्या हम को अगर दीवाली है

मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम मज़दूर की दुनिया काली है

- जमील मज़हरी

12. लोगों ने आराम किया और छुट्टी पूरी की

यकुम मई को भी मज़दूरों ने मज़दूरी की

- अफ़ज़ल ख़ान

13. पेड़ के नीचे ज़रा सी छाँव जो उस को मिली

सो गया मज़दूर तन पर बोरिया ओढ़े हुए

- शारिब मौरान्वी

14. मिल मालिक के कुत्ते भी चर्बीले हैं

लेकिन मज़दूरों के चेहरे पीले हैं

- तनवीर सिप्रा

15. तेरी ताबिश से रौशन हैं गुल भी और वीराने भी

क्या तू भी इस हँसती-गाती दुनिया का मज़दूर है चाँद?

- शबनम रूमानी

बता दें कि भारत में पहली बार मजदूर दिवस 1923 में मनाया गया था। इस दिन की शुरुआत चेन्नई में कम्युनिस्ट नेता सिंगारवेलु चेट्टियार ने की थी।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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