Atul Subhash केस से फ‍िर उठा ये बड़ा सवाल, पुरुषों के सुसाइड के आंकड़े ज्‍यादा क्‍यों, किस वजह से जल्‍दी हारते हैं हिम्‍मत

बंगलूरू में इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड के बाद से एक बड़ा सवाल पुरुषों की मेंटल हेल्थ और उत्पीड़न को लेकर उठ रहा है। ये भी एक बड़ा सवाल है कि आखिर पुरुष महिलाओं की तुलना में ज्यादा सुसाइड क्यों करते हैं।

Atul Shubhash suicide case.

Atul Shubhash suicide case.

बंगलूरू में इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड कर लेने के मामले ने एक बार फिर पुरुषों की मेंटल हेल्थ को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अतुल ने सुसाइड करने से पहले 90 मिनट का वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखने के बाद आत्महत्या की। बता दें कि अतुल पर उनकी पत्नी ने दहेज और अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे जिन्हें अतुल ने झूठा बताया और बार-बार के उत्पीड़न से तंग आकर उन्होंने सुसाइड कर लिया। ऐसे में यहां एक बड़ा सवाल उठता है कि आखिर पुरुष महिलाओं की तुलना में ज्यादा सुसाइड क्यों करते हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े

एनसीआरबी (NCRB) के 2021 के आंकड़ों के मुताबिक इस साल 30 से 45 साल के एज ग्रुप के 40,415 पुरुष सुसाइड कर चुके हैं। वहीं महिलाओं की सुसाइड करने की संख्या 11,629 रही।

पुरुष में आत्‍महत्‍या के मामले ज्‍यादा क्‍यों हैं और इस मामले में समाज और परिवार की क्या और कितनी भूमिका रहती है, इस पर हमसे पोलरिस अस्‍पताल की साइकोलॉजिस्ट्स डॉक्‍टर आस्‍था ने विस्‍तार से बात की। मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य की एक्‍सपर्ट के रूप में उन्होंने बताया कि तमाम बदलाव होने के बावजूद हमारे समाज में कहीं न कहीं आज भी लड़के और लड़कियों को अलग-अलग नजरिए से देखा जाता है। लड़कों और लड़कियों की परवरिश के तरीके में भी ये बात न‍िकल कर आती है। लड़कियों को इमोशनल और लड़कों को मानसिक तौर पर माना जाता है। ऐसे में लड़कियों को अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस करने की पूरी आजादी होती है। माना जाता है कि लड़कियां इमोशनल होती हैं और वो खुल कर अपने दुख-दर्द बांट सकती हैं। तो वहीं लड़कों को समाज में ये सिखाया जाता है कि हम कमजोर नहीं पड़ सकते हैं। हमें बचपन से ही मजबूत रहना है, फैमिली का ध्यान रखना है और फैमिली चलानी है। लड़कियों की तुलना में लड़कों पर बाहर से सख्‍त होने का बहुत ज्यादा भार मानसि‍क भार डाल दिया जाता है। इस वजह से लड़के कभी भी अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस नहीं कर पाते और वो मन में गुबार बनता जाता है। जब इस गुबार को बाहर निकलने का रास्‍ता नहीं मिलता तो ये तनाव, अवसाद और बाद में सुसाइड की ओर इंसान को धकेल देता है।

सुसाइड की ज्यादातर वजहें

डॉक्‍टर आस्‍था का कहना है कि सोसाइटल प्रेशर और अपने इमोशन्स को एक्सप्रेस ना कर पाने की वजह से लड़के खुद को हारा हुआ महसूस करने लगते हैं। साथ ही कई बार करियर में बहुत ज्यादा सफल ना हो पाने, परिवार को फाइनेंशियल सपोर्ट ना दे पाने के कारण, अपने रिलेशनशिप को मेंटेन ना कर पाने की वजह से लड़के ऐसा कदम उठाते हैं। समाज द्वारा तय किए हुए पैमानों पर खड़ा ना उतर पाने की वजह से लड़कों के पास कोई रास्ता नहीं बचता और वो सुसाइड जैसे कदम उठाते हैं।

कैसे दिमाग से निकाले सुसाइड का ख्याल

पुरुषों को भी अपनी फीलिंग्स और इमोशन्स को एक्सप्रेस करना चाहिए। अपने मन की बात दोस्तों, परिवार, पार्टनर के साथ शेयर करनी चाहिए। सुसाइटल प्रेशर के चाल में फसने से बचना चाहिए। वहीं माता-पिता की भी जिम्मेदारी रहती है कि वो अपने बच्चों को समझें और हर परिस्‍थ‍िति में उन्हें सपोर्ट करें। डॉक्‍टर आस्‍था का कहना है कि ऐसे में मेंटल हेल्‍थ एक्‍सपर्ट की मदद लेनी चाहिए। इससे इमोशंस को खुलकर सामने रखने से दिल हल्‍का होता है और इंसान खुले दिमाग से सोच पाता है। इस प्रयास से कई जान बचाई जा सकती है।

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Ritu raj author

शुरुआती शिक्षा बिहार के मुजफ्फरपुर से हुई। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए नोएडा आय...और देखें

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