Weather Updates: फरवरी में ही गर्मी ने किया बेहाल, जानिए अगले पांच दिन कैसा रहेगा मौसम का हाल

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मंगलवार को भविष्यवाणी की थी कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और पश्चिमी भारत में दिन का तापमान कम से कम एक और सप्ताह तक बना रहेगा।

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फरवरी आते-आते गर्मी परेशान करने लगी है।

जहां जनवरी में कड़ाके की ठंड ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था, वहीं फरवरी आते-आते गर्मी परेशान करने लगी है। फरवरी का महीना खत्म भी नहीं हुआ कि अभी से गर्मी अप्रैल महीने जैसा अहसास दिला रही है। मई-जून में किस तरह के हालात रहेंगे, इसका संकेत साफ-साफ मिलने लगा है। अगले कुछ दिनों में मौसम कैसा रहेगा, क्या गर्मी से मिलेगी राहत, आपको बता रहे हैं सभी अपडेट।

अगले कुछ दिनों तक ऐसा ही बना रहेगा मौसम

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुरुवार को कहा कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में अगले पांच दिन में अधिकतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री अधिक दर्ज किए जाने का अनुमान है। देश के कई हिस्सों में पहले से ही अधिक तापमान दर्ज किया जा रहा है जो आमतौर पर मार्च के पहले सप्ताह में दर्ज किया जाता है। इसने इस साल तीव्र गर्मी और लू को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है।

आईएमडी ने एक बयान में कहा कि अगले पांच दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक रहने की संभावना है। विभाग ने कहा कि अगले दो दिनों के दौरान उत्तर पश्चिमी भारत में अधिकतम तापमान में उल्लेखनीय बदलाव की संभावना नहीं है। हालांकि, इसके बाद पारा दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है।

आईएमडी के एक अधिकारी ने कहा कि मार्च के पहले पखवाड़े में उत्तर पश्चिमी भारत के एक या दो मौसम संबंधी उपखंडों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस और उससे अधिक तक बढ़ सकता है। मौसम विभाग ने फरवरी में असामान्य रूप से गर्म मौसम के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें मजबूत पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति प्राथमिक कारण है।

बता दें कि मजबूत पश्चिमी विक्षोभ वर्षा लाते हैं और तापमान को कम रखने में मदद करते हैं। सोमवार को उत्तर-पश्चिमी, मध्य और पश्चिम भारत के अधिकांश स्थानों पर अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया। राष्ट्रीय राजधानी के प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग वेधशाला में अधिकतम तापमान 33.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के साथ दिल्ली में सोमवार को 1969 के बाद फरवरी का तीसरा सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया। शहर में 26 फरवरी 2006 को अधिकतम तापमान 34.1 डिग्री सेल्सियस और 17 फरवरी 1993 को अधिकतम तापमान 33.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

ठंडे प्रदेशों में भी अधिक रहेगा तापमान

इससे पहले मंगलवार को आईएमडी ने कहा था कि हिमाचल के विभिन्न हिस्सों में व्यापक बारिश और ओलावृष्टि हुई, जिससे गर्म मौसम से कुछ राहत मिली थी। श्रीनगर में मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के कई हिस्सों में हल्की बर्फबारी के बाद कश्मीर में आसमान साफ रहेगा। मौसम कार्यालय ने कहा कि अगले कुछ दिनों में कोंकण क्षेत्र और पश्चिमी के अन्य हिस्सों में तापमान बढ़ने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य से 5-11 डिग्री अधिक रह सकता है।

इन राज्यों में बारिश की भारी कमी

तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल क्षेत्र को छोड़कर फरवरी में बारिश नहीं हुई है। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में 20 फरवरी तक 99% बारिश की कमी रही, गंगीय पश्चिम बंगाल में 97% वर्षा की कमी, ओडिशा में 99%; तटीय आंध्र प्रदेश में 99%, पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में 100% बारिश की कमी रही।

फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं

मौसम विभाग के मुताबिक, सोमवार को एक पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में तापमान में 1-2 डिग्री की मामूली गिरावट आई है, लेकिन यह सामान्य से कई डिग्री अधिक बना हुआ है। बारिश नहीं हुई है और आसमान साफ है, जिससे उच्च सौर विकिरण हो रहा है। एंटीसाइक्लोन भी अरब सागर के ऊपर शिफ्ट हो रहा है। इसलिए हमें सामान्य से अधिक तापमान से कोई बड़ी राहत नहीं दिख रही है।

स्काईमेट वेदर सर्विसेज के मुताबिक, सतह पर हवा का पैटर्न दक्षिण-पश्चिमी बना हुआ है, जो गर्म, शुष्क हवाएं ला रहा है। अरब सागर के ऊपर एंटीसाइक्लोन भी बना हुआ है और बारिश की कमी से तापमान में और गिरावट की उम्मीद नहीं है।

गेहूं की फसल पर पड़ सकता है असर

आईएमडी ने मंगलवार को किसानों को हल्की सिंचाई का विकल्प चुनने की सलाह देते हुए कहा कि दिन के उच्च तापमान से गेहूं पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है क्योंकि गेहूं की फसल पकने के करीब पहुंच रही है, जो तापमान के प्रति संवेदनशील है। फूल आने और पकने की अवधि के दौरान उच्च तापमान से उपज में कमी आती है। बाकी खड़ी फसलों और बागवानी पर भी ऐसा ही असर पड़ सकता है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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