Monsoon Rainfall 2025: जून में फुल रहेगा मानसून, बादल बरसेंगे झूम-झूम; किसानों को खुश कर देगी IMD की भविष्यवाणी
Monsoon Rainfall 2025: मौसम के लिहाज से अगला महीना जून काफी राहत भरा रहेगा। आईएमडी ने जून में सामान्य से अधिक मानसूनी वर्षा (Monsoon Rain)का पूर्वानुमान जताया है। पूरे मानसून के दौरान देश में 87 सेमी की लॉंन्ग टर्म औसत बारिश का 106 प्रतिशत बारिश हो सकती है, जो कृषि के लिहाज से काफी बेहतर होगी। जमीन पर अधिक नमी और पानी की मौजूदगी से किसान खरीफ की फसलें ले सकेंगे। ऐसे में सिंचाई पर खर्च होने वाला व्यय बचेगा।

भारत में मानसून वर्षा
Monsoon Rainfall 2025: मौसम विभाग ने मानसून को लेकर बड़ी खुशखबरी दी है। भारत में जून में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है, जो दीर्घकालिक औसत का 108 प्रतिशत होगी। पूरे मानसून के दौरान देश में 87 सेमी की लॉंन्ग टर्म औसत बारिश का 106 प्रतिशत बारिश हो सकती है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि इस मौसम में मानसून कोर जोन (Monsoon Core Zone) में सामान्य से अधिक (लंबी अवधि के औसत का 106 प्रतिशत से अधिक) बारिश होने की संभावना है। अच्छी बारिश किसानों के लिए बड़ा वरदान साबित होने वाली है। कयास लगाए जा रहे हैं कि रेनी सीजन में खरीफ की फसलें (Kharif Crops) अच्छी पैदावार दे सकती है, जिससे किसानों को बड़ा आर्थिक लाभ होगा।
साल | मानसून आने की तिथि | कितनी बारिश |
2025 | 24 मई | 105 प्रतिशत होने का अनुमान |
2024 | 8 जून | 1231.7 मिलीमीटर |
2023 | 23 जून | 1059. 01 मिलीमीटर |
2022 | 13 जून | 1287 मिलीमीटर |
2021 | 10 जून | 1113 मिलीमीटर |
2020 | 11 जून | 1250.5 मिलीमीटर |
2019 | 5 जून | 1281 मिलीमीटर |
2018 | 8 जून | 1130.5 मिलीमीटर |
2017 | 14 जून | 1068.7 मिलीमीटर |
2016 | 18 जून | 1191.8 मिलीमीटर |
2015 | 13 जून | 1048.5मिलीमीटर |
मानसून कोर जोन कहां रहेगा हावी
मानसून कोर जोन में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आस-पास के इलाके शामिल हैं। इस क्षेत्र में ज़्यादातर बारिश दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होती है और यह कृषि के लिए काफी हद तक इस पर निर्भर करता है। उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य बारिश होने की संभावना है, जबकि पूर्वोत्तर में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि मध्य और दक्षिण भारत में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज किये जाने की संभावना है।
मानसून पर टिकी कृषि
भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर रही है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर आधी आबादी मानसून पर निर्भर है। एक अच्छी मानसूनी बारिश अच्छी पैदावार और कमजोर मानसून फसल उत्पादन के लिए बेहद निराशजनक साबित होता है। आंकड़ों पर नजर डाले तो भौगोलिक आधार पर अलग-अलग राज्यों में बारिश की मात्रा में अंतर रहा है, जिससे कृषि उत्पादन में भी असर पड़ता है, जिसका असर व्यापार, बाजार और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कृषि श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2025 में घटकर 3.73 प्रतिशत हो गई, जबकि इस साल फरवरी में यह 4.05 प्रतिशत थी।
अच्छी होगी मानसूनी बारिश
भारतीय कृषि पर किसानों की आय और देश की अर्थव्यवस्था टिकी है। यही कारण है कि किसान पूरे साल आसमान की ओर तकता रहता है, क्योंकि उसे आसमानी बारिश से आस होती है। चूंकि, भारत में कृषि काफी हद तक सीजनल बारिश यानी मानसूनी बारिश (Monsoon Rain) पर निर्भर करती है। इसका मुख्य कारण है कई क्षेत्रों में सिंचाई के सीमित साधन होना। लिहाजा, मानसूनी सीजन में उन क्षेत्रों में भी फसलों की पैदावार की संभावना बढ़ जाती है, जहां पानी का पहुंचाना कठिन है या पानी के स्त्रोत बहुत नीचे हैं। तो इस साल किसान भाईयों को बारिश को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। इंडिया रेटिग्स के मुताबिक साल 2025 के मानसूनी सीजन में अच्छी बारिश होगी। आईएमडी का पूर्वानुमान है कि पूरे देश में मानसून की बारिश दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 105 प्रतिशत रहेगी। इसमें पांच प्रतिशत के घट-बढ़ की गुंजाइश है। लिहाजा, साल 2025 फसल पैदावार के लिहाज से किसानों के मुफीद होगा।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा कि 2025 में मानसून के सामान्य से थोड़ा बेहतर रहने के मौसम विभाग के पूर्वानुमान से कृषि क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। इससे मौद्रिक स्थिति (Monetary Situation) में सहजता के साथ ही भारत को जवाबी शुल्कों के प्रतिकूल प्रभाव का सामना करने में मदद मिलेगी। इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि आईएमडी का पूर्वानुमान न केवल किसानों के लिए बल्कि सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छी खबर है। ऐसे में भारत एक और साल लगभग चार प्रतिशत की कृषि वृद्धि दर्ज कर सकता है।
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