जस्टिस गवई होंगे देश के अगले CJI; न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की लेंगे जगह; इस दिन होगा शपथ ग्रहण समारोह

Chief Justice of India: प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्रालय से उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को अगला सीजेआई नियुक्त करने की सिफारिश की। न्यायमूर्ति गवई मौजूदा सीजेआई के बाद उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। वह 14 मई को 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।

Justice BR Gavai

जस्टिस बीआर गवई

Chief Justice of India: प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्रालय से उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को अगला सीजेआई नियुक्त करने की सिफारिश की। न्यायमूर्ति गवई मौजूदा सीजेआई के बाद उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। वह 14 मई को 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। सीजेआई खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जस्टिस गवई को शपथ दिलाएंगी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ के 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायमूर्ति खन्ना ने नवंबर 2024 में सीजेआई का पद संभाला था।

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कौन हैं जस्टिस गवई?

जस्टिस गवई का पूरा नाम भूषण रामकृष्ण गवई है जिनका जन्म 24 नवंबर, 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वह 12 नवंबर, 2005 को हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने। तब से वह शीर्ष अदालत की कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं जिन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं।

जस्टिस गवई पांच न्यायाधीशों की उस पीठ के सदस्य थे जिसने सर्वसम्मति से केंद्र के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाले फैसले को बरकरार रखा था जिसने तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था।

6 माह तक रहेंगे सीजेआई

जस्टिस गवई नवंबर में सेवानिवृत होने वाले हैं। इस वजह से वह लगभग छह माह तक सीजेआई के पद पर रहेंगे। जस्टिस गवई उस पांच न्यायाधीशों की पीठ में भी शामिल थे जिसने केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था।

जस्टिस गवई सात न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे जिसने 6:1 के बहुमत से यह माना था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण दिया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं।

जस्टिस गवई सहित सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि पक्षों के बीच बिना मुहर लगे या अपर्याप्त रूप से मुहर लगे समझौते में मध्यस्थता खंड लागू करने योग्य है, क्योंकि इस तरह के दोष को ठीक किया जा सकता है और यह अनुबंध को अवैध नहीं बनाता है। उनके नेतृत्व वाली पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अखिल भारतीय स्तर पर दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि ‘कारण बताओ’ नोटिस दिए बिना किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए तथा प्रभावितों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए। वह उस पीठ का भी नेतृत्व कर रहे हैं जो वन, वन्यजीव और वृक्षों के संरक्षण से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही है।

वह 16 मार्च 1985 को बार में शामिल हुए थे और नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम तथा अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील थे।

अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक उन्हें बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया। सत्रह जनवरी 2000 को उन्हें नागपुर पीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।

हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण संबंधी प्रक्रिया ज्ञापन के अनुसार, कानून मंत्री सीजेआई को पत्र लिखकर उनसे उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगते हैं। प्रक्रिया ज्ञापन के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश को सीजेआई का पद संभालने के लिए उपयुक्त माना जाता है और न्यायपालिका के निवर्तमान प्रमुख के विचार 'उचित समय' पर मांगे जाते हैं।

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अनुराग गुप्ता author

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