नौसेना में शामिल होने जा रहा एंटी-सबमरीन वॉरफेयर युद्धपोत 'अर्नाला', दुश्मन की पनडुब्बियों को करेगा तबाह
नौसेना के मुताबिक इन युद्धपोतों का मुख्य उद्देश्य तटीय और उथले समुद्री क्षेत्रों में दुश्मन की पनडुब्बियों की पहचान करना, उन्हें ट्रैक करना और नष्ट करना है। ये पोत आधुनिक पनडुब्बी रोधी सेंसरों से लैस हैं।

नेवी को शामिल होगा INS Arnala
INS Arnala: भारतीय नौसेना का पहला एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (युद्धपोत) 'अर्नाला' नौसेना में शामिल होने जा रहा है। बुधवार को यह युद्धपोत भारतीय नौसेना का हिस्सा बन जाएगा। भारतीय नौसेना की तटीय रक्षा क्षमताओं को और सुदृढ़ करते हुए, 16 स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट युद्धपोतों को नौसेना में शामिल किया जा रहा है। इस श्रृंखला का पहला युद्धपोत 'अर्नाला' 8 मई को सौंपा गया था। अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान की अध्यक्षता में इसकी आधिकारिक कमीशनिंग की जाएगी।
समुद्री सुरक्षा क्षमता बढ़ाने में अहम कदम
यह परियोजना 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत भारतीय समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन युद्धपोतों का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स तथा कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा किया गया है। ये नए पोत पुरानी हो रही अभय-क्लास कॉर्वेट्स की जगह लेंगे। 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ निर्मित ये पोत भारत की बढ़ती हुई आत्मनिर्भरता और घरेलू रक्षा उद्योग की मजबूती का प्रतीक हैं।
दुश्मन की पनडुब्बियों को करेगा तबाह
नौसेना के मुताबिक इन युद्धपोतों का मुख्य उद्देश्य तटीय और उथले समुद्री क्षेत्रों में दुश्मन की पनडुब्बियों की पहचान करना, उन्हें ट्रैक करना और नष्ट करना है। ये पोत आधुनिक पनडुब्बी रोधी सेंसरों से लैस हैं। ये अंडरवॉटर अकॉस्टिक कम्युनिकेशन सिस्टम और लो-फ्रीक्वेंसी वैरिएबल डेप्थ सोनार युक्त हैं। इसके अलावा, इन युद्धपोतों में लाइटवेट टॉरपीडो, रॉकेट, एंटी-टॉरपीडो डिकॉय और माइन बिछाने का सिस्टम जैसे अत्याधुनिक हथियार लगे हैं। सभी सेंसर और हथियारों को कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम और इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स में एकीकृत किया गया है, जिससे इनकी परिचालन क्षमता अत्यधिक सशक्त हो जाती है।
पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता को मिलेगी धार
इन पोतों की तैनाती से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता और तटीय रक्षा तंत्र को नई धार मिलेगी। ये युद्धपोत भारत के विस्तृत समुद्री तट और महत्वपूर्ण अपतटीय परिसंपत्तियों की निरंतर और प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। इनकी उथले जल में संचालन करने की क्षमता के चलते ये पोत गश्त, निगरानी, और मानवीय सहायता जैसे कार्यों में भी दक्ष हैं।
भारतीय नौसेना के लिए ऐतिहासिक क्षण
नौसेना के मुताबिक इस परियोजना की सफलता यह साबित करती है कि भारत अब जटिल युद्धपोतों के डिजाइन, निर्माण और तकनीकी एकीकरण में पूर्ण रूप से सक्षम है। 'अर्नाला' का कमीशनिंग भारत के स्वदेशी रक्षा प्रयासों को नया बल देगा और विदेशी हथियारों पर निर्भरता को कम करते हुए देश की रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करेगा। 'अर्नाला' का शामिल होना भारतीय नौसेना के लिए ऐतिहासिक क्षण है। यह कदम भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में एक सक्षम, आत्मनिर्भर और प्रभावशाली समुद्री शक्ति के रूप में अधिक मजबूती से स्थापित करेगा। (आईएएनएस)
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