वो मंत्र... जिसने मोदी को 'अजेय' बना दिया! PM ने खुद बताया कि उन्होंने कहां से सीखा शासन
Chhatrapati Shivaji Maharaj: छत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व बहुआयामी था। वीर पराक्रमी महापुरुष जिन्होंने सुशासन और प्रशासन हिंदुस्तान के इतिहास में एक नवीन अध्याय लिखा और संकटों के बीच किया। संघर्षमय जीवन के रहते हुए किया शिवाजी महाराज ने राष्ट्रसेवा के लिए सशक्स सेना को प्राथमिकता दी उस काल में भी उन्होंने एक सशक्त नौसेना का निर्माण किया।
Chhatrapati Shivaji Maharaj: शौर्य की अदभुत तस्वीर, वीरों में महावीर..कुशल सैन्य रणनीतिकार..प्रखरता-पराक्रम और सुशासन की मिसाल..इन सभी शब्दों का एक ही अर्थ है- छत्रपति शिवाजी। आपने कहावत सुनी होगी कि इतिहास खुद को दोहराता है।आज इतिहास फिर से खुद को दोहरा रहा है। आगरा के उसी लालकिले में जहां औरंगजेब ने शिवाजी से छल किया था वहां शिवाजी की शौर्यगाथा गूंज रही है। मौका शिवाजी की जयंती का है जिसे बीजेपी ने एक बड़े आयोजन में बदल दिया। आगरा के लाल किले में शिंदे और फड़णवीस जैसे महाराष्ट्र के बड़े नेताओँ से लेकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ तक ने मराठा शिरोमणि छत्रपति शिवाजी को याद किया।
पीएम ने इस तरह किया यादइस आयोजन का मकसद क्या है? इसके पीछे किस तरह का सियासी संदेश छुपा है..इसके बारे में बताने से पहले जानिए कि पीएम मोदी ने अपने आदर्श शिवाजी को कैसे याद किया। पानी के बिना तरसते राज्यों को पानी कैसे पहुंचाया जा सकता है, छत्रपति शिवाजी महाराज ने पानी के लिए जो व्यवस्थाएं खड़ा की थी वो आज भी हमें प्रेरणा देती हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज यानि घोड़ा तलवार लड़ाई युद्ध विजय यहां तक सीमित नहीं हैं। वो पराक्रमी थे वीर थे पुरुषार्थी थे हम सबकी प्रेरणा हैं। पीएम मोदी ने कहा, 'मैं छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनके साहस एवं सुशासन पर उनके विचारों से हमें प्रेरणा मिलती है। पूरी दुनिया अगर मोदी की मुरीद है तो मोदी के आदर्श शिवाजी महाराज रहे हैं और ये बात कोई आज की नहीं है..प्रधानमंत्री मोदी की छत्रपति शिवाजी से क्या कनेक्ट है उसे जानने के लिए आपको एक किस्सा बताते हैं जब मोदी रायगड में शिवाजी की समाधि पर गए थे तो वहां काफी देर तक बैठे बैठे ध्यानमग्न हो गए थे।
शिवाजी की गहरी छापपीएम मोदी के वर्किंग स्टाइल पर नजर डालें तो ये साफ हो जाता है कि उनके जीवन पर शिवाजी की गहरी छाप है। मुसीबत में न घबराना..साहसी फैसले लेना, हालात से समझौता न करना, आगे बढ़कर नेतृत्व करना, राष्ट्र रक्षा के लिए सेना को मजबूत करना..कमजोर और वंचितों पर फोकस करना तथा अपनी सभ्यता और विरासत पर गर्व करना और सबसे पहले राष्ट्रहित--ये वो फॉर्मूले हैं जो छत्रपति शिवाजी के प्रेरणा लेते हुए पीएम मोदी ने भी अपनाए हैं। मोदी के करीबियों की मानें तो छत्रपति शिवाजी में पीएम मोदी का ये भरोसा आज से नहीं है बचपन से ही वो ऐसे महापुरुषों की जीवनियां पढ़ते आए हैं।अपनी मीटिंग्स में भी वो शिवाजी के बारे में सबको बताते रहे हैं।
राष्ट्रवाद के नायक हैं शिवाजीसवाल ये है कि मोदी शिवाजी को अपनी प्रेरणा क्यों मानते हैं, इसके लिए आपको अतीत के कुछ पन्ने पलटने होंगे। ये वो दौर था..जब मुग़लों की ताकत अपने चरम पर थी औरंगज़ेब अपनी ताकत और दौलत से हर उस हिंदू को ललकारता था जो उसे चुनौती देता था। 1670 के उस दशक में शिवाजी महाराज जब सिर्फ 16 साल के थे तब उन्होंने बीजापुर के बादशाह आदिल शाह के साथ युद्ध किया था और जब उनका निधन हुआ तब तक उनके पास करीब 300 किले थे। औरंगजेब की साम्राज्यवादी नीति के सामने सबसे बड़ा कांटा बन गए थे शिवाजी जिनका झंडा भगवा था, उन्होंने मुगलों को खुलकर चुनौती दी थी। अपने साम्राज्य की रक्षा के लिए उस वक्त नौसेना बनाई थी। तब से लेकर अब तक छत्रपति शिवाजी को राष्ट्रवाद का नायक माना जाता है।
क्योंकि शिवाजी ने मुगलों को नाको चने चबवाए थे इसलिए उन्हें हिंदुत्व-हिंदू हृदय सम्राट और राष्ट्रवाद के सिंबल के तौर पर भी देखा जाता है। बात मौजूदा दौर की करें तो ये वो वक्त है जब अपनी विरासत पर गर्व किया जा रहा है। गुलामी की निशानियों को मिटाया जा रहा है। ऐसे में सियासत के लिहाज से शिवाजी की महत्ता और भी ज्यादा बढ़ गई है।आगरा में मनाई जा रही शिवाजी की भव्य जयंति को कुछ लोग इस रूप में भी देख रहे है।
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