Good News: एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस से पीड़ित मरीजों पर नई दवा का सफल परीक्षण, वैज्ञानिकों ने पाया इलाज में कारगर

New Drug For Amyotrophic Lateral Sclerosis treatment: एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) जैसी गंभीर और दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए एक राहतभरी खबर सामने आई है। अमेरिका में वैज्ञानिकों ने एक नई दवा 'उलेफनेर्सन' का परीक्षण किया है, जिसके परिणाम बेहद उत्साहजनक रहे। खासतौर पर युवाओं में पाई जाने वाली एक आक्रामक किस्म 'FUS म्यूटेशन' पर यह दवा असरदार साबित हुई है।

New Drug For Amyotrophic Lateral Sclerosis treatment

New Drug For Amyotrophic Lateral Sclerosis treatment

तस्वीर साभार : IANS

New Drug For Amyotrophic Lateral Sclerosis treatment: कभी-कभी विज्ञान ऐसे चमत्कार कर दिखाता है जो सिर्फ राहत ही नहीं, उम्मीद भी देते हैं। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसी ही नई दवा का सफल परीक्षण किया है, जिसने एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस यानी ALS जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे कुछ मरीजों की हालत में चौंकाने वाला सुधार दिखाया है। यह बीमारी शरीर की नसों को धीरे-धीरे खत्म कर देती है, जिससे मरीज चलने-फिरने, बोलने और सांस लेने तक में असमर्थ हो जाता है। लेकिन अब एक नई दवा 'उलेफनेर्सन' ने इस बीमारी से लड़ने की एक नई राह खोल दी है, जिससे मरीजों को दोबारा सामान्य जिंदगी जीने की उम्मीद मिलने लगी है।

क्या है ALS और क्यों है यह बीमारी इतनी खतरनाक?

ALS यानी एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस एक दुर्लभ लेकिन बहुत ही गंभीर बीमारी है। इसमें दिमाग और रीढ़ की हड्डी की नसें धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं। इससे शरीर में संतुलन बनाए रखना, चलना-फिरना, हाथ-पैर समन्वित करना और यहां तक कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी को ‘लू गेहरिग रोग’ के नाम से भी जाना जाता है। खास बात यह है कि अभी तक इस बीमारी का कोई पक्का इलाज मौजूद नहीं था।

नई दवा से मरीजों की हालत में आया सुधार

वैज्ञानिकों ने जिस नई दवा का परीक्षण किया है उसका नाम है 'उलेफनेर्सन' (पहले जिसे जैकीफ्यूसेन कहा जाता था)। इस दवा को कोलंबिया यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. नील श्नाइडर और उनकी टीम ने खास तरह के ALS मरीजों पर आजमाया, जो 'FUS' नामक जीन में गड़बड़ी की वजह से होते हैं। यह किस्म बहुत आक्रामक होती है और अक्सर युवाओं में पाई जाती है। इस दवा से दो मरीजों में जबरदस्त सुधार देखा गया—एक युवती जो पहले वेंटिलेटर के सहारे सांस लेती थी, अब वह बिना सहारे चल सकती है और बिना वेंटिलेटर सांस ले रही है।

रोकथाम की दिशा में भी मिली सफलता

एक और केस में, 35 साल के एक पुरुष मरीज में ALS के कोई लक्षण नहीं थे, लेकिन जांच में संकेत मिले थे कि बीमारी शुरू हो सकती है। उन्हें लगातार तीन साल से यह दवा दी जा रही है और आज तक उनमें कोई लक्षण नहीं दिखे हैं। इसका मतलब यह है कि सही समय पर इलाज शुरू हो जाए तो बीमारी की शुरुआत को भी रोका जा सकता है।

दवा ने नर्व डैमेज के संकेतों को भी किया कम

परीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि छह महीने की दवा के बाद मरीजों के शरीर में मौजूद एक खास प्रोटीन ‘न्यूरोफिलामेंट लाइट’ का स्तर 83 फीसदी तक घट गया। यह प्रोटीन नसों के नुकसान को दर्शाता है, यानी दवा का असर बायोलॉजिकल स्तर पर भी दिखा है। हालांकि हर मरीज पर समान असर नहीं हुआ, लेकिन जिन पर हुआ, उनमें सुधार साफ नजर आया।

अब बड़े स्तर पर होगा परीक्षण

डॉ. नील श्नाइडर का कहना है कि “अगर हम सही समय पर और सही मरीजों पर ध्यान केंद्रित करें तो सिर्फ बीमारी की रफ्तार को नहीं रोका जा सकता, बल्कि कुछ हद तक नुकसान को भी पलटा जा सकता है।” अब यह दवा पूरी दुनिया में और अधिक मरीजों पर आजमाई जा रही है ताकि इसे व्यापक तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सके।

स्रोत: आईएएनएस (IANS)

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Vineet author

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