प्रदूषण और स्क्रीन टाइम का आंखों पर असर
How Pollution And Phone Are Secretly Attacking On Eyes: दिल्ली की हवा इन दिनों इतनी खराब हो चुकी है कि आंखें खोलना भी भारी लगने लगा है। ऊपर से दिनभर फोन या लैपटॉप की स्क्रीन पर नजरें टिकाए रखना, जैसे आंखों पर एक और वार कर देता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, प्रदूषण और डिजिटल स्क्रीन दोनों ही मिलकर आंखों में सूखापन, जलन, लालपन और थकान जैसे लक्षण बढ़ा रहे हैं। यानी आपकी आंखें एक डबल अटैक झेल रही हैं, एक तरफ जहरीली हवा, दूसरी तरफ स्क्रीन की ब्लू लाइट। लेकिन चिंता मत कीजिए, थोड़ी सावधानी और सही आदतों से इस परेशानी से बचा जा सकता है।
दिल्ली की जहरीली हवा में मौजूद धूल और केमिकल्स आंखों की नमी खींच लेते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि PM 2.5 और PM 10 जैसे कण आंखों की सतह पर जमकर उन्हें ड्राई बना देते हैं। इससे आंखों में जलन, खुजली और लालपन जैसी दिक्कतें होती हैं। खासतौर पर सुबह के वक्त और ट्रैफिक के बीच में आंखें ज्यादा जलने लगती हैं। यही वजह है कि प्रदूषण वाले दिनों में लोगों को अक्सर ड्राई आई सिंड्रोम की शिकायत बढ़ जाती है।
दिनभर मोबाइल, लैपटॉप या टीवी स्क्रीन देखने की आदत आंखों की मांसपेशियों पर दबाव डालती है। इससे डिजिटल आई स्ट्रेन नाम की समस्या होती है, जिसमें आंखें भारी, थकी और दर्दभरी महसूस होती हैं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ब्लू लाइट रेटिना को भी नुकसान पहुंचा सकती है और नींद की गुणवत्ता को घटा देती है। अगर आप देर रात तक फोन चलाते हैं, तो आपकी आंखों को आराम का समय नहीं मिल पाता।
प्रदूषण में मौजूद विषैले तत्व और स्क्रीन से आने वाली सूखापन, दोनों मिलकर आंखों के नेचुरल प्रोटेक्शन को कमजोर कर देते हैं। इससे बैक्टीरिया और वायरस के आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि इस समय कंजक्टिवाइटिस या पिंक आई के केस भी बढ़ रहे हैं। दिल्ली जैसी जगहों पर जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स अक्सर 400 से ऊपर रहता है, आंखों का संक्रमण होना आम बात बन गई है।
अगर आप भी दिल्ली की हवा और फोन स्क्रीन दोनों से परेशान हैं, तो कुछ आसान उपाय अपनाकर आंखों को राहत दे सकते हैं। घर लौटने पर ठंडे पानी से आंखें धोएं, ताकि धूल और प्रदूषण हट सके। लंबे समय तक स्क्रीन देखने से बचें, और हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लें जिसे 20-20-20 रूल कहा जाता है। स्क्रीन की ब्राइटनेस कम रखें और रात में ब्लू लाइट फिल्टर जरूर ऑन करें। बाहर जाते समय सनग्लास पहनना भी जरूरी है, ताकि प्रदूषण सीधे आंखों में न जाए।
अगर लगातार आंखों में जलन, सूखापन या धुंधला दिखना महसूस हो रहा है, तो इसे हल्के में न लें। डॉक्टर से आंखों की जांच कराएं, क्योंकि लंबे समय तक ऐसे लक्षण रहना किसी गंभीर समस्या की निशानी हो सकता है। डॉक्टर खास लुब्रिकेंट ड्रॉप्स या आई प्रोटेक्शन ग्लासेस की सलाह दे सकते हैं, जो आपकी आंखों की सुरक्षा में मददगार होंगे।
दिल्ली की जहरीली हवा और फोन की स्क्रीन दोनों ही आंखों के लिए खतरे की घंटी बन चुके हैं। एक तरफ प्रदूषण आंखों की नमी छीन रहा है, तो दूसरी ओर स्क्रीन का लगातार इस्तेमाल उन्हें थका रहा है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी आंखें सालों तक स्वस्थ रहें, तो थोड़ी सावधानी और सही आदतें अपनाना ही सबसे बड़ा इलाज है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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