हेल्थ

फेफड़ों की बीमारी में नेब्युलाइजर नहीं, ब्रीदिंग और पल्मोनरी एक्सरसाइज कर सकती हैं कमाल, खुलकर आएगी सांस

Breathing Exercises And Pulmonary Rehabilitation Benefits: क्या आप भी फेफड़ों से जुड़ी या सांस संंबधी बीमारी जूझ रहे हैं और इनसे राहत के लिए हर वक्त नेब्युलाइजर पर निर्भर रहते हैं? तो यह लेख आपके लिए है। बता दें कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन आपके फेफड़ों को फिर से मजबूत बना सकते हैं। ये एक्सरसाइज सांस लेने में आसानी लाती हैं, लंग्स की ताकत बढ़ाती हैं और जीवन की क्वालिटी सुधारती हैं। चलिए डॉक्टर से ही जानते हैं इनके फायदे....

ब्रीदिंग एक्सरसाइज

ब्रीदिंग एक्सरसाइज

Breathing Exercises And Pulmonary Rehabilitation Benefits: आजकल बढ़ते प्रदूषण, स्मोकिंग और अस्वस्थ लाइफस्टाइल की वजह से फेफड़ों की बीमारियां जैसे COPD, अस्थमा या पल्मोनरी फाइब्रोसिस बहुत आम हो गई हैं। ज्यादातर लोग राहत के लिए नेब्युलाइजर या इनहेलर का सहारा लेते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि केवल दवाएं ही नहीं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन भी फेफड़ों की सेहत के लिए बेहद जरूरी हैं।

दिल्ली के CK बिरला हॉस्पिटल के डायरेक्टर और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मित्तल बताते हैं कि सही एक्सरसाइज और फेफड़ों की ट्रेनिंग से सांस लेने की क्षमता बढ़ती है, शरीर में ऑक्सीजन का लेवल सुधरता है और मरीज अपने जीवन को पहले से ज्यादा एक्टिव महसूस करता है। यानी अगर आप सोचते हैं कि आपकी सांसें अब कभी पहले जैसी नहीं होंगी, तो ब्रीदिंग एक्सरसाइज आपको फिर से खुलकर सांस लेने का मौका दे सकती हैं।

ब्रीदिंग एक्सरसाइज से मजबूत होते हैं फेफड़े

डॉ. विकास मित्तल के अनुसार, ब्रीदिंग एक्सरसाइज देखने में भले ही आसान लगें, लेकिन इनके असर गहरे होते हैं। ये न सिर्फ फेफड़ों की मांसपेशियों को मजबूत करती हैं, बल्कि सांस की रफ्तार और कंट्रोल भी बेहतर बनाती हैं। इनमें दो एक्सरसाइज सबसे ज्यादा असरदार मानी जाती हैं - पर्स्ड-लिप ब्रीदिंग और डायफ्रामैटिक ब्रीदिंग।

पर्स्ड-लिप ब्रीदिंग में नाक से सांस लेकर होंठों को सिकोड़कर धीरे-धीरे छोड़ना शामिल है, जिससे एयरवे खुले रहते हैं और सांस लेने में आसानी होती है। वहीं डायफ्रामैटिक ब्रीदिंग पेट से गहरी सांस लेने पर फोकस करती है, जो डायफ्राम को मजबूत बनाती है और सांस लेने में खर्च होने वाली एनर्जी को कम करती है।

कैसे करती हैं ये एक्सरसाइज कमाल

ये एक्सरसाइज फेफड़ों के निचले हिस्सों को एक्टिव करती हैं, जो अक्सर सांस की समस्या वाले मरीजों में कम इस्तेमाल होते हैं। इससे शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है और सांस फूलने की समस्या में सुधार आता है। डॉ. मित्तल बताते हैं कि नियमित अभ्यास से मरीजों को न सिर्फ सांस की तकलीफ में राहत मिलती है बल्कि उन्हें खुद पर कंट्रोल महसूस होता है। इसके साथ ही एक्सरसाइज एंग्जायटी और घबराहट को भी कम करती हैं, जो अक्सर सांस की कमी के दौरान बढ़ जाती हैं।

क्या है पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन?

पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन एक होलीस्टिक प्रोग्राम है, जो सिर्फ एक्सरसाइज नहीं बल्कि पूरी जीवनशैली सुधारने पर काम करता है। इसमें फिजियोथेरेपिस्ट की देखरेख में वॉकिंग, साइकलिंग और हल्की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग कराई जाती है। इसके साथ-साथ मरीजों को सिखाया जाता है कि अपने इनहेलर का सही इस्तेमाल कैसे करें, सांस को कंट्रोल में कैसे रखें और अपने फेफड़ों को एक्सेसर्बेशन से कैसे बचाएं। इस प्रोग्राम में न्यूट्रिशन और साइकोलॉजिकल सपोर्ट भी शामिल होता है, जिससे मरीज मानसिक रूप से मजबूत महसूस करते हैं और अपने डाइट पर भी ध्यान दे पाते हैं।

पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन के फायदे

कई क्लिनिकल स्टडीज बताती हैं कि पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन से मरीज की एक्सरसाइज टॉलरेंस, फेफड़ों की क्षमता और क्वालिटी ऑफ लाइफ में उल्लेखनीय सुधार होता है। मरीज खुद बताते हैं कि अब वे पहले से ज्यादा दूरी तक चल सकते हैं, घर के काम खुद कर पाते हैं और हॉस्पिटल एडमिशन की नौबत कम आती है। डॉ. विकास मित्तल का कहना है कि ये प्रोग्राम न सिर्फ शरीर बल्कि दिमाग को भी ताकत देते हैं। इससे डिप्रेशन और एंग्जायटी में कमी आती है और मरीज अपनी लाइफ पर दोबारा कंट्रोल महसूस करता है।

किन लोगों के लिए फायदेमंद है यह थेरेपी

अगर आपको COPD, अस्थमा, इंटरस्टिशियल लंग डिज़ीज, पल्मोनरी फाइब्रोसिस है या आप फेफड़ों की सर्जरी से उबर रहे हैं, तो पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन आपके लिए वरदान साबित हो सकती है। डॉ. मित्तल बताते हैं कि जो लोग लंग ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं या सर्जरी के बाद रिकवरी में हैं, उनके लिए भी यह थेरेपी बेहद कारगर है। इससे फेफड़ों की मसल्स मजबूत होती हैं, सांस फूलना कम होता है और शरीर में एनर्जी बढ़ती है।

दवाएं और नेब्युलाइजर सिर्फ बीमारी को कंट्रोल करते हैं, लेकिन ब्रीदिंग एक्सरसाइज और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन शरीर को दोबारा सांस लेने की आजादी देती हैं। अगर आप सांस की तकलीफ से परेशान हैं, तो आज से ही इन एक्सरसाइज को अपने रूटीन में शामिल करें। हो सकता है, अगली बार आप बिना थके, बिना रुके खुलकर सांस ले पाएं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। हेल्थ (Health News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

लेटेस्ट न्यूज

Vineet
Vineet Author

विनीत टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में फीचर डेस्क के साथ बतौर चीफ कॉपी एडिटर जुड़े हैं। वे मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले हैं। इन्हें हेल्थ, फिटनेस और न्य... और देखें

End of Article