इजरायल-ईरान युद्ध हुआ तो कौन देश होगा किसके साथ, क्या जंग में कूदेंगे खाड़ी के देश?

Iran-Israel conflict : ईरान खाड़ी देशों के आतंकवादी एवं मिलिटैंट समूहों के जरिए पहले से ही इजरायल को नुकसान पहुंचाता रहा है। गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्ला इजरायल पर हमले करते आए हैं। इन दिनों गाजा और लेबनान में इजरायल इन दोनों समूहों से लड़ाई लड़ रहा है। इनके अलावा सीरिया, इराक, मिस्र और यमन के कट्टरपंथी आतंकी गुट ईरान की मदद के लिए आगे आ सकते हैं।

Iran-Israel conflict

मध्य पूर्व में नए सिरे से तनाव फैल गया है।

मुख्य बातें
  • बीते मंगलवार रात को ईरान ने इजरायल पर किया बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला
  • इजरायल पर उसने करीब 180 मिसाइलें दागीं, कई मिसाइलें अपने लक्ष्य तक पहुंचीं
  • समझा जाता है कि इजरायल जल्द ही ईरान पर प्रभावी जवाबी हमला करेगा

Iran-Israel conflict : इजरायल पर ईरान के बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार के बाद मध्य पूर्व में हालात एक बार फिर बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। बीते मंगलवार रात ईरान ने इजरायली रक्षा प्रतिष्ठानों एवं एयरबेस को निशाना बनाते हुए करीब 180 मिसाइलें दागीं। इनमें हाइपरसोनिक मिसाइल फतह-2 भी शामिल है, जो भारी तबाही मचाने की क्षमता रखती है। ईरान के मिसाइल हमलों को आयरन डोम और अन्य इजरायल की एयर डिफेंस सिस्टम ने काफी हद तक विफल कर दिया लेकिन कुछ मिसाइलें अपने लक्ष्य तक पहुंचीं। इनके गिरने से इजरायल में नुकसान हुआ होगा लेकिन जान-माल के नुकसान पर इजरायल की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। अब इजरायल ने कहा है कि वह इन हमलों का जवाब अपने तरीके से देगा। रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि इजरायल, ईरान के परमाणु संयंत्रों को निशाना बनाकर हमला कर सकता है। यहां तक कि उसके निशाने पर ईरान के तेल के कुंए और रक्षा प्रतिष्ठान हो सकते हैं। जाहिर है कि इजरायल, ईरान पर हमला करने की अपनी रणनीति पर काम कर रहा होगा। देर-सबेर वह इसका जवाब भी देगा।

रक्षा जानकार मान रहे हैं कि इजरायल के पलटवार के बाद संघर्ष का दायरा बढ़ सकता है। ईरान और इजरायल की इस लड़ाई में मध्य पूर्व के दूसरे मुस्लिम देश कूद सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो युद्ध की आग पूरे मध्य पूर्व में फैल जाएगी। विध्वंस और विनाश का नया मोर्चा खुल जाएगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कौन सा देश किसके साथ खड़ा है, जंग होने पर कौन का सा देश इजरायल और कौन ईरान के साथ खड़ा हो सकता है। पहले बात खाड़ी देशों के आतंकी एवं मिलिटैंट समूहों की जो युद्ध होने पर ईरान का साथ दे सकते हैं।

ईरान के साथ आ सकते हैं खाड़ी देशों के आतंकी गुट

ईरान खाड़ी देशों के आतंकवादी एवं मिलिटैंट समूहों के जरिए पहले से ही इजरायल को नुकसान पहुंचाता रहा है। गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्ला इजरायल पर हमले करते आए हैं। इन दिनों गाजा और लेबनान में इजरायल इन दोनों समूहों से लड़ाई लड़ रहा है। इनके अलावा सीरिया, इराक, मिस्र और यमन के कट्टरपंथी आतंकी गुट ईरान की मदद के लिए आगे आ सकते हैं और इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं। यमन के हूती विद्रोही पहले ही इजरायल की तरफ रॉकेट हमले कर चुके हैं। इराक में अल-नुजाब, महदी आर्मी, मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड, सीरिया के अस-साइका और फतह अल इंतिफदा से इजरायल को खतरा बना रहेगा। ये सभी एक साथ इजरायल पर को-ऑर्डिनेटेड हमला कर सकते हैं।

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सऊदी अरब

मध्य पूर्व या खाड़ी देशों में सऊदी अरब काफी अहमियत रखता है। इजरायल और ईरान युद्ध पर उसका रुख काफी मायने रखेगा। ईरान एक शिया देश और सऊदी सुन्नी मुल्क है। दशकों से दोनों देशों के बीच बनती नहीं है। लेकिन इजरायल के साथ युद्ध शुरू होने पर सऊदी अरब किसके साथ खड़ा होगा, यह उसके लिए भी एक बड़ी चुनौती है। मुस्लिम देश होने के नाते खाड़ी के देश चाहेंगे कि सऊदी अरब ईरान का साथ दे। लेकिन सऊदी अरब के इजरायल के साथ भी अच्छे रिश्ते हैं। दोनों देशों के बीच एक मजबूत सुरक्षा समझौता है। इलाके में इजरायल की आक्रामकता की उसने निंदा की और तुरंत संघर्षविराम की मांग की है। तो दूसरी तरफ वह इजरायल की मदद भी करता आया है। गत अप्रैल में जब ईरान ने ड्रोन और मिसाइलों से इजरायल पर हमला किया तो इस हमले की प्लानिंग की जानकारी इजरायल तक पहुंचाने वाले देशों में सऊदी अरब भी एक था।

संयुक्त अरब अमीरात, UAE

हिज्बुल्ला के चीफ हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बाद यूएई ने कोई बड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी है। एक तरह से चुप है। यूएई के अलावा कतर और बहरीन भी खामोश हैं। हालांकि बहरीन, ओमान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और कुवैत ने बयान जारी कर लेबनान की संप्रभुता, सुरक्षा और स्थिरता का समर्थन किया है।

मिस्रनसरल्लाह की मौत के बाद मिस्र ने कहा कि वह लेबनान की संप्रभुता के उल्लंघन को स्वीकार नहीं करता है। हालांकि ईरान समर्थित आतंकी गुटों और उसकी नीतियों को लेकर मिस्र उसकी खिलाफत करता रहा है। नसरल्लाह के मारे जाने के बाद मिस्र के राष्ट्रपति ने कहा था कि पूरा इलाका मुश्किल हालात में है।

जॉर्डनजॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फलस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी। इस युद्ध में जॉर्डन फलस्तीनियों के साथ खड़ा है और वह 'दो देशों' के सिद्धांत का समर्थन करता है।

तुर्कीतुर्की और इजराइल में राजनयिक संबंध हैं। खास बात यह है कि इजरायल को मान्यता देने वाला पहला मुस्लिम बहुल देश तुर्की ही था लेकिन अभी के हालात में तुर्की और इजरायल के संबंध मधुर नहीं हैं। इजरायल के हमलों के बाद तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन कई बार इजरायल के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दे चुके हैं।

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रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान-इजरायल युद्ध होने पर ये मुस्लिम देश तेहरान के समर्थन में बयान जारी कर सकते हैं लेकिन ईरान की तरफ से लड़ाई में ये शायद ही उतरें। हां, एक देश है जो ईरान को सैन्य मदद दे सकता है, वह रूस है। चीन भी सामने न आकर पीछे से ईरान को पैसे एवं तकनीक की मदद कर सकता है।

इजरायल के साथ ये देश

अब बात इजरायल की। युद्ध में इजरायल का साथ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और पश्चिमी देश दे सकते हैं। इजरायल के आस-पास समुद्र में अमेरिका के युद्ध पोत घातक हथियारों एवं मिसाइलों के साथ पहले से तैनात हैं। अमेरिका सीरिया, इराक सहित खाड़ी देशों में अपने सैन्य ठिकानों पर अपने सैनिकों की संख्या भी बढ़ा रहा है। अमेरिका, इजरायल की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेता है। वह इजरायल को नुकसान पहुंचने नहीं देगा। ईरान पर तो वह सीधे हमला नहीं करेगा लेकिन अपने हथियार, गोला बारूद और तकनीक से इजरायल की मदद करता रहेगा। ईरान को कमजोर और नकेल कसने के लिए पश्चिमी देश उस पर नए सिरे से नए और कड़े प्रतिबंध लागू कर सकते हैं।

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आलोक कुमार राव author

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