महागठबंधन के पहले मंथन में तेजस्वी को मिला CM फेस पर 'संकेत', सीट बंटवारे पर फंस सकता है पेच
Mahagathbandhan first meeting in Patna : बैठक में एक और अहम बात हुई वह है राजद नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव कोर्डिनेशन कमेटी का प्रमुख बनाया गया है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली महागठबंधन की कोर्डिनेशन कमेटी में कुल13 सदस्य होंगे। इसमें हर पार्टी से दो-दो सदस्यों को शामिल किया जाएगा। यह कमेटी ही बिहार चुनाव को लेकर गठबंधन में सभी तरह के फैसले लेगी।

बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होंगे।
Mahagathbandhan first meeting in Patna : देश में विपक्ष के दो गठबंधन हैं। एक है इंडिया गठबंधन दूसरा है महागठबंधन। एक अखिल भारतीय है जो पूरे देश में चुनाव लड़ता है तो दूसरा बिहार में सत्ता की दौड़ में रेस लगाता है। चूंकि चुनाव अभी देश का नहीं, बिहार का होने जा रहा है तो महागठबंधन का सियासी पारा भी चढ़ने लगा है, बैठकें होने लगी हैं और रणनीति बनाई जा रही है। महागठबंधन की पहली बैठक गुरुवार को पटना में हुई जिसमें राजद, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई माले और वीआईपी पार्टी ने हिस्सा लिया। चुनाव तैयारियों को लेकर हुई इस बैठक को कई मायनों में अहम माना जा रहा है। सीएम फेस और सीट बंटवारे को छोड़ चुनाव रणनीति बनाने, साझा कार्यक्रम चलाने और भाजपा पर ज्यादा आक्रामक रुख अख्तियार करने पर सहमति बनी।
तेजस्वी यादव को-ऑर्डिनेशन कमेटी की कमान
बैठक में एक और अहम बात हुई वह है राजद नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को-ऑर्डिनेशन कमेटी का प्रमुख बनाया गया है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली महागठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी में कुल 13 सदस्य होंगे। इसमें हर पार्टी से दो-दो सदस्यों को शामिल किया जाएगा। यह कमेटी ही बिहार चुनाव को लेकर गठबंधन में सभी तरह के फैसले लेगी। जाहिर है कि तेजस्वी यादव की महत्वाकांक्षा के अनुरूप उन्हें यह कमान सौंपी गई है। सीएम फेस भले ही मुहर नहीं लगी है लेकिन यह एक तरह का संकेत है कि चुनाव में महागठबंधन का चेहरा तेजस्वी होंगे। चूंकि, चेहरा वह होंगे तो सरकार बनने की सूरत में सीएम भी वही बनेंगे।
पिछली बार की तरह सीटें चाहती है कांग्रेस
महागठबंधन में सबसे ज्यादा पेच यदि किसी बात पर फंस सकता है तो वह है सीट बंटवारा। सीटों को लेकर सभी दलों के बड़े-बड़े दावे हैं। सीट बंटवारे पर गतिरोध महागठबंधन में कोई नई बात नहीं है। हर दल अपनी ताकत से ज्यादा सीटों का मोलभाव करता है, सीट बंटवारे पर खींचतान चलती है और एक समय बाद बिगड़ी हुई बात बन जाती है। रिपोर्टों की मानें तो कांग्रेस पिछली बार की तरह इस बार भी 70 सीटें चाहती है। सूत्रों का कहना है कि बीते दिनों तेजस्वी दिल्ली में जब राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन से मिले तो इस पर भी चर्चा हुई। कांग्रेस दो चार सीटें कम या ज्यादा पर तैयार हो सकती है लेकिन इस बार वह अपनी पसंद की सीटें चाहती हैं। पिछली बार उसे 30 सीटें ऐसी मिल गईं जिन पर राजद का प्रदर्शन खराब था।
50 से ज्यादा सीटें नहीं देना चाहता राजद
वहीं, एक्सपर्ट का मानना है कि राजद इस बार कांग्रेस को ज्यादा सीटें नहीं देना चाहती। वह ज्यादा से ज्यादा सीटें अपने पास रखते हुए सहयोगी दलों पर अपना बढ़त कायम रखना चाहती है। सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी 50 से ज्यादा सीटें कांग्रेस को देने के पक्ष में नहीं हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि जिन सीटों पर राजद चुनाव लड़ेगी वहां उम्मीदवारों को चुनाव की तैयारी करने के लिए कहा जा चुका है। बताया जा रहा है कि राजद अकेले डेढ़ सौ सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। डेढ़ सौ और कांग्रेस की 70 सीटों को अगर मिला दिया जाए तो यही 220 सीटें हो जाती हैं। बाकी बची 23 सीटों में वामदल, वीआईपी और अन्य दल के बीच क्या बंटवारा हो जाएगा और क्या वे मान जाएंगे? इसकी संभावना कम दिखती है। 2020 के चुनाव में वाम दलों ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में सीपीआई-एमएल का प्रदर्शन बेहतर था। इस आधार पर वाम दल ज्यादा सीटें चाहते हैं। इस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी कमजोर था। कांग्रेस सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई, उसका स्ट्राइक रेट करीब 27% था जबकि वाम दलों ने 29 में से 16 सीटें जीतीं और उनका स्ट्राइक रेट 55% का रहा।
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सहनी भी चाहते हैं अच्छी-खासी सीटें
मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी इस बार महागठबंधन में है। सहनी अपने लिए 60 सीटें और उपमुख्यमंत्री का पद भी चाहते हैं। सीट पाने की कतार में पशुपति पारस भी हैं। महागठबंधन का रास्ता यदि उनके लिए खुलता है तो उन्हें भी कुछ सीटें चाहिए होगी। कुल मिलाकर महागठबंधन में सबसे बड़ा पेंच सीट बंटवारा ही रहने वाला है। आने वाले दिनों में इस पर खींचतान, रस्साकशी देखने को मिल सकती है। महागठबंधन के दल और नेता भी इस बात को समझते हैं। साथ ही उन्हें लगता है कि इस पर कोई सर्वमान्य रास्ता भी निकल जाएगा। फिलहाल सभी दल अपना फोकस अभी चुनावी रणनीति, प्रचार अभियान, साझा कार्यक्रम और चुनावी मुद्दों पर केंद्रित कर रहे हैं।
जनता के मुद्दों के साथ चुनाव में जाएगा महागठबंधन
महागठबंधन की बैठक खत्म होने के बाद सभी नेता साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। इस दौरान तेजस्वी यादव के साथ बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू भी मौजूद रहे। तेजस्वी ने मीटिंग के बाद कहा-महागठबंधन की बैठक में सभी घटक दलों के नेताओं ने बिहार के मुद्दों पर बात की। इसमें महिला, युवा, बुजुर्गों, पलायन, गरीबी, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। बिहार में कानून व्यवस्था खराब है। पुलिस की पिटाई हो रही है, महिलाओं से बर्बरता हो रही है। बिहार में कानून नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। तो वहीं, बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि चुनाव में जनता की आवाज बनकर मोदी जी, अमित शाह और सीएम नीतीश से सवाल किया जाएगा। कुल मिलाकर महागठबंधन अपनी इस बैठक से संकेत दे दिया है कि वह इस चुनाव में पूरे दम-खम और उत्साह के साथ उतर रहा है। सियासी अखाड़े में लड़ाई आर-पार की होगी।
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