Sant Ravidas Jayanti Essay: कौन थे संत रविदास, जयंती पर ऐसे लिखें शानदार निबंध
Sant Ravidas Jayanti Essay in Hindi: संत रविदास मध्यकाल में एक भारतीय संत कवि सतगुरु थे। इन्हें संत शिरोमणि संत गुरु की उपाधि दी गई है। इन्होंने रविदासीया, पंथ की स्थापना की और इनके रचे गए कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं। इन्होंने जात पात का घोर खंडन किया और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया।

Sant Ravidas Jayanti Essay in Hindi
Sant Ravidas Jayanti Essay in Hindi, Sant Ravidas Biography in Hindi: यूपी सरकार ने 12 फरवरी को संत रविदास जयंती के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। दिल्ली में भी संत रविदास जयंती के अवसर पर अवकाश की घोषणा की गई है। ऐसे में कई छात्रों के दिमाग में ये सवाल आता है कि संत रविदास कौन थे (Who was Sant Ravidas)। आज हम आपको संत रविदास के बारे में बताएंगे और ये भी बताएंगे कि स्कूल में उन पर निबंध कैसे लिखें। बता दें कि संत रविदास मध्यकाल में एक भारतीय संत कवि सतगुरु थे। इन्हें संत शिरोमणि संत गुरु की उपाधि दी गई है। इन्होंने रविदासीया, पंथ की स्थापना की और इनके रचे गए कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं। इन्होंने जात पात का घोर खंडन किया और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया।
Sant Ravidas Jayanti Nibandh: संत रविदास जयंती निबंध
गुरु रविदास जी (रैदास) का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1433 को हुआ था। उनके पिता संतोख दास तथा माता का नाम कलसां देवी था। रैदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त ज्ञान प्राप्त किया था। रविदास जूते बनाने का काम किया करते थे।वह अपना काम पूरी लगन तथा परिश्रम से करते थे। उनके जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं से समय तथा वचन के पालन सम्बन्धी उनके गुणों का पता चलता है।
Sant Ravidas Jayanti Essay: संत रविदास जयंती निबंध
एक बार एक पर्व के अवसर पर पड़ोस के लोग गंगा-स्नान के लिए जा रहे थे। रैदास के शिष्यों में से एक ने उनसे भी चलने का आग्रह किया तो वे बोले, गंगा-स्नान के लिए मैं अवश्य चलता किन्तु गंगा स्नान के लिए जाने पर मन यहां लगा रहेगा तो पुण्य कैसे प्राप्त होगा? मन जो काम करने के लिए अन्त:करण से तैयार हो वही काम करना उचित है। मन सही है तो इसी कठौते के जल में ही गंगास्नान का पुण्य प्राप्त हो सकता है। कहा जाता है कि इस प्रकार के व्यवहार के बाद से ही कहावत प्रचलित हो गयी कि - मन चंगा तो कठौती में गंगा।
बता दें कि रैदास के 40 पद गुरु ग्रन्थ साहब में मिलते हैं जिसका सम्पादन गुरु अर्जुन साहिब ने 16 वीं सदी में किया था। रैदास की वाणी भक्ति की सच्ची भावना, समाज के व्यापक हित की कामना तथा मानव प्रेम से ओत-प्रोत होती थी। उनके दोहे समाज को आईना और राह दिखाने का काम करते हैं।
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कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से कस्बे खुर्जा का रहने वाला ह...और देखें

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