CBSE Open Book Exam: किताब खोलकर परीक्षा देना कितना सही? जानें ओपन बुक एग्जाम पर एक्सपर्ट की राय
Expert Views on CBSE Open Book Exam System: सीबीएसई बोर्ड ने कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए ओपन बुक परीक्षा का प्रस्ताव रखा है। इसको लेकर नवंबर महीने में ट्रायल शुरू हो सकता है। ओपन बुक एग्जाम सिस्टम पर एजुकेशन एक्सपर्ट की राय यहां देख सकते हैं।
ओपन बुक एग्जाम पर एक्सपर्ट की राय
CBSE की तरफ से ओपन बुक एग्जाम सिस्टम का नाम सामने आते ही शिक्षा जगत में हड़कंप का माहौल देखा जा रहा है। इस सिस्टम के लागू होने से शिक्षा व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? इससे छात्रों का भविष्य कैसा होगा? इस तरह के सवाल सामने आ रहे हैं। ओपन बुक एग्जाम पर BHU के असिस्टेंट प्रोफेसर और CBSE Board द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूल के टीचर्स से टाइम्स ग्रुप की खास बातचित हुई। आइए जानते हैं इसपर एक्सपर्ट का क्या कहना है।
सवाल: क्या ओपन बुक एग्जाम सिस्टम छात्रों के भविष्य के लिए सही होगा?
जवाब : इस सवाल के जवाब में BHU कॉमर्स संकाय के असिस्टेंट प्रोफेसर गौतम प्रधान ने कहा कि ओपन बुक एग्जाम से छात्रों की बौद्धिक क्षमता का विकास अलग तरह से होगा। इसको सीबीएसई किस तरीके से लेकर आती है यह देखना होगा। अगर इसे एकेडमिक सेशन में शामिल किया जाए तो ठीक है। हालांकि, दूसरे एंगल से देखा जाए तो इसको साइंस और बायोलॉजी में इसलिए शामिल किया जा रहा है ताकि छात्रों को प्रैक्टिकल की जानकारी बेहतर तरीके से हो सके। इसमें रट्टा मारने की जरूरत नहीं होगी।
सवाल: किताब खोल के परीक्षा होने से छात्रों पर क्या असर होगा?
जवाब : इसको किताब खोल के परीक्षा नहीं कह सकते हैं, क्योंकि एक ओपन-बुक टेस्ट किसी छात्र की याददाश्त कैसी है यह नहीं चेक कर सकता बल्कि किसी विषय को कितना बेहतर तरीके से पेश कर रहा है यह देखा जाएगा। स्टूडेंट की समझ और उसको प्रेजेंट करने की क्षमता कैसी है यह देखा जा सकता है।
सवाल : इससे हायर एजुकेशन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
जवाब : ओपन बुक सिस्टम से हायर एजुकेशन पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। कॉलेज लेवल पर सभी छात्र एक बराबर होते हैं और उनके लिए चैलेंज भी एक जैसा ही होता है। ओपन बुक से प्रैक्टिकल नॉलेज लेकर छात्र कॉलेज में आएंगे और वो रिसर्च बेस्ड पढ़ाई करने को तैयार रह सकते हैं।
स्कूल टीचर की राय
शुभि यादव आर्या स्कूल की एडिटोरियल हेड ने बताया कि स्कूल लेवल में इसको शामिल करना ठीक नहीं होगा। हालांकि, यह एजुकेशन सिस्टम में नया बदलाव है जिसे ठीक से समझना जरूरी है। इसको बोर्ड परीक्षा से जोड़ना सही नहीं रहेगा। हां, स्कूल में होने वाली परीक्षा इस पैटर्न पर कराई जा सकती है। अब यह पैटर्न सबके लिए नया होगा तो इसको सही तरीके से लागू होने में भी वक्त लगेगा। यही कारण है कि CBSE भी इसे ट्रायल बेसिस पर शुरू कर रहा है।
सैनिक स्कूल वाराणसी के इकोनॉमिक्स के टीचर अंकित दुबे ने कहा कि ओपन-बुक परीक्षा से छात्रों को विषयों को समझने में मदद मिलेगी, न कि केवल विषय को सीखने में। यह प्रणाली छात्रों को अपनी स्किल्स का उपयोग करके खुद के लिखे नोट्स बनाने के लिए भी प्रेरित करेगी। इस सिस्टम से छात्रों का परीक्षा में तनाव भी कम होगा। 9वीं से 12वीं तक की मुख्य परीक्षाओं को ओपन बुक से कराना सही फैसला हो सकता है। बोर्ड भी इसे एक ट्रायल के रूप में ले रही है। यही वजह है कि फिलहाल इस ओपन बुक सिस्टम को सीबीएसई द्वारा केवल एक ट्रेनिंग के तौर पर लागू किया जा रहा है।
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