Bihar: डॉक्टरों ने कैदी के पेट से निकाला मोबाइल फोन, जेल में पुलिस रेड के दौरान निगल लिया था

आईजीआईएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि यह पहली बार है जब बुधवार को एंडोस्कोपिक मशीन की मदद से इस आकार के गैजेट को बिना किसी सर्जिकल ऑपरेशन के निकाल लिया गया।

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प्रतीकात्मक तस्वीर (TOI)

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) के डॉक्टरों ने गोपालगंज जेल के कैदी के पेट से सफलतापूर्वक मोबाइल फोन निकाल लिया। इस कैदी ने पुलिस की छापेमारी के दौरान पकड़े जाने के डर से इसे निगल लिया था। जब कैदी को अस्पताल ले जाया गया तो डॉ. अहीश के झा की सलाह पर कैदी को ब्ल्ड टेस्ट और एक्स-रे करने को कहा गया। टेस्ट के बाद डॉक्टरों की एक टीम ने एंडोस्कोपिक मशीन का उपयोग किया।

पहली बार बिना ऑपरेशन निकाली इतनी बड़ी चीज

आईजीआईएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि यह पहली बार है जब बुधवार को एंडोस्कोपिक मशीन की मदद से इस आकार के गैजेट को बिना किसी सर्जिकल ऑपरेशन के निकाल लिया गया। यह घटना तब सामने आई थी जब जेल अधिकारियों द्वारा पकड़े जाने के डर से कैदी कैसर अली ने रविवार को अपना फोन निगलने के बाद पेट में दर्द होने की शिकायत की थी। जब जेल अधिकारियों को इसके बारे में पता चला तो वे उसे अस्पताल ले गए जहां उसके पेट में मोबाइल होने की पुष्टि हुई।

छापेमारी के दौरान निगल लिया था फोन

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेल की एक टीम जब जेल के अंदर औचक निरीक्षण कर रही थी, तब कैदी फोन पर बात कर रहा था। छापेमारी टीम को देखकर कैदी ने पकड़े जाने से बचने के लिए फोन निगल लिया। बाद में उसने जेल अधिकारियों को पेट में दर्द के बारे में बताया, जिसके बाद एक एक्सरे परीक्षण में उसके पेट में मोबाइल होने की पुष्टि हुई।

2020 में उत्तर प्रदेश के बरेली शहर के हजियापुर गांव के पास से नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में गोपालगंज पुलिस ने कैसर अली को गिरफ्तार किया था। अली को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था और वह पिछले तीन साल से जेल में है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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