पहली बार चुनाव लड़ा और CM को हराकर कहलाए ‘शीला’ जीत, बन गए नए मुख्यमंत्री

बात दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 की है। तब दिल्ली की सत्ता मं पिछले 15 वर्षों से कांग्रेस थी और इतने ही वर्षों से शीला दीक्षित मुख्यमंत्री के पद पर आसीन थी। साल 2012 में बनी नई नवेली पार्टी AAP इस बार चुनाव मैदान में थी। उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़ा और जीत गए।

Shielajeet-Arvind Kejriwal

अरविंद केजरीवाल ने जब शीला दीक्षित को हराया

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के तहत बुधवार 5 फरवरी को दिल्ली की सभी 70 सीटों पर एक साथ मतदान होगा। दिल्ली के इस विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस ने जोरदार प्रचार किया। इन पार्टियों के अलावा अन्य पार्टियों और निर्दलीयों ने भी भी जमकर प्रचार किया। चुनाव के इस दौर में हम दिल्ली के अब तक के मुख्यमंत्रियों के बारे में जान रहे हैं। आज बात करेंगे ऐसे मुख्यमंत्री की, उन्होंने पहली बार किसी भी स्तर का चुनाव लड़ा और मुख्यमंत्री बन गए। उन्हें उस समय लोग हल्के-पुल्के अंदाज में ‘शीला’जीत कहने लगे थे।

‘शीला’जीत नाम क्यों?

बात साल 2013 के विधानसभा चुनाव की है। 4 दिसंबर 2013 को मतदान हुआ और 8 दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित हुए। यानी 4 दिसंबर 2013 को दिल्ली की पांचवी विधानसभा के लिए मतदान हुआ। उस समय दिल्ली में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। सत्तारूढ़ पार्टी को सिर्फ 8 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा। उस चुनाव में BJP 32 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। जबकि साल 2012 के अंतिम दिनों में बनी आम आदमी पार्टी ने 70 में से 28 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया। इस चुनाव में AAP नेता अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़ा। उन्हें कुल 44,269 यानी 53.46 फीसद वोट मिले, जबकि शीला दीक्षित को 18,405 यानी 22.23 फीसद वोट ही मिले। इस तरह केजरीवाल ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के ऊपर जीत दर्ज की, जिसके बाद उन्हें ‘शीला’ जीत कहा जाने लगा।

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मुख्यमंत्री बने ‘शीला’जीत

अरविंद केजरीवाल की नई नवेली आम आदमी पार्टी को भले ही सिर्फ 28 सीटें मिली हों। लेकिन कांग्रेस की 8 सीटों के बाहरी समर्थन के दम पर उन्होंने सदन में बहुमत हासिल किया और दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए। अरविंद केजरीवाल ने पहली बार किसी भी तरह का चुनाव लड़ा, जीता और फिर पहली बार में ही मुख्यमंत्री बन गए।

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48 दिन के मुख्यमंत्री

28 दिसंबर 2013 को अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने। लेकिन उनकी यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और सिर्फ 48 दिन बाद ही 14 फरवरी 2014 को सरकार गिर गई। इस तरह उन्होंने सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री रहने का सुषमा स्वराज का 51 दिन का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इसके बाद दिल्ली में एक साल तक राष्ट्रपति शासन रहा।

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प्रचंड बहुमत के साथ मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी

साल 2015 में दिल्ली में एक बार फिर विधानसभा चुनाव हुए। इस बार अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतकर सभी को भौचक्का कर दिया। कांग्रस शून्य पर पहुंच गई और भाजपा की झोली में बाकी की बची तीन सीटें गईं। 14 फरवरी 2015 को अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर दूसरी बार शपथ ली। साल 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी को बड़ा बहुमत मिला। इस बार पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीतीं। कांग्रेस इस बार भी शून्य पर सिमट गई और भाजपा की झोली में बाकी की 8 सीटें आई।

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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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