GDP Calculation: सरकार बदलेगी GDP का आधार वर्ष ! 2011-12 से बदलकर किया जाएगा 2022-23, आंकड़ों की बढ़ेगी सटीकता
GDP Calculation in India: भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था की सटीक तस्वीर पेश करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आधार वर्ष अब 2011-12 से बदलकर 2022-23 करने का फैसला लिया गया है। इस बदलाव का मकसद देश की आर्थिक संरचना में आए परिवर्तनों को बेहतर ढंग से दर्शाना और आर्थिक आंकड़ों की सटीकता को बढ़ाना है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा, जो भारत की अर्थव्यवस्था को और पारदर्शी बनाएगा।

भारत में जीडीपी कैलकुलेशन का तरीका
- बदलेगा GDP का आधार वर्ष
- सरकार कर रही तैयारी
- बदलकर किया जाएगा 2022-23
GDP Calculation in India: भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था की सटीक तस्वीर पेश करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आधार वर्ष अब 2011-12 से बदलकर 2022-23 करने का फैसला लिया गया है। इस बदलाव का मकसद देश की आर्थिक संरचना में आए परिवर्तनों को बेहतर ढंग से दर्शाना और आर्थिक आंकड़ों की सटीकता को बढ़ाना है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा, जो भारत की अर्थव्यवस्था को और पारदर्शी बनाएगा।
ये भी पढ़ें -
नई समिति का गठन किया गया
इस बड़े बदलाव की निगरानी के लिए सरकार ने राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी सलाहकार समिति (एसीएनएएस) का गठन किया है। 26 सदस्यों वाली इस समिति की अध्यक्षता बिस्वनाथ गोल्डर कर रहे हैं, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, और अकादमिक क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं।
यह समिति नए डेटा स्रोतों की पहचान करेगी और राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी तैयार करने के लिए एडवांस्ड मेथड पर सलाह देगी। सरकार का लक्ष्य इस संशोधन को 2026 की शुरुआत तक पूरा करना है।
जीडीपी की कैलकुलेशन में आधार वर्ष
जीडीपी की कैलकुलेशन में आधार वर्ष एक स्थिर रेफ्रेंस पॉइंट के रूप में काम करता है, जो महंगाई को ध्यान में रखकर वास्तविक आर्थिक वृद्धि को मापता है। यह अर्थशास्त्रियों को कीमतों में बदलाव के बिना उत्पादन और सेवाओं की मात्रा की तुलना करने में मदद करता है।
नॉमिनल जीडीपी वर्तमान कीमतों पर आर्थिक उत्पादन को मापता है, जो हाई इंफ्लेशन या अपस्फीति के दौरान भ्रामक हो सकता है। वहीं, वास्तविक जीडीपी आधार वर्ष की कीमतों के आधार पर मुद्रास्फीति को समायोजित करके सटीक वृद्धि को दर्शाता है।
हर पांच साल में संशोधन की सलाह
मौजूदी जीडीपी चेन, जो 2011-12 के आधार वर्ष पर आधारित है, जनवरी 2015 में जारी की गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि आधार वर्ष को हर पांच साल में संशोधित करना चाहिए ताकि आर्थिक आंकड़े बदलते समय के साथ प्रासंगिक बने रहें। 2011-12 के आधार वर्ष के साथ तैयार आंकड़े अब वर्तमान आर्थिक परिदृश्य को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं कर पा रहे हैं, जिसके चलते यह बदलाव जरूरी हो गया था।
नीति निर्माताओं को मिलेगी मदद
हाल ही में, जुलाई-सितंबर 2024 की तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि सात तिमाहियों में सबसे कम 5.4% रही। ऐसे में नया आधार वर्ष 2022-23 न केवल आर्थिक आंकड़ों की गुणवत्ता को बढ़ाएगा, बल्कि नीति निर्माताओं को बेहतर निर्णय लेने में भी मदद करेगा। यह कदम भारत की सांख्यिकीय प्रणाली को और मजबूत करेगा, जिससे वैश्विक मंच पर देश की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। बिजनेस (Business News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

IMF ने भी माना भारत का लोहा; दुनिया में सबसे तेज भुगतान का UPI को मिल रहा श्रेय

Gold Price Today 10 July 2025: सोने-चांदी की कीमतों में बदलाव, बढ़ी या घटी, जानें ताजा रेट

TCS Q1 Results 2025: पहली तिमाही में टीसीएस का शानदार प्रदर्शन, डिविडेंड का किया ऐलान, जानिए रिकॉर्ड और पेमेंट डेट

LIC में हिस्सेदारी बेचेगी सरकार, 6.5 प्रतिशत शेयर हो सकते हैं कम

TCS Q1 results FY 2025-26: टीसीएस आज करेगा डिविडेंड का ऐलान, नतीजे पहले क्या है शेयर प्राइस
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited