रूस में पुतिन से मिलते NSA अजित डोभाल
India China Galwan Dispute: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चार साल से बना हुआ सैन्य गतिरोध धीरे-धीरे खत्म होता नजर आ रहा है। खबर है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में गलवान समेत चार प्वाइंट से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। इसकी पुष्टि खुद चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से की गई है। इसमें कहा गया है कि भारत और चीन ने रूस में अपनी बैठक के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के वास्ते माहौल बनाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की है।
यह अपडेट ऐसे समय पर आया है जब भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी रूस में हैं और दोनों ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के बाद एक सीक्रेट मीटिंग भी की थी। चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने गुरुवार को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स सदस्य देशों में सुरक्षा मामलों के लिए जिम्मेदार उच्च-स्तरीय अधिकारियों की बैठक से इतर बातचीत की। इस दौरान दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दों पर हाल के विचार-विमर्श में हुई प्रगति पर चर्चा की।
चार क्षेत्रों से सैनिकों की हुई वापसी
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से शुक्रवार को प्रेस वार्ता के दौरान पूछा गया कि क्या दोनों देश पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय से द्विपक्षीय संबंधों पर जमी बर्फ को हटाने के करीब हैं? इसपर माओ ने कहा कि दोनों सेनाओं ने चार क्षेत्रों से वापसी की है और सीमा पर स्थिति स्थिर है। उन्होंने कहा, हाल के वर्षों में, दोनों देशों की अग्रिम मोर्चे पर तैनात सेनाओं ने चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चार बिंदुओ से पीछे हटने का काम पूरा कर लिया है, जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है। चीन-भारत सीमा पर स्थिति आम तौर पर स्थिर और नियंत्रण में है।
LAC पर 75 मुद्दों का हुआ यह समाधान
चीनी विदेश मंत्रालय की यह टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा जिनेवा में दिए गए बयान के एक दिन बाद आई है। जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी से जुड़ी समस्याओं का लगभग 75 प्रतिशत समाधान हो गया है, लेकिन बड़ा मुद्दा सीमा पर बढ़ता सैन्यीकरण है। वहीं, डोभाल और वांग के बीच हुई बैठक के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने विज्ञप्ति में कहा कि दोनों पक्षों ने यह विश्वास व्यक्त किया कि चीन-भारत संबंधों की स्थिरता दोनों देशों के लोगों के बुनियादी और दीर्घकालिक हित में है तथा क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए अनुकूल है। इसमें कहा गया कि चीन और भारत ने दोनों देशों के शासनाध्यक्षों के बीच बनी सहमति को क्रियान्वित करने, आपसी समझ और विश्वास को बढ़ाने, निरंतर संवाद बनाए रखने और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए माहौल बनाने पर सहमति जताई।
2020 से जारी है गतिरोध
डोभाल और वांग की बैठक भारत और चीन के बीच कूटनीतिक वार्ता के दो सप्ताह बाद हुई है। कूटनीतिक वार्ता के दौरान दोनों पक्ष लंबित मुद्दों का समाधान तलाशने के लिए कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से संपर्क बढ़ाने पर सहमत हुए थे। भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध जारी है और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। हालांकि, दोनों पक्षों ने टकराव वाले कई बिंदुओं से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गिरावट आई। यह दशकों के बाद दोनों पक्षों के बीच हुआ सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। भारत का स्पष्ट रुख है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है।