BRICS 2023: भारत के लिए 'गेमचेंजर' साबित होगी इस बार की बैठक! जानिए अहम बातें

PM Modi In BRICS Summit 2023: करीब 3 साल बाद ऐसा होने जा रहा है जब ब्रिक्स देशों के राष्ट्र प्रमुख आमने-सामने बैठकर बातचीत करेंगे। इस सम्मेलन में भारत और चीन भी आमने सामने बैठकर चर्चा करेंगे। पीएम मोदी और जिनपिंग की बातचीत क्यों खास मानी जा रही है आपको समझाते हैं।

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BRICS की बैठक इस बार भारत के लिए क्यों है अहम?

BRICS Summit 2023: 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार सुबह दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हो गए हैं। कोरोना के चलते करीब 3 साल बाद ऐसा होने जा रहा है जब ब्रिक्स देशों के राष्ट्र प्रमुख आमने-सामने बैठकर मुद्दों पर चर्चा करेंगे। वैसे तो ये बातचीत कई मायनों में खास है, मगर भारत के दृष्टिकोण से ये अहम है कि चीन के साथ आमने-सामने चर्चा हो सकती है।

इस बार की बैठक अहम क्यों?

पिछले तीन सालों से BRICS देशों की बैठक कोरोना की वजह से ऑनलाइन हो रही थी। इस बार सभी देशों के राष्ट्र प्रमुख आमने-सामने बैठकर चर्चा करेंगे। इस बार दो अहम एजेंडे पर ब्रिक्स की बैठक होनी है। पहला एजेंडा है ब्रिक्स ग्रुप का विस्तार करना। जबकि दूसरा मुख्य एजेंडा है कि आपस में अपनी ही करेंसी में बिजनेस करना। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए भारत की ओर से पीएम मोदी भी साउथ अफ्रीका पहुंच रहे हैं।

BRICS पर मोदी को है ये विश्वास

पीएम मोदी ने विश्वास जताया कि यह सम्मेलन सदस्य देशों को भविष्य के सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने और संस्थागत विकास का जायजा लेने का उपयोगी अवसर प्रदान करेगा। रवानगी से पहले जारी बयान में प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स देश विभिन्न क्षेत्रों में एक मजबूत सहयोग एजेंडा अपना रहे हैं। हम मानते हैं कि ब्रिक्स विकास संबंधी अनिवार्यताओं और बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार सहित पूरे ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए चिंता का सबब बने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श करने का मंच बन गया है।

क्या इस बार चर्चा करेंगे मोदी-जिनपिंग?

दुनिया में इस वक्त सबसे तेज़ी से आगे बढ़नी वाली अर्थव्यवस्था भारत है। ऐसे में पीएम मोदी कई मुद्दों को इस बैठक में सामने रख सकते हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता सबसे अहम है। पिछले दो-तीन साल से सरहद पर चल रहे तनाव को देखते हुए इस चर्चा पर पूरी दुनिया की नजर होगी। हालांकि अभी ये तय नहीं है कि दोनों नेताओं के ही वार्ता होगी या नहीं।

लंबे समय से नहीं हुई है दोनों के बीच बातचीत

गलवान की घटना के बाद से ही एलएसी पर तनाव का माहौल है। सेना और विदेश मंत्रालय के बीच कई दौर की वार्ता हुई, मगर विवाद सुलझाने में कोई सफलता हाथ नहीं लगी। ऐसे में यदि मोदी और जिनपिंग द्विपक्षीय वार्ता करते हैं, तो ये मुद्दा अहम होगा। पिछले लंबे समय से दोनों देशों के प्रमुखों के बीच द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई है। पिछले वर्ष नवंबर में जब G20 समिट इंडोनेशिया में हुई थी। उस दौरान जिनपिंग और मोदी ने हाथ तो मिलाया था, मगर दोनों के बीच कोई बड़ी वार्ता नहीं हो सकी थी। अगर दोनों की मुलाकात दक्षिण अफ्रीका में होती है तो सीमा का विवाद सुलझने की उम्मीद है।

कब बना था BRICS? इसके बारे में जानिए

साल 2001 की बात है, जब गोल्डमैन सैक में एक पेपर छपा था, उस वक्त की इमर्जिंग इकॉनोमिक्स के बारे में जिक्र किया गया था। BRIC शब्द का इस्तेमाल किया गया और चार देशों का नाम लिया गया था। इसमें BRIC- ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन शामिल थे। हलचल तेज होने लगी और साल 2006 में BRIC ग्रुप बन गया। इसका पहला शिखर सम्मेलन साल 2009 में आयोजित हुआ। जब दक्षिण अफ्रीका इस ग्रुप से जुड़ा तो साल 2011 में इसका नाम BRICS कर दिया गया।

रवानगी से पहले क्या-क्या बोले पीएम मोदी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन ब्रिक्स देशों को भविष्य के सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने और संस्थागत विकास का जायजा लेने का उपयोगी अवसर प्रदान करेगा। बाद में उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'जोहानिसबर्ग में आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका रवाना हो रहा हूं। मैं ‘ब्रिक्स-अफ्रीका आउटरीच’ और ‘ब्रिक्स प्लस डायलॉग’ कार्यक्रमों में भी शामिल होऊंगा। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए चिंता का सबब बने विभिन्न मुद्दों और विकास के अन्य क्षेत्रों पर चर्चा करने के वास्ते मंच प्रदान करेगा।'

मोदी ने कहा कि वह कई अतिथि देशों के साथ बातचीत करने के लिए उत्सुक हैं, जिन्हें इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा, 'मैं जोहानिसबर्ग में मौजूद कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने को लेकर भी उत्सुक हूं।' प्रधानमंत्री ने बताया कि वह 25 अगस्त को यूनान के अपने समकक्ष क्यारीकोस मित्सोताकिस के निमंत्रण पर दक्षिण अफ्रीका से एथेंस जाएंगे। उन्होंने रेखांकित किया कि यह इस प्राचीन भूमि की उनकी पहली यात्रा होगी। प्रधानमंत्री ने कहा, 'मुझे पिछले 40 वर्षों में यूनान की यात्रा करने वाला पहला भारतीय प्रधानमंत्री बनने का सम्मान प्राप्त होगा।'

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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