Varuthini Ekadashi Vrat Katha: वरुथिनी एकादशी के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, हर मनोकामना होगी पूर्ण

Varuthini Ekadashi Vrat Katha (वरुथिनी एकादशी कथा): वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। जो इस साल 24 अप्रैल को मनाई जा रही है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की विधि विधान पूजा करते हैं। यहां आप देखेंगे वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा।

Varuthini Ekadashi Vrat Katha

Varuthini Ekadashi Vrat Katha

Varuthini Ekadashi Vrat Katha (वरुथिनी एकादशी कथा): हिंदू धर्म में वरुथिनी एकादशी का खास महत्व माना जाता है। मान्यता है इस दिन व्रत-पूजन करने से जीवन के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। इस एकादशी को लेकर यह भी मान्यता है कि जितना पुण्‍य सूर्य ग्रहण के दौरान स्‍वर्ण के दान से मिलता है, उतना ही वरुथिनी एकादशी पर व्रत रखने से मिलता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। यहां आप देखेंगे वरुथिनी एकादशी की कथा।

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Varuthini Ekadashi Vrat Katha (वरुथिनी एकादशी कथा)

वरुथिनी एकादशी की कथा अनुसार, प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर मान्धाता नामक राजा राज्य करते थे। जो अत्यंत दानशील और तपस्वी थे। एक दिन जब वे जंगल में तपस्या कर रहे थे, तब अचानक से जंगली भालू आया और उनका पैर चबाने लगा। लेकिन तब भी राजा अपनी तपस्या में लीन रहे। फिर कुछ समय बाद भालू उनका पैर चबाते-चबाते उन्हें घसीटकर पास के जंगल में ले गया।

राजा बहुत घबराये लेकिन तापस धर्म अनुकूल उन्होंने क्रोध और हिंसा न करके भगवान विष्णु से प्रार्थना की। राजा की पुकार सुनकर भगवान श्रीहरि विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने अपने चक्र से भालू को मार डाला। लेकिन राजा का पैर भालू पहले ही खा चुका था। जिससे राजा बहुत ही दुख में थे। उन्हें दुःखी देखकर भगवान विष्णु बोले: हे वत्स! दुखी मत हो। तुम मथुरा जाओ और वरूथिनी एकादशी का व्रत रखो और मेरी वराह अवतार मूर्ति की विधि विधान पूजा करो। उस व्रत के प्रभाव से तुम पुन: सुदृढ़ अंगों वाले हो जाओगे।

भगवान की आज्ञा मानकर राजा मान्धाता मथुरा गए और वहां जाकर श्रद्धापूर्वक उन्होंने वरूथिनी एकादशी का व्रत किया। कुछ ही समय बाद इस व्रत के प्रभाव से राजा का पैर वापस आ गया। साथ ही इसी एकादशी के प्रभाव से राजा मान्धाता स्वर्ग भी गये। कहत हैं जो भी व्यक्ति भय से पीड़ित है उसे वरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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