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Sharad Purnima Puja Samagri: शरद पूर्णिमा की पूजा में क्या-क्या सामान लगता है? नोट करें शरद पूर्णिमा की पूजा सामग्री लिस्ट

Sharad Purnima Puja Samagri (शरद पूर्णिमा की पूजा सामग्री): शरद पूर्णिमा एकमात्र ऐसी रात होती है जब चंद्रमा अपनी सोलहों कलाओं से पूर्ण होता है। इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यहां से आप शरद पूर्णिमा की पूजा सामग्री लिस्ट देख सकते हैं।

शरद पूर्णिमा पूजा सामग्री (pic credit: canva)

Sharad PurnimaPuja Samagri (शरद पूर्णिमा की पूजा सामग्री): हिंदू धर्म में पूर्णिमा को शुभ माना गया है। पंचांग के अनुसार आश्विन माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। साथ ही इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। शरद पूर्णिमा की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ होती है। यहां से आप इसकी पूजा की पूरी सामग्री लिस्ट देख सकते हैं।

Sharad Purnima Samagri List (शरद पूर्णिमा सामग्री लिस्ट)-

  • चांदी/पीतल/तांबे का कलश
  • गंगाजल
  • साफ सफेद कपड़ा
  • मां लक्ष्मी और चंद्र देव की प्रतिमा
  • अक्षत
  • कुमकुम, हल्दी, चंदन
  • धूप, दीपक, रुई, घी या तेल
  • फूल
  • पंचमेवा
  • मिठाई
  • खीर
  • चांदी या स्टील की थाली और कटोरी
  • जल से भरा एक लोटा और चम्मच
  • घंटा
  • शंख
  • कलावा

Sharad Purnima Puja Vidhi (शरद पूर्णिमा पूजा विधि)-

शरद पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, तालाब या सरोवर में स्नान करें। अगर आस-पास नदी या तालाब नहीं है तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। अगर व्रत रख रहे हैं तो स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा वाली जगह को साफ़ करें और वहां अपने आराध्य देव की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद भगवान को सुंदर वस्त्र, आभूषण इत्यादि पहनाएं। फिर भगवान को वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी और दक्षिणा आदि अर्पित करें। इसके बाद विधि विधान पूजा करें। फिर रात में गाय के दूध से खीर बनायें और उसमें घी और चीनी मिलाकर भोग लगाएं। फिर मध्य रात्रि में इस खीर को चांद की रोशनी रख दें। फिर दूसरे दिन इस खीर को प्रसाद के रूप में वितरित करें। अगर शरद पूर्णिमा पर व्रत रख रहे हैं तो कथा जरूर सुनें। कथा पढ़ने या सुनने से पहले एक लोटे में जल और गिलास में गेहूं, दोने में रोली व चावल रखकर कलश की वंदना करें फिर दक्षिणा चढ़ाएं। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान शिव-पार्वती और भगवान कार्तिकेय की भी पूजा होती है।

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Srishti
Srishti Author

सृष्टि टाइम्स नाऊ हिंदी डिजिटल में फीचर डेस्क से जुड़ी हैं। सृष्टि बिहार के सिवान शहर से ताल्लुक रखती हैं। साहित्य, संगीत और फिल्मों में इनकी गहरी रूच... और देखें

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