Narmada Jayanti 2025 Muhurat: नर्मदा जयंती आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और नर्मदा स्नान का महत्व
Narmada Jayanti 2025 Puja Muhurat (नर्मदा जयंती 2025 पूजा मुहूर्त): धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति पाप के बंधनों से मुक्त होता है। मां नर्मदा की जयंती पर भक्त पूजा व आरती शुभ मुहूर्त में विधि-विधान करते हैं। ऐसे में आज हम आपको नर्मदा जयंती 2025 पूजा मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में बताएंगे।

Narmada Jayanti 2025 Puja Muhurat, Puja Vidhi And Mantra
Narmada Jayanti 2025 Puja Muhurat (नर्मदा जयंती 2025 पूजा मुहूर्त): भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहां पर नदियों को माता कहकर संबोधित किया जाता है। भारत में गंगा और यमुना नदी के बाद से नर्मदा नदी की बहुत महत्ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर नर्मदा जयंती का उत्सव मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन नर्मदा नदी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर्मदा नदी के तट पर स्नान और ध्यान करते हैं ताकि वे अपने पाप-कर्मों से मुक्त हो सके। इस दिन के पूजन-अर्चन से शारीरिक एवं मानसिक कष्ट दूर होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन के साथ नर्मदा नदी को पूजता है उसे देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में चलिए इस पवित्र दिन के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि को जानते हैं।
Narmada Jayanti 2025 Puja Muhurat (नर्मदा जयंती 2025 पूजा मुहूर्त)
विक्रम संवत के पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 04 फरवरी, मंगलवार को सुबह 04 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और 5 फरवरी, बुधवार को देर रात 02 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, 04 फरवरी, मंगलवार को नर्मदा जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इसी काल में नर्मदा जयंती का पूजन-अर्चन किया जाएगा।
Narmada Jayanti Puja Vidhi (नर्मदा जयंती पूजा विधि)
•सवेरे ब्रह्म मुहूर्त उठें और स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
•मां नर्मदा के पूजन का संकल्प लें और दिन की शुरुआत करें।
•घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें।
•पावन नदी नर्मदा नदी में स्नान और ध्यान करें।
•पीले रंग के वस्त्र पहने और सूर्य भगवान सूर्य देव को जल दें।
•इसके बाद विधिपूर्वक मां नर्मदा और लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें।
* मंत्र जाप के लिए ॐ ह्रिम श्रीं नर्मदायै नमः, त्वद्यापादपङ्कजं नमामि देवी नर्मदे, ऐं श्रींमेकल-कन्यायैसोमोद्भवायैदेवापगायैनमः पढ़ा जा सकता है।
Narmada Jayanti Importance (नर्मदा जयंती का महत्व)
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पावन दिन पर नर्मदा नदी का जन्म हुआ था। नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं और उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर अमरकंटक में नर्मदा नदी के तट पर भव्य मेला लगता है जहां भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मां नर्मदा सदियों से अपनी भक्तों के पाप धुलते आ रही हैं।
Narmada Ashtakam Lyrics in Hindi (नर्मदा अष्टकम लिरिक्स हिंदी में)
मान्यताओं के अनुसार नर्मदा जयंती पर श्री नर्मदा अष्टकम का पाठ करने से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यहां देखें नर्मदा अष्टकम लिरिक्स हिंदी में -
॥ श्री नर्मदा अष्टकम ॥
सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम
द्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतम
कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥1॥
त्वदम्बु लीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकम
कलौ मलौघ भारहारि सर्वतीर्थ नायकं
सुमस्त्य कच्छ नक्र चक्र चक्रवाक् शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥2॥
महागभीर नीर पुर पापधुत भूतलं
ध्वनत समस्त पातकारि दरितापदाचलम
जगल्ल्ये महाभये मृकुंडूसूनु हर्म्यदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥3॥
गतं तदैव में भयं त्वदम्बु वीक्षितम यदा
मृकुंडूसूनु शौनका सुरारी सेवी सर्वदा
पुनर्भवाब्धि जन्मजं भवाब्धि दुःख वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥4॥
अलक्षलक्ष किन्न रामरासुरादी पूजितं
सुलक्ष नीर तीर धीर पक्षीलक्ष कुजितम
वशिष्ठशिष्ट पिप्पलाद कर्दमादि शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥5॥
सनत्कुमार नाचिकेत कश्यपात्रि षटपदै
धृतम स्वकीय मानषेशु नारदादि षटपदै:
रविन्दु रन्ति देवदेव राजकर्म शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥6॥
अलक्षलक्ष लक्षपाप लक्ष सार सायुधं
ततस्तु जीवजंतु तंतु भुक्तिमुक्ति दायकं
विरन्ची विष्णु शंकरं स्वकीयधाम वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥7॥
अहोमृतम श्रुवन श्रुतम महेषकेश जातटे
किरात सूत वाड़वेषु पण्डिते शठे नटे
दुरंत पाप ताप हारि सर्वजंतु शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥8॥
इदन्तु नर्मदाष्टकम त्रिकलामेव ये सदा
पठन्ति ते निरंतरम न यान्ति दुर्गतिम कदा
सुलभ्य देव दुर्लभं महेशधाम गौरवम
पुनर्भवा नरा न वै त्रिलोकयंती रौरवम ॥9॥
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे
नमामि देवी नर्मदे, नमामि देवी नर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे
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