Muharram 2025 Date in India: कब दिखेगा मुहर्रम का चांद? तारीख के साथ जानें मुहर्रम क्यों है अर्थ और यह शोक का महीना

Muharram 2025 Date in India (मुहर्रम का चांद कब होगा 2025 में): भारत में मुहर्रम 2025 की शुरुआत 27 जून 2025 (शुक्रवार) की शाम से हो सकती है। मुहर्रम से इस्लामिक नववर्ष की शुरुआत होती है और यह इस्लामिक हिजरी कैलेंडर का पहला महीना होता है। मुहर्रम को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में गिना जाता है। हालांकि ये तिथियां चांद के दीदार पर निर्भर करती हैं।

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Muharram kab se hai 2025 mein

Muharram 2025 Date in India (मुहर्रम का चांद कब होगा 2025 में): मुहर्रम इस्लामिक हिजरी कैलेंडर का पहला महीना होता है। मुहर्रम को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में रखा जाता है। इस दौरान संघर्ष और युद्ध परंपरागत रूप से वर्जित होते हैं। वहीं कैलेंडर में मुहर्रम का त्योहार बकरीद के 20 दिन बाद मनाया जाता है। 2025 में मुहर्रम की शुरुआत 27 जून 2025 (शुक्रवार) की शाम से होगी। वैसे ये तिथि चांद के दीदार पर भी निर्भर करती है।

Muharram 2025 kab se start hai

  • पहला मुहर्रम (शुरुआत) - 27 जून 2025 (शुक्रवार शाम)
  • 10 मुहर्रम (आशूरा) - 6 जुलाई 2025 (रविवार)

Ashura Roza 2025 Kab Hai

आशूरा का दिन दुनिया याद करती है। आशूरा, जो 2025 में 6 जुलाई को पड़ने की उम्मीद है (चांद देखने के अनुसार), महीने का सबसे भावनात्मक दिन माना जाता है। इस्लामिक इतिहास में 10 मुहर्रम (आशूरा) के दिन, पैगंबर मोहम्मद साहब के नाती हज़रत इमाम हुसैन को करबला (आज के इराक में) शहीद कर दिया गया था।

मुहर्रम को शोक का महीना क्यों कहा जाता है

मुहर्रम को सत्य, बलिदान और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष का महीना कहा जाता है। पैगंबर मोहम्मद साहब के नाती हजरत इमाम हुसैन बहुत नेक, सच्चे और बहादुर इंसान थे। उन्होंने जािलम बादशाह यजीद के आगे सिर झुकाने से इनकार कर दिया था। इमाम हुसैन अपने परिवार और 72 साथियों के साथ इराक के करबला नामक जगह पहुंचे। व

हां यजीद की बड़ी सेना ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया। पानी तक बंद कर दिया, यहां तक कि छोटे बच्चों को भी। इमाम हुसैन का 6 महीने का बच्चा अली असगर भी यहीं शहीद हो गया था। 10 मुहर्रम (आशूरा) के दिन इमाम हुसैन भी लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। तभी मुहर्रम सामूहिक शोक का समय होता है और इस दौरान ताजिए निकलते हैं।

यादों से भरा नया वर्ष, आनंद से नहीं

इस्लामी नववर्ष मुहर्रम के साथ शुरू होता है, लेकिन अधिकांश नए आरंभों के विपरीत, यहां कोई पार्टी या शुभकामनाएं नहीं होती हैं। यह इतिहास के उस अध्याय पर ध्यान देने का समय है जो जब लोगों ने सिद्धांत के लिए दुखद परिणाम को चुना।

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मेधा चावला author

टाइम्स नाउ नवभारत में मेधा चावला सीनियर एसोसिएट एडिटर की पोस्ट पर हैं और पिछले सात साल से इस प्रभावी न्यूज प्लैटफॉर्म पर फीचर टीम को लीड करने की जिम्म...और देखें

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