Holashtak 2023: होलाष्टक शुरू, अब आठ दिनों तक भूलकर भी न करें ये काम

Holashtak 2023 Start Date: होलिका दहन (Holika Dahan) से 8 दिन पहले की अवधि को होलाष्टक के नाम से जाना जाता है। ये हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर होलिका दहन तक चलते हैं। इस दौरान सभी मांगलिक कार्यों की मनाही होती है।

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होलाष्टक हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर होलिका दहन तक चलते हैं

Holashtak 2023 Starting Date: सनातन धर्म के लोकप्रिय पर्व होली के 8 दिन पहले से होलाष्टक लग जाते हैं। होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होते हैं और वे होलिका दहन तक चलते हैं। इस साल होलाष्टक 27 फरवरी से लग रहे हैं। हालांकि, यह समय अपने आराध्य देवी-देवताओं की पूजा के लिए अतिउत्तम माना जाता है। लेकिन इस दौरान सभी मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। माना जाता है कि अगर कोई इन दिनों शुभ कार्य करता है तो उन्हें कई सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। तो चलिए अब ये भी जान लेते हैं कि होलाष्टक के दौरान किन कामों को करने से बचना चाहिए। साथ ही इस साल होलाष्टक कब से कब तक रहेगा ये भी जान लेंगे।

March 2023 Festivals Calendar

कब से शुरू हैं होलाष्टक?(Holashtak 2023 Date):

हर साल होलाष्‍टक फाल्गुन माह की अष्टमी तिथि से शुरू होकर होलिका दहन तक चलता है। जो कि इस साल 27 फरवरी को शुरू हो रही है और 07 मार्च 2023 को होलिका दहन के साथ समाप्त हो जाएगा। यह पूरे 8 दिनों तक चलता है।

होलाष्टक में इन कामों की मनाही (Holashtak Me Kya Na Kare)

  • होलाष्टक के दिनों में 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार आदि जैसे शुभ कार्य न करें।
  • इस दौरान किसी तरह के धार्मिक कार्य हवन, यज्ञ आदि की भी मनाही होती है।
  • होलाष्टक के समय नए वाहन, मकान, प्लॉट या प्रॉपर्टी की खरीदारी से बचने की जरूरत है।
  • होलाष्टक के समय नई नौकरी ज्वाइन न करें। वरना परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • ध्यान रहे व्यवसाय शुरू करने के लिए यह समय शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में आपको बिजनेस शुरू करने से बचना चाहिए।
  • शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक शुरू होने पर नवविवाहित महिलाएं अपने मायके में रहें तो ही अच्छा है।

होलाष्टक में क्यों नहीं हो सकते हैं शुभ काम?

हिंदू धर्म में होलाष्टक को बेहद अशुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुम मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से नवग्रह अस्त और रुद्र अवस्था में होते हैं। ऐसे में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। क्योंकि इस दौरान किए गए कार्यों का परिणाम नकारात्मक मिलता है।

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