Christmas Tree क्यों सजाया जाता है, इसका हिंदी नाम क्या है, जानिए क्रिसमस ट्री का इतिहास और महत्व
Christmas Tree History In Hindi: क्रिसमस पर्व का नाम सामने आते ही सबसे पहले दिमाग में आता है क्रिसमस ट्री। एक खूबसूरत हरे रंग का पौधा जिसे इस खास दिन पर रंग बिरंगी चीजों से सजाया जाता है। ये पौधा आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिसमस डे पर इस ट्री को सजाने की शुरुआत कब और क्यों की गई। तो चलिए आपको बताते हैं क्रिसमस ट्री का रोचक इतिहास।
Christmas Tree History In Hindi
Christmas Tree History In Hindi (क्रिसमस ट्री का इतिहास): क्रिसमस डे पर तैयार किया जाने वाला क्रिसमस ट्री इस पर्व का मुख्य आकर्षण होता है। जिसे कुछ दिन पहले से ही सजाना शुरू कर दिया जाता है। लोग इस ट्री को रंगबिरंगी लाइटों, कुछ खास चीजों और उपहारों से सजाते हैं। क्रिसमस ट्री को लेकर ये मान्यता है कि इसे इसलिए सजाया जाता है जिससे साल भर आपका जीवन क्रिसमस ट्री की तरह जगमगाता रहें। क्रिसमस ट्री को हिंदी में सनोबर का पेड़ या फिर फर का पेड़ भी कहा जाता है।
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क्रिसमस ट्री का इतिहास (Christmas Tree History In Hindi)
क्रिसमस के पेड़ शंकुधारी होते हैं यानी कि ये नीचे से चौड़े और ऊपर की ओर पतले बढ़ते चले जाते हैं। अब सवाल ये आता है कि आखिर क्रिसमस डे पर इस पेड़ को सजाने की परंपरा कैसे शुरू हुई। तो आपको बता दें कि इस चीज को लेकर एकदम सही-सही जानकारी तो नहीं मिलती है लेकिन ऐसा कहा जाता है कि सदियों पहले से ही इस पेड़ और इसकी डाल को क्रिसमस ट्री के रूप में सजाने की परंपरा चली आ रही है। मान्यताओं अनुसार प्राचीन समय में रोमनवासी फर के पेड़ को मंदिर सजाने के लिए इस्तेमाल करते थे। जबकि जीसस को मानने वाले लोग इस वृक्ष को यीशू के साथ अनंत जीवन के प्रतीक के रूप में सजाया करते थे।
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कुछ मान्यताओं अनुसार इस पेड़ को सजाने की परंपरा उत्तरी यूरोप से शुरू हुई थी। कहते हैं उस समय में लोग क्रिसमस ट्री को सीलिंग फेन से लटकाते थे। इसके अलावा लोग उस दौरान चैरी के वृक्ष को भी सजाया करते थे। क्रिसमस ट्री से जुड़ी एक कहानी बताती है कि जब संत बोनिफेस इंग्लैंड छोड़कर जर्मन सभी को ईसा मसीह का संदेश सुनाने के उद्देश्य से गए तो वहां उन्होंने देखा कि कुछ लोग प्रभु को प्रसन्न करने के लिए ओक पेड़ के नीचे एक बच्चे की बलि दे रहे थे कहते हैं तब संत बोनिफेस ने गुस्से में उस पेड़ को ही कटवा डाला और फिर उस जगह पर एक नया पौधा लगाया और उस पौधे को ईसा मसीह के जन्म का प्रतीक मानकर कई तरह की मोमबत्तियों से सजाया। कहते हैं इसी दिन से क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा शुरू हो गई थी। कहते हैं इसके बाद क्रिसमस मनाने के लिए पहली बार सदाबहार पेड़ का उपयोग रिगा (लातविया की राजधानी) के टाउन स्क्वायर में किया गया।
जर्मनी में पहली बार कुछ इस तरह से सजाया गया था क्रिसमस ट्री
जानकारी अनुसार जर्मनी में पहली बार साल सन् 1605 में क्रिसमस ट्री सजाने के लिए कागज के गुलाब, सेब और केंडीस का इस्तेमाल किया गया था। उस समय क्रिसमस ट्री के सबसे ऊपर बालक यीशु का स्टेच्यू रखते थे। इसके बाद उस स्थान पर एंजल की प्रतिमा रखी जाने लगी। फिर धीरे-धीरे इस क्रिसमस ट्री पर सितारे को रखा जाने लगा और आज भी क्रिसमस ट्री के सबसे ऊपर स्टार को जरूर रखा जाता है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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