Bhaum Pradosh Vrat 2023: कब रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
Bhaum Pradosh Vrat 2023: हिंदू धर्म में भादव का महीना बहुत खास माना जाता है। ऐसे में इस महीने में आने वाले व्रत त्योहार का विशेष महत्व है। भाद्रपद महीने का पहला प्रदोष व्रत बहुत खास होता है। भाद्रपद का पहला भौम प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है। इस व्रत का क्या महत्व है। यहां जानें सारी डिटेल।
Bhaum Pradosh Vrat 2023
Bhaum Pradosh Vrat 2023 Date: हर महीने में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। इस कारण पूरे 12 महीने में 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। हर प्रदोष व्रत का अपना महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा उपासना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत का पालन करने से सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं। अभी भाद्रपद का पावन महीना चल रहा है। इस महीने में अनेक व्रत त्योहार आते हैं। ऐसे में इस महीने के पहले भौम प्रदोष व्रत का महत्व और बढ़ जाता है। इस बार ये व्रत 12 सितंबर 2023 को मंगलवार के दिन पड़ रहा है। मंगलवार के दिन इस व्रत के पड़ने से इस बार साधकों पर शिव और हनुमान जी की कृपा एक साथ बरसेगी। इस व्रत के दिन शाम को मुख्य रूप से पूजा की जाती है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में।
Bhaum Pradosh Vrat 2023 Dateइस बार सितंबर के महीने में भौम प्रदोष व्रत 12 सितंबर 2023 को मंगलवार के दिन रखा जाएगा। मंगलवार का दिन होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। शास्त्रों में भौम प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। इस दिन शिव जी की पूजा करने से साधक को शिव और हनुमान दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भौम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्तभादव महीने का पहला भौम प्रदोष व्रत 12 सितंबर को रखा जाएगा। इस व्रत की शुरुआत 11 सितंबर को रात के 11 बजकर 52 मिनट से हो जाएगी। साथ ही इस व्रत का समापन 13 सितंबर को सुबह 2 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में पूजा का शुभ समय 12 सितंबर की शाम 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
भौम प्रदोष व्रत महत्वशास्त्र के अनुसार हनुमान जी को शिव का रुद्रावतार माना गया है। इस दिन जो भी साधक सच्चे मन से शिव की भक्ति और व्रत उपासना करता है। उसे शिव के साथ- साथ हनुमान जी का भी आशीर्वाद मिलता है। जिन लोगों के कुंडली में मांगलिक दोष होता है उन्हें भौम प्रदोष व्रत करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मांगलिक दोष समाप्त होता है। मंगल ग्रह की शांति के लिए भी ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। इसको करने से साधक को शारिरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही उसके जीवन में खुशहाली आती है।
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