बारी बरसी खटन गया सी: बारह बरस की मेहनत और एक गीत की धुन, पिंड से पब तक कैसे पहुंचा बारी बरसी का राग

Baari Barsi Khatan Gaya Si: बारी बरसी खटन गया सी का महत्व केवल इसके शब्दों या लय में नहीं, बल्कि इसके सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ में है। शादियों में, जब बारात निकलती है या जब दुल्हन की विदाई होती है, यह गीत माहौल को हल्का और उमंग से भर देता है।

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बारी बरसी खटन गया सी क्या है? पंजाब में क्यों गाते हैं बारी बरसी (Photo: AI Image)

Baari Barsi Khatan Gaya Si: पंजाब की मिट्टी में बसी एक धुन, गांव की गलियों में गूंजती एक आवाज और उत्सवों की रौनक में थिरकती एक बोली - बारी बरसी खटन गया सी। यह बोल केवल एक गीत के नहीं, बल्कि एक संस्कृति की सांस हैं। यह लोकगीत समय की धूल में भी अपनी चमक बरकरार रखे हुए है। दरअसल बारी बरसी खटन गया सी न सिर्फ़ एक गीत है, बल्कि यह उन कहानियों का दस्तावेज़ है, जो मेहनत, प्रेम, और समर्पण की गाथाएं सुनाती हैं।

क्या है बारी बरसी खटन गया सी

बारी बरसी खटन गया सी एक पारंपरिक पंजाबी लोकगीत है, जो पंजाब की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। इसकी जड़ें उन गांवों में हैं, जहां लोग खेतों में काम करते हुए, शादियों में नाचते हुए या मेहनत के बाद सुकून की सांस लेते हुए गीत गाते थे। यह गीत विशेष रूप से बोली या टप्पा शैली में गाए जाते हैं जिनमें हास्य, प्रेम और सामाजिक संदेश छिपे होते हैं।

सामाजिक इतिहास के पन्नों को पलटें तो पता चलता है कि इस गीत का जन्म पंजाब के गांवों में हुआ। यह गीत उन लोगों की कहानी कहता है, जो लंबे समय तक घर से दूर कमाने जाते थे और लौटते वक्त अपने परिवार वालों के लिए कुछ ना कुछ उपहार लेकर आते थे। बारी बरसी का मतलब होता है बारह साल और खटन गया सी का मतलब है कमाने गया था।

यह गीत उस मेहनतकश की कहानी बयां करता है, जो बारह साल तक मेहनत करके अपने परिवार के लिए कुछ खास लेकर लौटता है चाहे वह लोई हो, सितारा हो, गहना हो या कोई और कीमती चीज़। धीरे-धीरे यह गीत पंजाब के उन मर्दों की पहचान बन गया जो रोजी-रोटी के लिए शहरों या विदेशों में जाते थे।

सादे बोल और गहरे भाव

बारी बरसी खटन गया सी के शब्द भले बेहद सादे हैं लेकिन इनमें गहरी भावनाएं छिपी हैं। गीत की पहली पंक्ति बारी बरसी खटन गया सी, खट के लियांदी लोई कहती है कि बारह साल तक कमाने के लिए बाहर रहा और आते वक्त शॉल लेकर आया है। वहीं दूसरी पंक्ति कहती है कि सारी दुनिया देख लई मां तेरे जेहा न कोई। इसका मतलब है कि पूरी दुनिया देख ली लेकिन मां के जैसा कोई नहीं है। यहां जो शॉल वह लेकर आया है वह केवल एक कपड़ा नहीं, बल्कि यह प्रेम, समर्पण और इंतज़ार का प्रतीक है तो दूसरी पंक्ति मां के प्रति श्रद्धा और उनके समान कुछ और ना होने की बात करती है।

एकजुटता का राग है बारी बरसी

इस गीत के आसान बोल, साधारण लय और दोहराव इसे आसानी से याद रखने की सहूलियत देते हैं। यही सहूलियत इसे घर की चारदीवारी से बाहर शादी ब्याह जैसे सामूहिक उत्सवों की तरफ ले जाते हैं। जब यह गीत उत्सवों का हिस्सा बने तो इनमें हास्य और चंचलता जुड़ती गई। यह ऐसा गीत बन गया जिसे लोग समूह में गाते। शादियों और त्योहारों में बारी बरसी गाना एक रस्म सा बन गया।

उत्सवों में थिरकती धुन

बारी बरसी खटन गया सी का महत्व केवल इसके शब्दों या लय में नहीं, बल्कि इसके सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ में है। शादियों में, जब बारात निकलती है या जब दुल्हन की विदाई होती है, यह गीत माहौल को हल्का और उमंग से भर देता है। भांगड़ा और गिद्दा जैसे वहां के पारंपरिक लोक कलाओं के साथ इसकी लय तालमेल बिठाती है, जिससे यह वहां के समुदाय की एकता और खुशी का प्रतीक बन जाता है।

पिंड से पब तक का सफर

बारी बरसी खटन गया सी का चलन समय के साथ बदला है। हालांकि इसकी लोकप्रियता पहले की ही तरह बरकरार है। परंपरागत रूप से यह गीत उन ग्रामीण उत्सवों का हिस्सा था, जहां लोग एक साथ जमा होते थे, गाते थे और नाचते थे। इसकी सादगी और लय ने इसे हर उम्र के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया। आधुनिक युग में यह गीत पंजाब के पिंड से निकल बड़े शहरों के पब तक पहुंच चुका है।

दरअसल साल 2010 में यशराज बैनर के तले बनी फिल्म बैंड बाजा बारात में संगीतकार सलीम सुलेमान ने बेहद खूबसूरत तरीके से इस लोकगीत को फिल्मी जामा पहनाया। यह गाना खूब पॉपुलर हुआ। देखते ही देखते म्युजिक क्लब और पब में भी बारी बरसी सुनाई देने लगा। यहां भी इस गीत पर लोगों में वहीं उमंग दिखता जो पंजाब के किसी पिंड में नजर आता था। दूसरी कुछ और अन्य फिल्मों में भी बारी बरसी की धूम देखने को मिली। लेकिन मिलेनियल्स के बीच जो काम बैंड बाजा बारात ने किया उसे कम नहीं आंका जा सकता है।

पंजाब की धड़कन: बारी बरसी की अमर गूंज

बारी बरसी खटन गया सी एक ऐसा लोकगीत है जो समय की मार झेलकर भी जिंदा है। यह गीत हमें याद दिलाता है कि संस्कृति केवल परंपराओं में नहीं बल्कि उन कहानियों में बसती है जो पीढ़ियों तक गूंजती हैं। यह मेहनत, प्रेम और सामुदायिक एकता की कहानी है जो कभी पुरानी नहीं पड़ती।

आज जब ग्लोबलाइजेशन और मॉडर्नाइजेशन जैसी चीजें हमारी परंपराओं को बदल रही हैं, यह गीत हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है। यह हमें सिखाता है कि मेहनत और प्रेम का मूल्य कभी कम नहीं होता। चाहे गांव की गलियों में गाया जाए या शहर के डांस फ्लोर पर। बारी बरसी खटन गया सी हमेशा पंजाब की धड़कन बना रहेगा।

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Suneet Singh author

सुनीत सिंह टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर कार्यरत हैं। टीवी और डिजिटल पत्रकारिता में 13 साल का अनुभव है। न्यूज़रूम में डेस्क पर...और देखें

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