Amrita Pritam Poems: तड़प किसे कहते हैं तू यह नहीं जानती.., पढ़ें अमृता प्रीतम की मशहूर कविताओं के टॉप लाइनर
Amrita Pritam Poem on Love: अमृता प्रीतम ने साल 2005 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी आखिरी नज्म थी -मैं तुम्हें फिर मिलूंगी। अमृता प्रीतम की नज्में आज भी लोगों के दिलों तक पहुंच रही है। उम्मीद करते हैं कि आपको भी अमृता प्रीतम की कलम से निकले ये नज्म खूब पसंद आएंगी।

Amrita Pritam Poems in Hindi Text
Amrita Pritam Poems in Hindi: अमृता प्रीतम हिंदी और पंजाबी की मशहूर कवियित्री और साहित्यकार थीं। उनका जन्म 31 अगस्त, 1919 में पाकिस्तान के गुजरांवाला में हुआ था। अमृता प्रीतम ने हर विषय पर कलम चलाई है। महज 16 साल की उम्र में अमृता की शादी प्रीतम सिंह से हो गई। इस शादी से उन्होंने सिर्फ पति का नाम कबूल किया। शादी में प्यार कभी ना हुआ। ये बात अलग है कि अमृता और प्रीतम के दो बच्चे हुए। अमृता को मशहूर गीतकार साहिर से इश्क था। एकतरफा इश्क। ऐसा इश्क जिसे अंजाम तक लाना मुमकिन ना था। अमृता ने उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ दिया। अमृता की शख्सियत उनके नगमों में झलकती है। आइए डालते हैं एक नजर अमृता प्रीतम की कविताओं के टॉप लाइनर पर एक नजर:
1. धरती का दिल धड़क रहा है
सुना है आज टहनियों के घर
फूल मेहमान हुए हैं
2. तेरा मिलना ऐसे होता है
जैसे कोई हथेली पर
एक वक़्त की रोजी रख दे
3. जहाँ भी
आज़ाद रूह की झलक पड़े
समझना वह मेरा घर है
4. अब सूरज रोज वक़्त पर डूब जाता है
और अँधेरा रोज़ मेरी छाती में उतर आता है
5. वह देख! परे सामने उधर
सच और झूठ के बीच
कुछ ख़ाली जगह है
6. तड़प किसे कहते हैं,
तू यह नहीं जानती
किसी पर कोई अपनी
ज़िन्दगी क्यों निसार करता है
7. मैं उस वक़्त का फल हूँ
जब आज़ादी के पेड़ पर
बौर पड़ रहा था
8. तू अपना बदन भी उतार दे
उधर मूढ़े पर रख दे
कोई खास बात नहीं
बस अपने अपने देश का रिवाज़ है
9. आँखों में कंकड़ छितरा गए
और नज़र जख़्मी हो गई
कुछ दिखाई नहीं देता
दुनिया शायद अब भी बसती है
10. पर यादों के धागे
कायनात के लम्हे की तरह होते हैं
अमृता प्रीतम
सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गई,
हमारी दोनों की तकदीरें
11. उमर की सिगरेट जल गयी
मेरे इश्के की महक
कुछ तेरी सान्सों में
कुछ हवा में मिल गयी
12. उसने तो इश्क की कानी खा ली थी
और एक दरवेश की मानिंद उसने
मेरे श्वाशों कि धुनी राम ली थी
13. तुम्हारी याद इस तरह आयी
जैसे गीली लकड़ी में से
गहरा और काला धुंआ उठता है
बता दें कि अमृता प्रीतम ने साल 2005 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया । उनकी आखिरी नज्म थी -मैं तुम्हें फिर मिलूंगी। अमृता प्रीतम की नज्में आज भी लोगों के दिलों तक पहुंच रही है। उम्मीद करते हैं कि आपको भी अमृता प्रीतम की कलम से निकले ये नज्म खूब पसंद आए होंगे।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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