महाकुंभ नहाने तो नहीं जा रहे आप? स्नान लायक नहीं है संगम का पानी; जानें क्या है फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया

Mahakumbh 2025: महाकुंभ के आयोजन से त्रिवेणी संगम में गंगा नदी का पानी बीओडी स्तर बढ़ने के कारण स्नान के लिए असुरक्षित है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक, यदि बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, तो नदी के पानी को स्नान के लिए उपयुक्त माना जाता है। आपको बताते हैं कि आखिर फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया क्या है।

Mahakumbh 2025

स्नान लायक नहीं है संगम का पानी, संक्रमण के हो सकते हैं शिकार।

What is Fecal Coliform Bacteria: प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में गंगा नदी का पानी वर्तमान में स्नान के लिए असुरक्षित है, क्योंकि इसमें जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) निर्धारित सीमा से अधिक है। सरकारी आंकड़ों से यह बात सामने आई है। महाकुंभ के दौरान संगम में प्रतिदिन लाखों लोग डुबकी लगा रहे हैं। बीओडी, जल की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए एक प्रमुख मापदंड है। बीओडी, जल में जैविक पदार्थों को तोड़ने के लिए सूक्ष्मजीवों के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा है। बीओडी का उच्च स्तर पानी में अधिक जैविक सामग्री को प्रदर्शित करता है। यदि बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, तो नदी के पानी को स्नान के लिए उपयुक्त माना जाता है।

संगम में बढ़ गया है फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया का स्तर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने रिपोर्ट दायर कर यह जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दी है कि गंगा और यमुना का पानी कई जगहों पर नहाने लायक नहीं है और फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया का स्तर काफी बढ़ गया है। सीपीसीबी के अनुसार फीकल कोलीफार्म सीवेज प्रदूषण का संकेतक है। सबसे पहले आपको बता देते हैं कि आखिर फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया क्या है।

आखिर क्या है फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया?

गर्म रक्त वाले जानवरों और मनुष्यों की आंतों में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इन्हें आमतौर पर पानी में संभावित प्रदूषण के संकेतक के रूप में माना जाता है। ये काफी हानिकारक होते हैं। फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया एक प्रकार का ऐसा बैक्टीरिया है, जो जानवरों और मानव मल में पाया जाता है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर मानव शरीर में हानिरहित होता है, लेकिन यह जल स्रोतों और भोजन में प्रवेश करके बीमारी का कारण बन सकता है। पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए अक्सर फीकल कोलीफॉर्म की जांच की जाती है।

फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया को आमतौर पर ई. कोली (Escherichia coli) के रूप में जाना जाता है। यह बैक्टीरिया मानव मल में पाया जाता है और यह जल स्रोतों में प्रवेश करके पानी को दूषित कर सकता है। फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया के संक्रमण से कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं।

  • पेट की बीमारियां
  • दस्त
  • उल्टी
  • पेट में दर्द
  • बुखार

इसके अलावा इस बैक्टीरिया के चलते श्वसन संक्रमण होने का भी खतरा होता है। साथ ही त्वचा संबंधी बीमारियों का भी डर सताता है। कई लोगों ने तो ये तक दावा किया है कि इससे कैंसर का भी खतरा हो सकता है। फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया के संक्रमण से बचने के लिए, यह आवश्यक है कि आप स्वच्छता का ध्यान रखें और जल स्रोतों को दूषित न होने दें। इसके अलावा, आप अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं और अपने भोजन को स्वच्छ और सुरक्षित तरीके से तैयार करें।

सरकारी आंकड़ों पता चली है ये जरूरी बात

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण को बताया था कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कई स्थानों पर नदी का पानी स्नान के लिए उपयुक्त नहीं है। हालांकि, इसने कहा था कि ताजा जल का प्रवाह होने के कारण, 13 जनवरी के बाद नदी के पानी की गुणवत्ता बीओडी के मामले में स्नान के लिए मानदंडों को पूरा करती है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि संगम में नदी का पानी वर्तमान में बीओडी के लिए सुरक्षित सीमा को भी पार कर रहा है।

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि संगम में नदी का पानी वर्तमान में इस सीमा को पार कर रहा है। संगम में 16 जनवरी को सुबह 5 बजे बीओडी का स्तर 5.09 मिलीग्राम प्रति लीटर था। यह 18 जनवरी को शाम 5 बजे 4.6 मिलीग्राम प्रति लीटर और 19 जनवरी (बुधवार) को सुबह 8 बजे 5.29 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, 13 जनवरी को जब महाकुंभ शुरू हुआ था, उस वक्त संगम में बीओडी का स्तर 3.94 मिलीग्राम प्रति लीटर था।

लगातार घटता जा रहा है संगम में बीओडी का स्तर

मकर संक्रांति (14 जनवरी) को यह बेहतर होकर 2.28 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया और 15 जनवरी को और घटकर एक मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया। हालांकि, 24 जनवरी को यह बढ़कर 4.08 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया और मौनी अमावस्या (29 जनवरी) को 3.26 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया। तीन फरवरी को राष्ट्रीय हरित अधिकरण को सौंपी गई रिपोर्ट में सीपीसीबी ने कहा कि प्रयागराज में अधिकांश स्थानों पर 12-13 जनवरी को निगरानी के दौरान नदी के पानी की गुणवत्ता ने स्नान के मानकों को पूरा नहीं किया।

सीपीसीबी की रिपोर्ट में कहा गया है, 'हालांकि, उसके बाद, ऊपरी स्थानों पर ताजा पानी के प्रवेश के कारण जैविक प्रदूषण (बीओडी के संदर्भ में) कम होने लगा। रिपोर्ट के अनुसार, 13 जनवरी 2025 के बाद, 19 जनवरी 2025 को गंगा नदी पर लॉर्ड कर्जन पुल के नीचे के स्थान को छोड़कर नदी के पानी की गुणवत्ता बीओडी के संबंध में स्नान के मानदंडों के अनुरूप है।

26 फरवरी को महा शिवरात्रि के दिन समाप्त हो जाएगा महाकुंभ

उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के अनुसार, गंगा में 10,000 से 11,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, ताकि यह स्नान के मानकों को पूरा करे। महाकुंभ 26 फरवरी को महा शिवरात्रि के दिन समाप्त हो जाएगा। अब तक 54 करोड़ से अधिक लोग त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा चुके हैं। महाकुंभ नगर दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर है, जहां हर समय 50 लाख से 1 करोड़ श्रद्धालु मौजूद रहते हैं।

ये तीर्थयात्री प्रतिदिन कम से कम 1.6 करोड़ लीटर मल-जल तथा खाना पकाने, कपड़े धोने और स्नान करने जैसी गतिविधियों से 24 करोड़ लीटर ग्रेवॉटर (घरेलू कार्यों का अपशिष्ट जल) उत्पन्न करते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि 2019 के अर्धकुंभ के बाद से नदी के पानी की गुणवत्ता और स्वच्छता में सुधार करने में सरकार की सफलता के कारण श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि 2019 से पहले, कुंभ में शौचालय नहीं होते थे। अधिकारी लाल झंडा लगाकर एक क्षेत्र निर्धारित करते थे, तंबू उपलब्ध कराते थे और खुले में शौच किया जाता था। सिंह ने कहा, '2019 में पहली बार हमने 1.14 लाख शौचालय बनाए, जिनके नीचे प्लास्टिक के टैंक लगाए गए, ताकि अपशिष्ट जल-मल एकत्र किया जा सके। हर दो-तीन दिन में मल-जल को बाहर निकाला जाता है और उसे दूर खुले ऑक्सीकरण तालाबों में ले जाया जाता है। इस बार 1.5 लाख शौचालय और दो मल-जल शोधन संयंत्र बनाए हैं।

सिंह ने कहा कि मल-जल शोधन के लिए 200 किलोमीटर लंबा अस्थायी जल निकासी नेटवर्क स्थापित किया गया है। साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल (एसएएनडीआरपी) के समन्वयक हिमांशु ठक्कर ने कहा कि राज्य सरकार यह दावा करने में बेहद गैरजिम्मेदार रही है कि नदी में स्नान करने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, जबकि नदी का पानी इसके लिए अनुपयुक्त है। स्नान के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना सरकार का नैतिक कर्तव्य है। जब पानी सुरक्षित नहीं होता है, तो संक्रमण का खतरा बना रहता है।

संगम का जल स्नान और आचमन दोनों के योग्य: CM योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि संगम का जल स्नान और आचमन दोनों के योग्य पाया गया है। उन्होंने विपक्षी दलों पर तंज कसते हुए खासतौर से सपा प्रमुख अखिलेश यादव, उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। बजट सत्र के दूसरे दिन विधानसभा में शून्यकाल में समाजवादी पार्टी के सदस्यों की कार्यस्थगन की मांग (नियम-56 के तहत सदन की कार्यवाही रोक कर चर्चा कराने की मांग) के दौरान आरोपों का जवाब देते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा,'उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड लगातार जल की गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है तथा ताजा रिपोर्ट के अनुसार, संगम का जल स्नान और आचमन दोनों के योग्य पाया गया है।'

योगी ने संगम के जल की सराहना करते हुए 2013 के दौरान गंगा और यमुना की गंदगी का जिक्र किया तथा याद दिलाया कि उस समय स्थिति इतनी खराब थी कि मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने गंगा में डुबकी लगाने से इनकार कर दिया था। वर्ष 2013 में अखिलेश यादव के नेतृत्व की समाजवादी पार्टी की सरकार में भी कुंभ का आयोजन हुआ था। योगी ने नदियों की स्वच्छता का वर्णन करते हुए सदन को बताया कि इस बार 81 नालों के सिलसिले में 261 ‘एमएलडी शोधन’ की व्यवस्था की गई है।

उन्होंने कहा कि जनवरी और फरवरी में संगम नोज पर फीकल कोलीफार्म (मल संबंधी बैक्टेरिया)की मात्रा मानक के अनुरूप पाई गई हैं। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि यह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट है, केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने भी अपनी रिपोर्ट में भी इसे मानक के अनुरूप पाया है। उन्होंने बताया कि उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड लगातार जल की गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है और ताजा रिपोर्ट के अनुसार, संगम का जल अब स्नान और आचमन दोनों के योग्य पाया गया है।

समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों से मुख्यमंत्री ने क्या कहा?

मुख्यमंत्री ने सदन में समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों से कहा,'आप भारत को क्यों बदनाम कर रहे हैं। मुझे अफसोस है कि आप भाजपा से लड़ते-लड़ते भारत से लड़ने लगे।' योगी ने कहा,'अब तो लोग भी कहने लगे कि राहुल गांधी की उपस्थिति देश और अखिलेश यादव की उपस्थिति उत्तर प्रदेश में भाजपा के जीत की गारंटी है, यह गारंटी उपचुनाव ने दे दी है।'

उन्होंने कहा कि महाकुंभ पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'शालीनता एवं मर्यादा से अपनी बात रखिए, लेकिन जीवित लोगों को मृतक न बताइए। तीर्थयात्रा में लोग श्रद्धा के साथ जाते हैं। आस्था को कैसे कोई रोक सकता है, उन्हें बदनाम न कीजिए।' मुख्यमंत्री ने विपक्षी दलों से अपील की कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए सनातन एवं भारत को बदनाम न कीजिए।

उन्होंने कहा, 'शासन पर प्रश्न खड़ा कीजिए, लेकिन महाकुम्भ और आस्था पर नहीं। पहले आपने कहा कि संख्या बढ़ा-चढ़ा कर कही जा रही है। उसे देखने स्वयं सपा मुखिया पहुंच गए कि वास्तव में भीड़ हो रही है कि नहीं। अब कह रहे कि भीड़ बहुत अधिक हो रही है, लोगों को स्नान का मौका नहीं मिल रहा है, तिथि आगे बढ़ा दीजिए।' योगी ने आरोप लगाया,' यह इनका दोहरा चरित्र है। पहले विरोध करते हैं, फिर कहते हैं कि तिथि आगे बढ़ा दीजिए। यही बात अभी चच्चू (शिवपाल यादव) भी कह रहे थे, लेकिन तिथि हम नहीं तय करते। यह आयोजन पौष पूर्णिमा से शिवरात्रि तक होना है। शिवरात्रि की तिथि तय है। '

मुख्यमंत्री ने शिवपाल यादव की चुटकी लेते हुए धन्यवाद दिया कि आपने मिल्कीपुर में सहयोग किया। योगी ने राहुल गांधी एवं अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा,' नाम का असर होता ही है, पप्पू और टप्पू (अखिलेश का उपनाम टीपू) में बहुत अंतर नहीं होता। चच्चू (शिवपाल यादव) ने वैसे ही नाम नहीं रखा है। अभी चच्चू शांत हैं, लेकिन समय आने पर अपना रंग दिखाएंगे।' विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने योगी के भाषण समाप्त होने के बाद सपा सदस्यों द्वारा सदन की कार्यवाही रोक कर चर्चा कराने की मांग को अग्राह्य कर दिया।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। नॉलेज (Knowledge News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited