नए संसद भवन का उद्घाटन: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति को क्यों नहीं बुलाया, लालकृष्ण आडवाणी को भी भूल गए, संजय राउत ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे हैं। 21 विपक्षी दलों के बहिष्कार पर शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत कहा कि यह मुद्दा राष्ट्रपति और संविधान के लिए सम्मान का विषय है। पूछा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को क्यों नहीं बुलाया। लालकृष्ण आडवाणी को भी भूल गए।

Updated May 26, 2023 | 03:05 PM IST

Sanjay Raut on New Parliament Building Inauguration

नए संसद भवन का उद्घाटन पर संजय राउत ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस कार्यक्रम का 21 विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया है। इस पर शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत कहा कि यह मुद्दा राष्ट्रपति और संविधान के लिए सम्मान का विषय है। राष्ट्रपति को कोई निमंत्रण नहीं दिया गया। पूर्व राष्ट्रपति को भी क्यों नहीं बुलाया। यह पार्टी कार्यक्रम नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी की पूरी जिंदगी संसद सदस्य के तौर पर बीती है। आडवाणी जी को क्यों नहीं बुलाया।

क्या यह एक पार्टी का कार्यक्रम है?

संजय राउत ने कहा कि ये मामला भारत के राष्ट्रपति और संविधान के सम्मान का है। प्रधानमंत्री नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। अपने अधिकार में करेंगे। लोकसभा के अध्यक्ष ने आमंत्रित किया है। आप आमंत्रण पत्र देखेंगे तो उसमें उपराष्ट्रपति का भी नाम नहीं है संवैधानिक दृष्टि से दूसरे नंबर पर उपराष्ट्रपति आते हैं। राष्ट्रपति को निमंत्रण नहीं भेजा गया। राष्ट्रपति को क्यों नहीं बुला रहे हैं। उपराष्ट्रपति का नाम क्यों नहीं है? पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नहीं बुलाया गया। क्या यह एक पार्टी का कार्यक्रम है? इस पर जवाब चाहिए। संजय राउत ने कहा कि विपक्षी दलों का जो विरोध है, वह देश के सम्मान के लिए है। संसद उद्घाटन का कार्यक्रम कोई प्राइवेट प्रोग्राम नहीं है। यह पूरे देश का कार्यक्रम है। राष्ट्रीय प्रोग्राम है।

लोकतंत्र हो रहा है धाराशायी

उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि इंदिरा गांधी ने संसद के विस्तार उद्घाटन किया था। विस्तार और संसद में उद्घाटन में बहुत अंतर होता है। राजीव गांधी ने पुस्कालय का उद्घाटन किया था। लाइब्रेरी की इमारत और संसद भवन में अंतर है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र धाराशायी हो रहा है। राष्ट्रपति को क्यों नहीं बुलाया, उपराष्ट्रपति कहां गायब हो गए।
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