शिवसेना नाम-निशान की लड़ाई पर आज 'सुप्रीम' सुनवाई, सियासी दांव-पेंच में उद्धव पर ऐसे भारी पड़ा शिंदे गुट

Eknath Shinde Vs Udhav Thackeray : शिवसेना में बगावत और फिर सत्ता से बेदखल होने के बाद उद्धव ठाकरे के मुश्किलें लगातार बढ़ती रही हैं जबकि एकनाथ शिंदे गुट मजबूत होता रहा है। पार्टी के नाम और निशान की लड़ाई हारने के बाद उद्धव को दोहरा झटका लगा है।

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ईसी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं उद्धव ठाकरे।

Eknath Shinde Vs Udhav Thackeray : शिवसेना पर कब्जे की जंग की अंतिम लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जा रही है। शिवसेना नाम और उसके चुनाव चिन्ह 'तीर-कमान' पर चुनाव आयोग (EC) के फैसले को उद्धव गुट ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है जिस पर आज सुनवाई होनी है। उद्धव ठाकरे गुट उम्मीद लगाए है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से उसे राहत मिल सकती है या फैसला उसके पक्ष में आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट से यदि राहत नहीं मिलती है या फैसला विपरीत आता है तो उद्धव ठाकरे के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा। बता दें कि गत शुक्रवार को ईसी ने अपने फैसले में शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न 'तीर-कमान' पर शिंदे गुट का दावे को सही ठहराया।

शिवसेना में बगावत के बाद मजबूत होता रहा शिंदे गुट पार्टी में बगावत और फिर सत्ता से बेदखल होने के बाद उद्धव ठाकरे की मुश्किलें लगातार बढ़ती रही हैं जबकि एकनाथ शिंदे गुट मजबूत होता रहा है। पार्टी के नाम और निशान की लड़ाई हारने के बाद उद्धव को दोहरा झटका लगा है। महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टी का दफ्तर 'शिवसेना भवन' उद्धव के हाथ से गया। यही नहीं संसद में शिवसेना के दफ्तर पर भी अब एकनाथ शिंदे गुट का कब्जा हो गया। शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने शिंदे गुट को संसद भवन में स्थित में पार्टी दफ्तर का कब्जा दे दिया। बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना में इस टूट की कहानी काफी नाटकीय रही है।

20 जून 2022 : शिवसेना में बगावत की कहानी की नींव 20 जून को पड़ी। महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा के करीब 50 विधायक दलबदल का दांव खेलने लगे।

23-26 जून, 2022 : शिवसेना के करीब 40 विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित गुजरात राज्य पहुंचे। इसके बाद वे विधायकों के साथ असम और फिर गोवा पहुंचे। इसी दौरान शिंदे को शिवसेना के विधायक दल का नेता चुना गया। कोर्ट की लड़ाई के बीच भाजपा ने शिंदे गुट को अपना समर्थन देने की घोषणा की। उद्धव गुट के कुछ और विधायक शिंदे गुट में शामिल हुए। बाद में उद्धव गुट के साथ केवल 15 विधायक रहे।

26 जून 2022: महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जरवाल ने शिवसेना के बागी 16 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी किया। डिप्टी स्पीकर के इस फैसले के बाद शिंदे गुट 26 जून को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और फैसले को चुनौती दी।

30 जून 2022 : शिंदे को महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। इससे पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एमवीए सरकार को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहा लेकिन उद्धव सरकार ने बहुमत परीक्षण पर रोक लागने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। इसके बाद उद्धव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। शिंदे के साथ देवेंद्र फड़णवीस को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई।

3 जुलाई, 2022 : पहली बार विधायक बने राहुल नार्वेकर को महाराष्ट्र विधानसभा का स्पीकर बनाया गया।

4 जुलाई 2022 : शिंदे ने फ्लोर टेस्ट का सामना किया। शिंदे सरकार के समर्थन में 164 वोट और विरोध में 99 वोट पड़े। भाजपा समर्थित शिंदे सरकार ने फ्लोर टेस्ट जीता।

अक्टूबर 2022 : चुनाव आयोग ने अपने अंतरिम आदेश में शिवसेना के चुनाव चिन्ह 'तीर कमान' को जब्त कर लिया। यह अंधेरी (पूर्व) सीट पर उपचुनाव से ठीक पहले हुआ। आयोग की तरफ से उद्धव गुट को चुनाव चिन्ह जलती हुई मशाल और पार्टी का नाम 'शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे' आवंटित हुआ। जबकि शिंदे गुट को पार्टी नाम 'बालासाहेब की शिवसेना' और पार्टी चिन्ह 'तलवार और ढाल' आवंटित हुआ।

17 फरवरी 2023 : चुनाव आयोग ने 'शिवसेना' नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह 'तीर कमान' शिंदे गुट को देने का फैसला सुनाया। इस फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और ईसी के फैसले को चुनौती दी। उद्धव ने कहा कि उनके पास केवल 'ठाकरे' नाम बचा है।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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