क्या नेहरू जी सेंगोल का इस्तेमाल छड़ी के तौर पर करते थे, सवाल से कन्नी काटने लगे कांग्रेसी नेता

सेंगोल के मुद्दे पर भी कांग्रेस नरेंद्र मोदी सरकार को घेर रही है। इस मुद्दे पर डिबेट में कांग्रेस नेता से सवाल किया गया कि क्या जवाहर लाल नेहरू छड़ी के तौर पर सेंगोल का इस्तेमाल किया करते थे वो इधर उधर की बात करने लगे।

Updated May 26, 2023 | 02:19 PM IST

क्या देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू राजदंड सेंगोल को छड़ी के तौर पर इस्तेमाल किया करते थे। इस सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता लोकेश जिंदल टाइम्स नाउ नवभारत की बहस से भागते नजर आए। उन्होंने कहा कि सेंगोल राष्ट्रीय धरोहर है और उसे म्यूजियम में रखा गया था। लेकिन इस सवाल का जवाब वो नहीं दिए कि सेंगोल का इस्तेमाल नेहरू जी छड़ी के तौर पर करते थे। सेंगोल के बारे में कांग्रस के कद्दावर नेता जयराम रमेश ने कहा कि इस बात के साक्ष्य नहीं है कि उसे सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता था। हालांकि अपने इस तर्क से उस ऐतिहासिक प्रसंग को झुठलाने की कोशिश कर रहे थे कि कैसे माउंटबेटन ने जवाहर लाल नेहरू से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक चिह्व के बारे में पूछा था और नेहरू जी राजगोपलाचारी से सुझाव मांगा था। राजाजी के सुझाव के बाद सेंगोल के जरिए सत्ता हस्तांतरण की औपचारिकता पूरी की गई।

म्यूजियम में था सेंगोल

भारतीय जनता पार्टी ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने पवित्र ‘राजदंड’ को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उपहार में दी गई ‘सोने की छड़ी’ कहकर उसे संग्रहालय में रख दिया और हिंदू परंपराओं की अवहेलना की।चांदी से निर्मित और सोने की परत वाले इस ऐतिहासिक ‘राजदंड’ को 28 मई को नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा। उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नये संसद भवन का लोकार्पण किया जाएगा।रमेश ने ट्वीट किया, "क्या यह कोई हैरानी की बात है कि नए संसद भवन को व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के फर्जी विमर्श से सुशोभित किया जा रहा है?

सेंगोल और सत्ता हस्तांतरण में कोई रिश्ता नहीं

भाजपा /आरएसएस का इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का रुख एक बार फिर अधिकतम दावा, न्यूनतम साक्ष्यके साथ बेनकाब हो गया है।उन्होंने कहा, "राजदंड की परिकल्पना तत्कालीन मद्रास में एक धार्मिक प्रतिष्ठान ने की थी और इसे मद्रास शहर में तैयार किया गया था। इसे अगस्त 1945 में जवाहर लाल नेहरू को प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने दावा किया कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘राजदंड’ को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित किये जाने का प्रतीक बताया हो।
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