Real Shivsena: उद्धव गुट को 'असली' शिवसेना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका
शिवसेना मामले में उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है, शिंदे खेमे के असली शिवसेना होने के दावे पर निर्वाचन आयोग को सुनवाई पर आगे बढ़ने की अनुमति मिली है।
शिवसेना मामले में उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका
महाराष्ट्र की राजनीति में असली शिवसेना (Real Shivsena) को लेकर उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट के बीच जारी लड़ाई के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से उद्धव ठाकरे गुट (Uddhav Thackeray) गुट को बड़ा झटका लगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने और पार्टी का चुनाव चिह्न तीर-कमान आवंटित करने संबंधी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ गुट की याचिका की सुनवाई पर आगे बढ़ने के लिए चुनाव आयोग (Election Commission of India) को अनुमति दे दी है।
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न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने उद्धव ठाकरे नीत खेमे की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने 'मूल' शिवसेना होने के शिंदे खेमे के दावे पर फैसला करने से निर्वाचन आयोग को रोकने का अनुरोध किया था।
पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल थे। संविधान पीठ ने कहा, 'हम निर्देश देते हैं कि निर्वाचन आयोग के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी।'
ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई थीगौरतलब है कि इस वर्ष जून में सरकार के गिरने से पहले उद्धव मंत्रिमंडल ने उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव रखने पर मुहर लगाई थी।
शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ शिंदे और 39 अन्य विधायकों के विद्रोह के बाद ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई थी। शिंदे और भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र फडणवीस ने 30 जून को क्रमश: राज्य के मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।
उच्चतम न्यायालय ने गत 23 अगस्त को शिवसेना और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से दाखिल उन याचिकाओं को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेज दिया था, जिनमें दलबदल, विलय और अयोग्यता से जुड़े कई संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं।
'उसे 'असली' शिवसेना माना जाए और पार्टी का चुनाव चिह्न दिया जाए'इसने निर्वाचन आयोग से शिंदे खेमे की याचिका पर कोई आदेश पारित नहीं करने के लिए कहा था जिसमें कहा गया था कि उसे 'असली' शिवसेना माना जाए और पार्टी का चुनाव चिह्न दिया जाए।पीठ ने कहा था कि याचिकाएं संविधान की 10वीं अनुसूची से जुड़े कई अहम संवैधानिक मुद्दों को उठाती हैं, जिनमें अयोग्यता, अध्यक्ष एवं राज्यपाल की शक्तियां और न्यायिक समीक्षा शामिल है।
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