अवैध धर्मांतरण के खिलाफ संत समाज का राष्ट्रव्यापी अभियान
संत समाज ने कहा कि धर्म स्वतंत्रता अधिनियम राज्यों का विषय है और सर्वोच्च न्यायालय सभी राज्यों के कानूनों की एक साथ सुनवाई न करे। उन्होंने न्यायपालिका से निष्पक्षता और सख्त कानून लागू करने की अपील की। निर्मोही आणि अखाड़ा, अखाड़ा परिषद और अखिल भारतीय संत समिति ने दिल्ली में “धार्मिक स्वतंत्रता एवं धर्मांतरण” विषय पर संयुक्त प्रेस वार्ता की। संत समाज ने धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के समर्थन में एक स्वर में आवाज उठाई और अवैध धर्मांतरण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान की घोषणा की।
संविधान की मर्यादाओं में रहकर ही मिले धर्म पालन की आज़ादी
महंत राजेंद्र दास जी महाराज और स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती जी ने कहा कि भारत की विविधता की जड़ें धार्मिक स्वतंत्रता में हैं, लेकिन छल, बल और प्रलोभन के ज़रिए धर्मांतरण उस पर हमला है। अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता लोक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन है — इसे धर्मांतरण का औज़ार नहीं बनाया जा सकता।
राज्यों के अधिकार क्षेत्र में है धर्मांतरण कानून: संत समाज
संतों ने कहा कि धर्म स्वतंत्रता अधिनियम राज्यों का विषय है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों ने ऐसे कानून बनाए हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सभी राज्यों के कानूनों की याचिकाओं को एक साथ सुनना न्यायसंगत नहीं है क्योंकि हर राज्य की परिस्थितियाँ अलग हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के कदम पर उठे सवाल
संत समाज ने कहा कि न्यायालय ने उन राज्यों से भी राय मांगी है जहां ऐसा कानून बना ही नहीं है। उन्होंने इसे न्यायिक प्रक्रिया पर संदेह पैदा करने वाला बताया और कहा कि जब मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के मामलों में इसे राज्य का विषय माना गया था, तो धर्मांतरण कानूनों को एक साथ सुनना विरोधाभासी है।
विदेशी ताकतों की साजिशों को लेकर भी जताई चिंता
संत समाज ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाले संगठनों की सक्रियता कोई रहस्य नहीं है। इसलिए न्यायपालिका को सतर्क रहकर अपनी निष्पक्षता की रक्षा करनी चाहिए।
न्यायपालिका और सरकार से संतों की अपील
संत समाज ने आग्रह किया कि न्यायपालिका उन राज्यों को कानून बनाने का निर्देश दे जहां धर्म स्वतंत्रता अधिनियम नहीं है, और जहां है वहां उसके सख्त क्रियान्वयन को सुनिश्चित किया जाए।
प्रमुख संत और संगठन रहे मौजूद
प्रेस वार्ता में अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत गौरी शंकर दास जी महाराज और विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन भी उपस्थित रहे।
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