बढ़ती उम्र को थामने के लिए लें आयुर्वेद का सहारा, अपना ली ये बातें तो कोसों दूर रहेगा बुढ़ापा

Ayurvedic Tips to hold aging: बढ़ती उम्र के लक्षण आयुर्वेद की मदद से काफी हद तक कंट्रोल किए जा सकते हैं। आयुर्वेद में संतुलित आहार, जीवनशैली और जड़ी-बूटियों की मदद से उम्र के लक्षण थामे जा सकते हैं। जानें कैसे।

youthful skin

Ayurvedic Tips for Healthy and Young Skin

Ayurvedic Tips to hold aging: ढलती उम्र अपने साथ सफेद बाल, झुर्रियां और साथ ही कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं लेकर आती है। यूं तो बाजार में कई सप्लीमेंट्स और क्रीम उपलब्ध हैं जो कुछ ही दिनों में दमकता-चमकता चेहरा और फाइन लाइंस दूर करने का दावा करते हैं। लेकिन हमारे आयुर्वेद में ही कई ऐसे तरीके बताए गए हैं जो इन चीजों पर कंट्रोल करते हैं।

चरक संहिता में दो तरह के जरा (बढ़ती उम्र का दिखना या एजिंग) का उल्लेख है। एक कालजरा और दूसरा अकालजरा। हम जिस जरा की बात कर रहे हैं वो कालजरा है। कालजरा एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो समय के साथ शरीर में परिवर्तन लाकर जीवन के अंतिम चरण की ओर ले जाती है। यह प्रक्रिया उम्र के बढ़ने का स्वाभाविक परिणाम है, जिसे आयुर्वेद में संतुलित आहार, जीवनशैली और जड़ी-बूटियों के माध्यम से नियंत्रित करने के उपाय बताए गए हैं।

क्या होती है जरा

आयुर्वेद में जरा को एक स्वाभाविक शारीरिक और मानसिक प्रक्रिया माना जाता है, जो जीवन के विभिन्न चरणों से जुड़ी है। जरा को मानव जीवन का एक प्राकृतिक चरण माना जाता है जो शरीर, मन और इंद्रियों में होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है। यह प्रक्रिया त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) के असंतुलन और धातुओं (शारीरिक ऊतकों) के क्षरण से प्रभावित होती है। आयुर्वेद इसे न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी देखता है।

जरा विशेष रूप से वात दोष के बढ़ने से संबंधित है जिसके कारण त्वचा में शुष्कता, जोड़ों में दर्द, कमजोरी, और पाचन शक्ति में कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार जरा के कारण समय के साथ धातुओं (रस, रक्त, मांस, मेद आदि) का क्षरण और ओजस (जीवन शक्ति) में कमी आती है। यह वात दोष का बढ़ना, जो उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक और मानसिक कमजोरी लाता है। वहीं,अनुचित आहार तनाव, नींद की कमी, और व्यायाम की कमी जरा को तेज कर सकती है।

एजिंग पर आयुर्वेद क्या कहता है

आयुर्वेद में जरा को धीमा करने और हेल्दी एजिंग को बढ़ावा देने के लिए रसायन चिकित्सा का उपयोग किया जाता है। यह शरीर और मन को पुनर्जनन और पोषण प्रदान करता है। इसमें सात्विक भोजन, जैसे घी, दूध, बादाम, मुनक्का, और मौसमी फल के सेवन के लिए कहा जाता है। वहीं भारी, तैलीय, और प्रोसेस्ड भोजन से बचने की हिदायत दी जाती है।

अब बात उन कुछ औषधियों की जो बुढ़ापे को हैप्पी बना सकते हैं। एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे आंवला, हल्दी, और तुलसी का सेवन इस प्रक्रिया को धीमा करता है। इसके साथ ही हरड़ -पाचन तंत्र को मजबूत करता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है। ब्राह्मी (– मस्तिष्क की कार्यक्षमता और स्मरण शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। तो अश्वगंधा – तनाव को कम करने और ऊर्जा बढ़ाने वाला अनुकूलकारी पौधा है।

एजिंग को रोकने के लिए इन बातों को अपनाएं -

  • संतुलित आहार लें। संपूर्ण और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन पर ध्यान दें।
  • पर्याप्त पानी पिएं। हाइड्रेटेड रहें और हर्बल चाय का सेवन करें।
  • नियमित व्यायाम करें। हल्के व्यायाम जैसे योग या सैर को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
  • तनाव प्रबंधन करें। ध्यान, गहरी सांस और अन्य तनाव कम करने वाली तकनीकों का अभ्यास करें।

सकारात्मक दृष्टिकोण और आयुर्वेदिक जीवनशैली से स्वस्थ बुढ़ापा संभव है – इसे अपनाएं, खुशहाल रहें!

इनपुट : आईएएनएस

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। हेल्थ (Health News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited