Safe Her: महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या सबसे बेहतर विकल्प, जानें 3 सशक्त उपाय
Women Safety Tips: भारत में महिलाओं की सुरक्षा इन दिनों सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। समाज की इस कुप्रथा से निपटने के लिए तरह-तरह के सुझाव दिए जाते हैं। लेकिन क्या कुछ सुझाव मात्र से लोगों की सोच बदल जाएगी, वो अपनी गंदी करतूतों पर पूर्णविराम लगा देंगे। खैर आपको कुछ सशक्त उपाय के बारे में बताते हैं।
प्रतीकात्मक तस्वीर। (साभार: Freepik)
Safe Her Times: भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार, अपराधों से लगातार चिंता बढ़ती जा रही है। आए दिन ऐसी वारदात को अंजाम दिया जाता है, जिसे सुनकर हर किसी की रूह कांप उठती है। कभी दहेज की खातिर अपनी पत्नी और बहु को आग में झोंक दिया जाता है, तो कभी अपनी हवस की आग बुझाने की खातिर एक बेटी को शिकार बनाया जाता है। समाज से ऐसे अपराधों का अंत करने के लिए शून्य से शुरू करना अत्यंत आवश्यक है। ऐसी कुरीतियों से निपटने के लिए एक व्यापक और बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत है। आपको ऐसे ही तीन सशक्त उपायों से रूबरू करवाते हैं।
शिक्षा और जागरूकता
महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी होनी बेहद जरूरी है। शिक्षा ही वो हथियार है, जिसके जरिए महिलाओं में जागरूकता बढ़ाई जा सकती है। वो खुद के अधिकारों का भरपूर इस्तेमाल नहीं कर पाती है। ऐसे में पारंपरिक मान्यताओं और शिक्षा के सीमित रखने का विचार त्यागना जरूरी है। महिलाओं को अपराधों की शिकायत करने या न्याय की मांग करने से बाधित करने वाली बेड़ियों को तोड़ना जरूरी है। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं अज्ञानतावश इसे सहती रहती हैं। घरेलू हिंसा से अन्य गंभीर अपराधों का जन्म होता है। महिलाएं यौन उत्पीड़न और हत्या तक का भी शिकार हो सकती हैं। ऐसे में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना सबसे बड़ा कदम है।
आर्थिक सशक्तिकरण
इस उपाय के लिए भी शिक्षा की बड़ी जरूरत होती है। साथ ही कौशल विकास और रोजगार अवसरों के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया जा सकता है। आर्थिक सशक्तिकरण के जरिए महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा और शोषण को कम किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर ये समझा जाए कि निम्न-आय वाले परिवारों में कई महिलाएं अपने पति पर आर्थिक निर्भरता रखती हैं, जिसके कारण वे दुर्व्यवहारपूर्ण संबंधों में बंधी रह सकती हैं और खुद पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाती हैं।
टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
डिजिटल के दौर में यदि आज भी कोई महिलाएं तकनीकी से दूर हैं, तो ये उनको समाज से अलग-थलग कर सकता है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बेहतर रिपोर्टिंग एवं ट्रैकिंग के लिए टेक्निकल यंत्रों का फायदा उठाया जा सकता है। इसमें अपराधों की शिकायत के लिये उपयोगकर्ता-अनुकूल मोबाइल ऐप और डेटा विश्लेषण के लिये AI-संचालित सिस्टम शामिल हो सकते हैं।
महिला यदि आर्थिक तौर पर सशक्त होंगी, शिक्षित होंगी तो उनके प्रतिनिधित्व में बढ़ोतरी होगी। विधि प्रवर्तन और न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा, जिसके जरिए लिंग-आधारित हिंसा के मामलों को बेहतर तरीके से संबोधित किया जा सकता है। सदियों से महिलाओं को दबाने की कुव्यवस्थाओं पर चोट किया जाना अब जरूरी हो चुका है, ऐसे ही कई मार्ग को अपना कर समाज की बुराइयों से महिलाओं को बचाया जा सकता है और इनके खिलाफ हो रहे अपराधों पर लगाम लगाया जा सकता है।
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आयुष सिन्हा author
मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें
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