Modi government @9 : PM मोदी के वे 5 बड़े फैसले जो देश और दुनिया को चौंका गए
Modi government @9 : इन नौ सालों में मोदी सरकार ने एक से बढ़कर एक साहसिक एवं बड़े निर्णय लिए। इनमें से कुछ फैसले ऐसे भी थे जिन्हें देश के लोग उम्मीद नहीं कर रहे थे। देश हित में लिए गए ये फैसले दूरगामी सोच के साथ लिए गए। कुछ ऐसे फैसले थे जिन्हें तत्काल लिया जाना जरूरी था। जोखिम भरे निर्णय करने में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देरी नहीं की।
Updated May 30, 2023 | 09:26 AM IST

30 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने पहली बार PM पद की शपथ ली।
Modi government @9 : केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आज नौ साल पूरे हो गए हैं। आज से नौ साल पहले यानी 30 मई 2014 को राष्ट्रपति भवन के प्रांगड में नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद वह दोबारा 2019 में जीतकर आए और इस पद पर आसीन हुए। इन नौ सालों में मोदी सरकार ने एक से बढ़कर एक साहसिक एवं बड़े निर्णय लिए। इनमें से कुछ फैसले ऐसे भी थे जिन्हें देश के लोग उम्मीद नहीं कर रहे थे। देश हित में लिए गए ये फैसले दूरगामी सोच के साथ लिए गए। कुछ ऐसे फैसले थे जिन्हें तत्काल लिया जाना जरूरी था। जोखिम भरे निर्णय करने में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देरी नहीं की। यहां हम उनके उन पांच बड़े फैसलों के बारे में चर्चा करेंगे, जिन्होंने देश और दुनिया को चौंका दिया-
सर्जिकल स्ट्राइक
18 सितंबर 2016 को उरी में आर्मी कैंप पर सो रहे सेना के जवानों पर आतंकवादियों ने हमला किया। इस हमले में सेना के 19 जवान शहीद हो गए। इस हमले का जवाब भारत ने 10 दिनों के अंदर दे दिया। 29 सितंबर की आधी रात के समय भारतीय सेना की टीम एलओसी पार करके पीओके में गई और आतंकियों के ठिकानों पर हमला बोल दिया था। सेना की इस कार्रवाई में 35 से 70 आतंकवादी मारे गए। हालांकि, पाकिस्तान इस तरह की कार्रवाई से इंकार करता है। भारतीय सेना पीओके में दाखिल होगी, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। पाकिस्तान ने भी नहीं सोचा था कि भारतीय सेना इस तरह से दाखिल होगी। खास बात यह है कि इस ऑपरेशन में भारतीय सेना का कोई जवान हताहत नहीं हुआ।
बालाकोट एयर स्ट्राइक
14 फरवरी 2019 को जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर आत्मघाती हमला किया। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए। जवानों का यह काफिला जब राजमार्ग से गुजर रहा था तो एक विस्फोटकों से लदी एक कार काफिले में शामिल एक बस से टकराई। भीषण धमाके में 40 जवानों की मौत हो गई। जैश ए मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। इसके बाद भारतीय सेना ने इसका बदला लेने की ठानी। 26 फरवरी को भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने बालाकोट में एक आतंकी प्रशिक्षण केंद्र को निशाना बनाते हुए हमला किया। यह प्रशिक्षण केंद्र जैश ए मोहम्मद का था। बताया जाता है कि वायु सेना के इस हमले करीब 350 आतंकवादी मारे गए। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की यह कार्रवाई भी देश और दुनिया को चौंका गई।
अनुच्छेद 370
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति भी मोदी सरकार के चौंकाने वाले फैसलों में शामिल है। पांच अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की घोषणा कर दी। साथ ही इससे जुड़ा विधेयक राज्यसभा और फिर लोकसभा से पारित करा लिया। किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि प्रधानमंत्री मोोदी इतना बड़ा फैसला कर सकते हैं। किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई कि यह अनुच्छेद हटने जा रहा है। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया। पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 खत्म करने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि देश के लिए जो कानून एवं योजनाएं बनती हैं उनका लाभ जम्मू कश्मीर के लोगों को नहीं मिल पाता है।
नोटबंदी
आठ नवंबर 2016 की रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेलिविजन पर देश को संबोधित किया। देश के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज रात 12 बजे से 500 एवं 1000 रुपए के नोट प्रचलन में नहीं रहेंगे। यह बहुत बड़ा फैसला था। सरकार ने इन दोनों मुद्राओं को वापस लेने का फैसला किया। साथ ही 200, 5000 और 2000 के नए नोट जारी किए। सरकार ने कहा कि कालेधन, भ्रष्टाचार एवं आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए यह फैसला जरूरी था। प्रधानमंत्री ने लोगों से सहयोग की मांग की। हालांकि, करीब दो महीनों के बाद स्थितियां सामान्य होना शुरू हुईं। शुरुआती महीनों में लोगों को एटीएम के बाहर कतार में शामिल होना पड़ता था और एक बार में एक कार्ड से 2000 रुपए के निकासी की इजाजत थी। पीएम मोदी का यह फैसला भी चौंकाने वाला था।
सीएए
तीन मुस्लिम पड़ोसी देशों- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम लोगों को भारतीय नागरिकता देने के लिए मोदी सरकार ने नागरिकता संसोधन अधिनियम यानी CAA संसद में पेश किया। यह विधेयक इन तीन देशों से आए अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है। इन देशों से आए हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी भारत की नागरिकता के पात्र होंगे। सीएए के तहत नागरिकता हासिल करने की अवधि 11 साल से घटाकर 1 से 6 साल किया गया। विपक्ष ने इस विधेयक का भारी विरोध किया। विपक्ष का तर्क है कि धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करना संविधान का उल्लंघन है। विपक्ष की मांग है कि इन देशों से आने वाले मुस्लिमों को भी भारतीय नागरिकता दी जाए। सीएए का फैसला भी देश और दुनिया को चौंका गया।
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