जिस चीनी एयर डिफेंस सिस्टम पर भरोसा कर बैठा था पाकिस्तान, उस पर चीन खुद नहीं करता यकीन! खरीद चुका है रूस से S-400
Pakistan Air Defence System: भारत ने 6 मई की रात को पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकनों पर हमला किया था। जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे। भारत के इस हमले को पाकिस्तान का चीनी एयर डिफेंस सिस्टम पकड़ने में नाकाम रहा था।

पाकिस्तान का चीनी एयर डिफेंस सिस्टम फेल
Pakistan Air Defence System: पाकिस्तान काफी समय से ऐसी हरकतें कर रहा था, जिससे भारत उससे उलझे। भारत की सहनशीलता जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद पार कर गई, तब भारत एक रात उठा और सीधे पाकिस्तान के अंदर बने आतंकी ठिकानों को नेस्तानाबूद कर दिया। भारत जब पाकिस्तान के अंदर इन हमलों को अंजाम दे रहा था, तब पाकिस्तान को इसकी भनक तक नहीं लगी। न पाकिस्तान का रडार कुछ पकड़ पाया और न ही चीनी एयर डिफेंस सिस्टम। पाकिस्तान ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद चीनी एयर डिफेंस सिस्टम को सीमा पर तैनात किया था। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इस चीनी सिस्टम के बाद भारत उसकी सीमा में हमले नहीं करेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
ये भी पढ़ें- कहां छिप गए आतंकियों के आका? चिट्ठी तो आई लेकिन मसूद अजहर सामने नहीं आया, एयर स्ट्राइक के बाद से हाफिज सईद भी 'गायब'
पाकिस्तान का चीनी एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9 and HQ-16
पाकिस्तान के पास ऐसे तो कहने को 7 एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जिसे फ्रांस, इटली और चीन से खरीदा गया है, लेकिन पाकिस्तान को सबसे ज्यादा भरोसा चीनी एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9 and HQ-16 पर था। क्योंकि इसी सिस्टम को पाकिस्तान ने हाल के सालों में खरीदा था, बाकी पुराना है और भारत के साथ पहले के जंग और बाद की स्ट्राइक में उतना कारगर नहीं था, खासकर आधुनिक फाइटर जेट के सामने। भारत ने जब बालाकोट में एयर स्ट्राइक किया था, तब चीनी एयर डिफेंस सिस्टम के खरीदने की बात पाकिस्तान कर रहा था, इसके बाद यह डील फाइनल हुई।
- HQ-9/P: यह पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे 14 अक्टूबर 2021 को पाकिस्तान सेना में शामिल किया गया।
- HQ-16: पाकिस्तान ने 2015 में इस प्रणाली की खरीद के लिए चीन के साथ बातचीत शुरू की थी और मार्च 2017 में पाकिस्तान सेना में इसे शामिल किया गया।
चीन का HQ-9 and HQ-16 को लेकर दावा
चीन के HQ-9 और HQ-16 एयर डिफेंस सिस्टम दोनों ही आधुनिक, लंबी और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियां हैं, जो विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों से रक्षा करने के लिए डिजाइन की गई हैं। हालांकि दोनों प्रणालियां समान उद्देश्य के लिए हैं, लेकिन उनकी क्षमताएं, रेंज और उपयोग में अंतर है।
कई टेक्नोलॉजी का मिश्रण है HQ-9
एचक्यू-9 को रूसी एस-300 से कॉपी करके बनाया गया है। लेकिन रडार, सीकर हेड और सी2 तत्वों पर अमेरिकी और इजराइली तकनीक का भारी प्रभाव है। इसका प्रयोग चीन, मोरक्को, तुर्किस्तान, उज़्बेकिस्तान, पाकिस्तान और मिस्र कर रहे हैं।
चीन खुद है रूस के भरोसे
चीन जिस एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9 and HQ-16 को आधुनिक बताकर पाकिस्तान समेत कई देशों को बेच चुका है वो खुद HQ-9 और HQ-16 के भरोसे नहीं बैठा है। चीन, रूस से एस-400 खरीद चुका है। रूसी S-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली वाकई एक अत्याधुनिक और शक्तिशाली मिसाइल रक्षा प्रणाली मानी जाती है। इस प्रणाली को विशेष रूप से इसके बहु-लक्ष्यी और बहु-स्तरीय रक्षा कार्यों के लिए सराहा जाता है। भारत के पास भी यही एस-400 है। S-400 प्रणाली को एक साथ 80 से अधिक लक्ष्यों को ट्रैक और एक साथ 40 लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता है। यह प्रणाली विमान, क्रूज मिसाइलें और बैलिस्टिक मिसाइलें जैसे विभिन्न हवाई खतरों को नष्ट करने में सक्षम है। यह मिसाइलें सुपर सोनिक (साउंड से तेज) गति से आने वाले लक्ष्यों को भी नष्ट करने में सक्षम होती हैं।
जिस पर था पाक को भरोसा उसी ने दिया धोखा
पाकिस्तान, हाल के वर्षों में चीनी हथियारों में ज्यादा निर्भर हुआ है। पाकिस्तान की वायुसेना से लेकर थल सेना तक और नौसेना से लेकर पुलिस तक सभी चीनी हथियारों पर निर्भर है। पाकिस्तान को पूरा भरोसा था कि HQ-9 and HQ-16 के रहते भारत, पाकिस्तान में हमले नहीं कर सकता है। लेकिन यहीं वो मात खा गया। चीन का डिफेंस सिस्टम जमीनी हमलों में कारगर है, हवा से हमले में नहीं। यही कारण रहा कि जब भारतीय वायुसेना ने मिसाइलों और ड्रोन से हमला बोला तो चीनी सिस्टम उसे आसानी से पकड़ ही नहीं पाया और पाकिस्तान के कई इलाकों में भारत ने तबाही मचा दी।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। एक्सप्लेनर्स (Explainer News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

हांगकांग से लेकर सिंगापुर तक एशिया में फिर बढ़े Covid-19 के मामले; ये दो वेरिएंट कर रहे परेशान

क्या है कश्मीर में तुलबुल प्रोजेक्ट? दोबारा काम शुरू करने की उमर की बात पर भड़क गईं महबूबा, समझें पूरा मामला

'आकाशतीर' जिसने PAK मिसाइलों को हवा में ही कर दिया 'धुआं-धुआं', जानें इसकी ताकत

आजादी के बाद से ही PAK को सैन्य सहयोग देता आया है US, लोकतंत्र की जगह सेना के हुक्मरानों को दी ताकत

आखिर क्यों खास है भुज एयरबेस, 1971 के युद्ध में निभाई थी बड़ी भूमिका; महिलाओं ने दिखाई गजब की दिलेरी
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited