मैक्सिको-कनाडा पर 3o दिनों की नरमी, फिर भी टैरिफ वार से ट्रंप ने ऐसे साध लिया अपना मकसद
Trump Tarrif War : सवाल है कि ट्रंप यह सब कर क्यों रहे हैं? उनके दिमाग में चल क्या रहा है? तो हम आपको बताते हैं। इसकी एक बड़ी वजह इन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार असंतुलन है। यह व्यापार असंतुलन यानी ट्रेड डेफीसीट बहुत ज्यादा है। यह बात ट्रंप को हजम नहीं हो रही। वह टैरिफ में बराबरी चाहते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप।
Trump Tarrif War : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्लान के साथ ही दुनिया में ट्रेड वार की शुरुआत हो गई है। ट्रंप टैरिफ को अपने एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इनके इस टैरिफ का सबसे पहले निशाना अमेरिकी के दो पड़ोसी देश मैक्सिको और कनाडा बने। कनाडा, अमेरिका की उत्तरी सीमा पर है तो मैक्सिको दक्षिणी सीमा पर। यानी ट्रंप ने दोनों पर एक साथ वार कर दिया। एक फरवरी को ट्रंप ने कहा कि मैक्सिको और कनाडा से बनकर आने वाले सामानों पर उन्होंने 25 फीसद टैरिफ लगा दिया है। हालांकि, कनाडा पर थोड़ी मेहरबानी दिखाते हुए उन्होंने उसके गैस और तेल पर 10 फीसद ही टैरिफ लगाया। साथ ही ट्रंप ने चीन को भी लपेटे में ले लिया। चीन के उत्पादों पर टैरिफ तो पहले से ही था। अब ट्रंप ने उस पर 10 प्रतिशत एडिशनल यानी अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। जाहिर है कि इससे इन तीनों देशों में हड़कंप मच गया। मैक्सिको और कनाडा की तरफ से जवाबी कार्रवाई होने लगी। मैक्सिको और कनाडा दोनों ने कहा कि वे अमेरिकी सामानों पर भी टैरिफ लगाएंगे जबकि चीन ने कहा कि वह भी जरूरी कदम उठाएगा और मामले को विश्व व्यापार संगठन यानी WTO में उठाएगा।
कनाडा-मैक्सिको को टैरिफ से 30 दिनों की राहत
लेकिन दो दिन बाद ही इस कहानी में नया मोड़ आ गया। मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शेनबाउम ने कहा कि ट्रंप के साथ बात हो गई है और टैरिफ 30 दिनों तक नहीं लगेगा लेकिन मैक्सिको सीमा पर अवैध घुसपैठ और फेंटेनाइल ड्रग की तस्करी रोकने के लिए वह अपने 10 हजार नेशनल गार्ड भेजेंगी। कुछ घंटे बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि अभी थोड़े समय पहले उनकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ बात हुई है। इस बातचीत में सहमति बनी कि कनाडा अपनी बॉर्डर की सुरक्षा मजबूत करेगा और 30 दिनों तक टैरिफ नहीं लगेगा। मैक्सिको और कनाडा दोनों ने ट्रंप से बात कर 30 दिन की मोहलत लेते हुए फिलहाल अपना मामला तो सलटा लिया लेकिन चीन फंस गया। टैरिफ से राहत पाने या इसे टालने के लिए चीन ने ट्रंप से तो बात नहीं की बल्कि पलटवार करते हुए उसने अमेरिका से आने वाले कोयला पर 15 फीसद और कच्चे तेल पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया। यानी टैरिफ को लेकर चीन ने अपना रुख साफ कर दिया है कि वह झुकेगा नहीं।
तीन देशों से अमेरिका को सबसे ज्यादा व्यापार घाटा
सवाल है कि ट्रंप यह सब कर क्यों रहे हैं? उनके दिमाग में चल क्या रहा है? तो हम आपको बताते हैं। इसकी एक बड़ी वजह इन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार असंतुलन है। यह व्यापार असंतुलन यानी ट्रेड डेफीसीट बहुत ज्यादा है। यह बात ट्रंप को हजम नहीं हो रही। वह टैरिफ में बराबरी चाहते हैं। वह चाहते हैं कि ये देश अमेरिका में अपना माल बेचकर जितना मुनाफा कमाते हैं, वैसा ही मुनाफा अमेरिका भी इनके यहां कमाए। टैरिफ का यह पूरा खेल बस यहीं से शुरू होता है। अमेरिका का जितना व्यापार घाटा है उसके तीन सबसे बड़े यही देश हैं। इसमें सबसे बड़ा चीन है। अमेरिका के कुल व्यापार घाटे में 30.2 प्रतिशत योगदान चीन का, मैक्सिको को 19 प्रतिशत और कनाडा का 14 फीसद है। जबकि अमेरिका के व्यापार घाटे में भारत का हिस्सा केवल 3.2 प्रतिशत है। इस व्यापार घाटे में भारत का हिस्सा काफी कम है लेकिन ये तीन देश मिलकर अमेरिका का करीब 63 फीसद व्यापार घाटा कराते हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि कनाडा के साथ अमेरिका का 200 अरब डॉलर का और मैक्सिको के साथ 250 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है। यानी इन दोनों देशों के साथ ही अमेरिका का करीब आधे ट्रिलियन का व्यापार घाटा है।
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अमेरिका में फेंटेलाइन ड्रग पर लेती है जान
यह व्यापार घाटा ट्रंप को कांटे की तरह चुभ रहा है। इसकी भरपाई वह टैरिफ बढ़ाकर करना चाहते हैं। उनका मकसद अमेरिका के लिए ज्यादा से ज्यादा रेवन्यू जुटाना, देशों के साथ अपना व्यापार असंतुलन कम करना और जो देश ना-नुकूर कर रहे हैं, उन पर टैरिफ लगाकर बातचीत के लिए मजबूर करना और अपनी बात मनवाना है। ट्रंप अपने इस दांव में काफी हद तक सफल भी होते दिख रहे हैं। इन तीन देशों पर टैरिफ लगाने वाली अपनी इस घोषणा के साथ उन्होंने फेंटेलाइन ड्रग का भी जिक्र किया। ट्रंप का कहना है कि हर साल इस ड्रग से बड़ी सख्या में अमेरिका युवा मारे जा रहे हैं। अमेरिका की सेंटर फॉर डीजिज कंट्रोल का डाटा कहता है कि 2023 से 2024 के बीच ड्रग ओवरडोज से होने वाली मौतों में 21.7 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन फिर भी यह आंकड़ा कम नहीं है। 2022 में इस ड्रग ओवरडोज से अमेरिका में एक लाख 12 हजार पांच सौ बयासी मौत हुई। जबकि 2023 में एक लाख दस हजार 37 लोगों की जान गई।
ड्रग कार्टेल पर हो सकती है सर्जिकल स्ट्राइक जैसी चीज
आम तौर पर फेंटेनाइल का इस्तेमाल कैंसर से जूझ रहे मरीजों और सर्जरी के बाद होने वाले दर्द को कम करने के लिए दिया जाता है। लेकिन नशे के आदियों के लिए यह एक काफी असरदार ड्रग है। यह लिक्विड और पाउडर दोनों रूपों में मिलता है।इसकी गोली बनाई जा सकती है। इसके लेने के अलग-अलग तरीके भी हैं। पाउडर को नाक से, लिक्विड को आइड्राप की तरह या शरीर में इंजेक्ट किया जा सकता है। बाकी ड्रग्स की तरह इसके भी साइड इफेक्ट्स और खतरे हैं। इसकी ओवर डोज जान ले सकती है। ट्रंप का कहना है ड्रग की ये खेप मैक्सिको, कोलोम्बिया, क्यूबा और वेनेजुएला से आ रही है और ड्रग्स की तस्करी या तो मैक्सिको बॉर्डर या कनाडा बॉर्डर से हो रही है। ट्रंप ड्रग और ड्रग कार्टेल के इस खेल को पूरी तरह से खत्म करना चाहते हैं। 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद ही उन्होंने ड्रग कार्टेल को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था। ड्रग के खिलाफ अभी यह ट्रंप की शुरुआत है। आगे चलकर हो सकता है कि मैक्सिको और कोलोम्बिया में जो बड़े-बड़े ड्रग कार्टेल हैं, हो सकता है कि ट्रंप उन पर कोई सर्जिकल स्ट्राइक करा दें।
कुल मिलाकर टैरिफ वार का जो सिलसिला ट्रंप ने शुरू किया है। वह फिलहाल रुकने वाला नहीं है। ट्रंप ने अभी भारत का नाम तो नहीं लिया है लेकिन आने वाले दिनों में भारत जैसे देश भी उनके निशाने पर आ सकते हैं।
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