यूं ही नहीं है वायु सेना प्रमुख की नाराजगी, दो मोर्चों पर लड़ाई के लिए IAF के पास पर्याप्त नहीं हैं फाइटर प्लेन
Delay in Tejas Mk 1A : भारत फाइटर प्लेन का इंजन नहीं बनाता, इसलिए उसे दूसरे देशों पर निर्भर रहना है। तेजस में इंजन अमेरिकी कंपनी जीई के लगने हैं। जीई की अपनी आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी दिक्कते हैं। जीई के इंजन जब आएंगे तब तेजस में लगेंगे। इनके आने और लगने में ही बहुत समय निकल जाएगा। तब तक वायु सेना के और फाइटर प्लेन रिटायर हो जाएंगे।

तेजस मार्क 1 ए की आपूर्ति में देरी।
Delay in Tejas Mk1A : बेंगलुरु में चल रहे एयरो इंडिया शो 2025 के दौरान एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने ऐसी बात कह दी जिससे हड़कंप मच गया। जिसने भी सुना, दंग रह गया कि वायु सेना प्रमुख ने ऐसी बात सरेआम क्यों कह दी। रक्षा, सुरक्षा से जुड़ी बातें ऐसे सार्वजनिक रूप से नहीं कहीं जातीं लेकिन एपी सिंह ने जो बात कही वह गलत नहीं है, हो सकता है कि जहां और जिनसे उन्होंने यह बात कही वह मंच उपयुक्त न हो। लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि दो मोर्चों यानी चीन और पाकिस्तान से एक साथ युद्ध लड़ने के लिए भारत के पास पर्याप्त लड़ाकू जहाज यानी फाइटर प्लेन नहीं हैं। युद्ध के इन दोनों मोर्चों को ध्यान में रखकर ही बहुत साल पहले वायु सेना के लिए 42 स्क्वॉड्रन मंजूर किए गए। ऐसा माना गया कि चीन और पाकिस्तान के साथ अगर एक साथ युद्ध लड़ना पड़े तो 42 स्क्वॉड्रन पर्याप्त होंगे।
एक स्क्वाड्रन में 18 फाइटर प्लेन
एक स्क्वाड्रन में 18 फाइटर प्लेन होते हैं। लेकिन 42 स्क्वाड्रन की यह संख्या भी बहुत पुरानी हो गई है। चीन और पाकिस्तान की वायु सेना से तुलना करते हुए अब अगर आकलन किया जाए तो स्क्वाड्रन की यह संख्या बढ़ जाएगी। भारत को इससे ज्यादा स्क्वाड्रन की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन हालत तो यह है कि 42 तो छोड़िए वायु सेना के स्क्वाड्रन की संख्या लगातार कम होती जा रही है। इस समय वायु सेना के पास करीब 30 स्क्वाड्रन हैं। कहां 42 होने चाहिए थे और कहां 30 हैं। एक तरह से IAF के पास लड़ाकू जहाजों की भयंकर कमी है।
दो मोर्चों पर युद्ध लड़ने के लिए पर्याप्त प्लेन नहीं
मान लीजिए चीन और पाकिस्तान दोनों से एक साथ यदि युद्ध शुरू हो जाता है तो हम या आप वायु सेना से क्या उम्मीद करेंगे। हम या प्रत्येक भारतीय यही चाहेगा कि वायु सेना अपने संसाधनों और फाइटर जहाजों का इस्तेमाल करते हुए दोनों देशों को छक्के छुड़ा दे, उन्हें मार भगाए। हर भारतीय अपनी सेना से यही उम्मीद करेगा। करना भी चाहिए। इसमें कोई गलत बात नहीं है लेकिन सवाल यह भी है कि क्या दोनों मोर्चों पर दुश्मन को माकूल जवाब देने के लिए जरूरी फाइटर प्लेन वायु सेना के पास हैं तो जवाब होगा नहीं। तो इसकी वजह क्या है। भारतीय वायु सेना के पास फाइटर एयरक्राफ्ट की इतनी कमी क्यों है? तो इसका भी जवाब है। दरअसल, भारत में फाइटर एयरक्रॉफ्ट, चॉपर, मिसाइल, एवियोनिक्स, कम्यूनिकेशन उपकरण, एरो इंजन और सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल की डिजाइन और निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL करता आया है। अपनी स्थापना यानी 1940 से ही HAL एक से बढ़कर एक हथियार, उन्नत रक्षा उपकरण और रक्षा उत्पादन करता आया है। इसने शानदार हथियार बनाए हैं। इसके इंजीनियर लाजवाब हैं लेकिन फाइटर प्लेन के निर्माण खासकर तेजस मार्क 1 ए की डिलीवर में जो देरी हुई है, उसने वायु सेना की तैयारियों को बहुत प्रभावित किया है। जिस गति और जिस संख्या में इन फाइटर प्लेन की आपूर्ति होनी चाहिए थी वह नहीं हुई है। इस देरी की एक वजह इन फाइटर प्लेन में लगने वाला इंजन है।
फाइटर जेट के इंजन नहीं बनाता भारत
चूंकि भारत फाइटर प्लेन का इंजन नहीं बनाता, इसलिए उसे दूसरे देशों पर निर्भर रहना है। तेजस में इंजन अमेरिकी कंपनी जीई के लगने हैं। जीई की अपनी आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी दिक्कते हैं। जीई के इंजन जब आएंगे तब तेजस में लगेंगे। इनके आने और लगने में ही बहुत समय निकल जाएगा। तब तक वायु सेना के और फाइटर प्लेन रिटायर हो जाएंगे। कुल मिलाकर वायु सेना प्रमुख की चिंता लड़ाकू विमानों की कम होती संख्या और उनकी आपूर्ति को लेकर है। उन्होंने जो बात कही है उसमें उनकी पीड़ा और दुख झलकता है। उन्होंने कहा कि अभी की अगर बात करें तो HAL पर से उनका भरोसा उठ गया है। हमारी क्या जरूरतें और चिंताएं हैं मैं वही आप लोगों से बता सकता हूं। भरोसा उठना बहुत गलत बात है। आगे उन्होंने कहा कि HAL मिशन मोड में काम नहीं कर रहा है। बस यही सुनने को मिल रहा है कि हो जाएगा। फरवरी में जब मैं यहां आया तो मुझसे वादा किया गया है कि बिना इंजन वाले 11 तेजस मार्क 1 एक तैयार मिलेंगे लेकिन एक भी तैयार नहीं है।
आज के युद्ध में वायु सेना की भूमिका अहम
वायु सेना प्रमुख के इस बयान के बाद जाहिर थी कि हलचल होनी है। HALने आश्वासन दिया कि वह जल्द भारतीय वायुसेना को विमान की आपूर्ति शुरू कर देगा क्योंकि तकनीकी दिक्कतें दूर हो गई हैं। एचएएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक डी के सुनील ने कहा कि देरी केवल उद्योग में सुस्ती के कारण नहीं हुई है। एयरो इंडिया में उन्होंने कहा कि कुछ तकनीकी दिक्कतें थीं, जिन्हें सुलझा लिया गया है। वायुसेना प्रमुख की चिंता जायज है। लेकिन बात भर तेजस मार्क-1 ए की आपूर्ति भर की नहीं है। युद्धों में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स सबकी भूमिका अहम है। किसी को कम नहीं आंका जा सकता है लेकिन आज जिस तरीके युद्ध लड़े जा रहे हैं उसमें वायु सेना का रोल काफी अहम हो गया है। चाहे वह रूस-यूक्रेन युद्ध हो, हमास और हिज्बुल्ला के खिलाफ इजरायल के हमले हों या ईरान पर इजरायल की एयर स्ट्राइक। हर जगह फाइटर प्लेन ने तबाही मचाई। यह तब होता है जब आपके पास स्टील्थ फीचर से लैस पांचवीं पीढ़ी के अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हों।
यह भी पढ़ें- 'माननीय' बनने के लिए केजरीवाल के पास हैं अब ये 3 विकल्प, अपनी सीट हारने के बाद विधायिका का नहीं हैं हिस्सा
पांचवीं पीढ़ी का फाइटर प्लेन खरीदे भारत
पीढ़ी की अगर बात की जाए तो भारत अभी साढ़े चार पीढ़ी पर अटका हुआ है। पांचवीं पीढ़ी का एक भी विमान भारत के पास नहीं है। डीआरडीओ ने साढ़े पांचवीं पीढ़ी एडवांस्ट मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानी AMCA का मॉडल अभी पेश किया। वायु सेना में यह कब शामिल होगा, अभी इसकी तस्वीर साफ नहीं है। तो ऐसे में जरूरी है कि भारत सरकार पांचवीं पीढ़ी वाले फाइटर प्लेन जल्द से जल्द खरीदे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय अमेरिका में है। ट्रंप से मुलाकात के दौरान F-35 खरीदने की बात करनी चाहिए। अमेरिका से अगर डील नहीं हो पाती है तो रूस के सुखाई-57 के लिए बात करनी चाहिए। कहने का मतलब है कि वायु सेना के लिए नए और पांचवीं पीढ़ी के फाइटर प्लेन नितांत जरूरी हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। एक्सप्लेनर्स (Explainer News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

नेपाल में 17 साल में 14 बार बदली सरकार, नेताओं की नाकामी से उठी राजशाही की वापसी की मांग

कौन है अबू कताल जिसकी पाकिस्तान में हुई हत्या? राजौरी और रियासी आतंकी हमले में था हाथ

न्यूक्लियर हथियारों की छत्रछाया तलाशते यूरोपीय मुल्क, यूरोप के पास सीमित विकल्प

भारतीय सेना को मिला नया फौलाद, सिक्किम में VMIMS तैनात, इसकी ताकत देख बढ़ जाएगी चीन टेंशन

कौन हैं भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन, जिन्हें वीजा रद्द होने के बाद छोड़ना पड़ा अमेरिका, हमास का समर्थन करना भारी
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited