मोटी रकम, जोखिम भरे रास्ते, कुछ यूं है 'डंकी रूट' से US में दाखिल होने की अवैध प्रवासियों की कहानी
Illegal Indian Immigrant : रिपोर्टों की मानें तो अवैध तरीके से अमेरिका में भारतीयों के दाखिल होने का सिलसिला आज का नहीं है, यह दशकों पुराना है। हां, शुरुआत में यह संख्या कम जरूर थी लेकिन बीते दशकों में इसमें काफी तेजी आ गई। प्यू रिसर्च की 2024 की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका में सात लाख 25 हजार अवैध भारतीय प्रवासी हैं जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं है।

अमेरिका में अवैध प्रवासियों पर हो रही कार्रवाई।
Illegal Indian Immigrant : अमेरिका का सैन्य विमान सी-17 ग्लोबमास्टर बुधवार को अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। इस विमान से 104 अवैध भारतीय प्रवासी स्वदेश आए। इनमें 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तथा दो चंडीगढ़ से हैं। अमेरिका से अवैध प्रवासियों को निकालकर उनके देश भेजा जा रहा है। अमेरिका में करीब 18 हजार अवैध भारतीय प्रवासियों की पहचान हुई है जिन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू हुई है। इन अवैध अप्रवासियों को लेकर कई सवाल हैं। जैसे कि अमेरिका में इनकी संख्या कितनी है। आखिर बिना वैध दस्तावेजों और प्रक्रिया के ये अमेरिका कैसे पहुंच जाते हैं, इन्हें सीमा पार कौन कराता है, वहां जाकर ये करते क्या हैं और कहां ठहरते हैं? आखिर ये अवैध तरीके से वहां जाते क्यों हैं? ऐसे तमाम प्रश्न हैं जो लोगों को परेशान करते हैं।
सात लाख 25 हजार अवैध भारतीय प्रवासी-प्यू रिसर्च
रिपोर्टों की मानें तो अवैध तरीके से अमेरिका में भारतीयों के दाखिल होने का सिलसिला आज का नहीं है, यह दशकों पुराना है। हां, शुरुआत में यह संख्या कम जरूर थी, लेकिन बीते दशकों में इसमें काफी तेजी आ गई। प्यू रिसर्च की 2024 की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका में सात लाख 25 हजार अवैध भारतीय प्रवासी हैं जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं है। हालांकि, यह संख्या अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले लोगों की तुलना में काफी कम है। अमेरिका में जितने अवैध प्रवासी अभी हैं, उसमें अवैध भारतीयों की संख्या केवल तीन प्रतिशत है। इसी अवैध भारतीय प्रवासियों पर यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सेक्युरिटी का डाटा कहता है कि 2022 तक अमेरिका में करीब दो लाख बीस हजार अवैध भारतीय रहते थे। विभाग का कहना है कि ये अवैध भारतीय अमेरिका के अलग-अलग शहरों फ्लोरिडा, टेक्सास, कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, जॉर्जिया, मैरीलैंड और नॉर्थ कैरोलिना में रहते हैं और इन शहरों के गैस स्टेशनों, ग्रॉसरी स्टोर, मोटेल्स और रेस्टोरेंट में काम करते हैं।
'क्वैसी लीगल' फैसला होने में लग जाते हैं वर्षों
खास बात यह है कि इन जगहों जहां पर ये काम करते हैं, उनमें से ज्यादातर के मालिक भारतीय हैं। एक बात और है ज्यादातर अवैध प्रवासियों के पास कागजात दिखाने के नाम पर कुछ न कुछ होता है लेकिन ये आधे-अधूरे कागजात पूरी तरह से वैध और सही नहीं होते। जाहिर है कि इन कागजातों और दस्तावेजों को वे अपने एजेंट्स या अपने जानने वालों से जुगाड़ करते हैं और इनके आधार पर वे शरण की मांग करते हैं। ये मामले कोर्ट में चलते रहते हैं और इन पर फैसला करने में कोर्ट को वर्षों लग जाता है। इसे अमेरिका में कानूनी भाषा में 'क्वैसी लीगल' कहा जाता है। यही नहीं, इनमें से ज्यादातर प्रवासी अकुशल होते हैं, मतलब इनमें कोई तकनीकी या स्पेशल योग्यता नहीं होती, फिर भी ये हर महीने करीब दो लाख रुपए की बचत कर लेते हैं और इस रकम को वापस अपने देश भेज देते हैं।
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'डंकी रूट्स' से अमेरिका में होते हैं दाखिल
अमेरिका में इनके पहुंचने की कहानी कम खतरनाक नहीं है। ये यहां दाखिल होने के लिए अपनी जान की बाजी तक लगा देते हैं। भारत से निकलने के बाद कई बार तो इन्हें वर्षों तक दूसरे देशों में अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। एक बार भारत से निकलने और रकम देने के बाद एक तरह से ये पूरी तरह से एजेंटों की कृपा पर निर्भर रहते हैं। रिपोर्टों के मुताबिक अमेरिका में अवैध रूप से दाखिल होने वाले भारतीयों में गुजरात और पंजाब के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा पाई गई है। ये चोरी-छिपे जिन रास्तों से होकर और सीमा पर तैनात सुरक्षा गार्डों को झांसा देकर अमेरिका में दाखिल होते हैं उसे 'डंकी रूट्स' कहा जाता है। रिपोर्टों की मानें तो एजेंट और तस्कर इन्हें टूरिस्ट वीजा पर नई दिल्ली और मुंबई से निकालकर पहले संयुक्त अरब अमीरात लाते हैं। इसके बाद इन्हें लैटिन अमेरिकी देशों वेनेजुएला, निकारगुआ और ग्वेटामाला पहुंचाया जाता है। फिर यहां से ये अमेरिका-मैक्सिको बॉर्डर की तरफ रवाना होते हैं। यह तो हुआ एक रास्ता।
तय करते हैं खतरनाक और जोखिम भरा रास्ता
अमेरिकी बॉर्डर तक इन्हें पहुंचाने के लिए तस्कर और एजेंट्स दूसरे रास्ते का भी इस्तेमाल करते हैं। ये रास्ता यूरोपीय यूनियन के शेनगेन इलाके से होकर जाता है। यहां से ये अवैध प्रवासी नावों, शिपिंग कंटेनर में बैठकर और कुछ पैदल लैटिन अमेरिकी रूट तक पहुंचते हैं। फिर यहां से घुसपैठ की उन जगहों या प्वाइंट तक का सफर करते हैं जो काफी खतरनाक और जोखिम भरा होता है। जान की बाजी लगाकर भी अमेरिका में ये दाखिल हो जाएं, इसकी भी गारंटी नहीं है। बहुत सारे सीमा पार करते समय पकड़े जाते हैं लेकिन इनके पास अमेरिकी सुरक्षा गार्डों को दिखाने और बताने के लिए फर्जी दस्तावेज और झूठी कहांनियां होती हैं। ये शरण पाने के लिए उनसे विनती और अनुरोध करते हैं।
कनाडा रूट से घुसपैठ में आई तेजी
एक बड़ी बात यह भी है कि अमेरिका में दाखिल होने के लिए ये प्रवासी मोटी रकम खर्च करते हैं। एजेंट और तस्कर इसके लिए इनसे 50 से 85 लाख रुपए तक चार्ज करते हैं। यह भी देखा गया है कि सीमा पार कराने के लिए एजेंट और तस्कर मैक्सिको रूट से ज्यादा कनाडा रूट का इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार हाल के वर्षों में कनाडा बॉर्डर से जितनी घुसपैठ हुई उसमें भारतीयों की संख्या करीब 22 फीसद है। इस आंकड़े को देखें तो साल 2023 में कनाडा बॉर्डर पर 30 हजार 10 भारतीय और मैक्सिको बॉर्डर पर 41 हजार सात सौ सत्तर भारतीय रोके और पकड़े गए।
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14 लाख लोगों को निकालने का आदेश
इन अवैध प्रवासियों की संख्या पर यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम इन्फोर्समेंट यानी ICE का कहना है कि ऐसे करीब 14 लाख लोग जिन्हें अमेरिका से निकाले जाने का अंतिम आदेश है, उनमें भारतीयों की संख्या 17 हजार नौ सौ चालीस है। साल 2024 में पांच हजार से ज्यादा भारतीय डिटेंशन सेंटर में हैं। इस दौरान ICE ने दो लाख सत्तर हजार अवैध प्रवासियों को 192 देशों यानी जहां से वे आए थे वहां भेजा। इनमें भारतीयों की संख्या पंद्रह सौ उनतीस थी। अमेरिका से निकाले जाने वाले अवैध प्रवासी भारतीयों की यह संख्या साल 2014 के बाद सबसे ज्यादा थी।
ट्रंप का मानना है यह आकंड़ा ढाई करोड़ तक
ट्रंप का पहला कार्यकाल शुरू होने पर अवैध प्रवासी भारतीयों को निकालने की प्रक्रिया शुरू हुई और 2020 तक दो हजार तीन सौ बारह अवैध प्रवासी निकाल दिए गए। हालांकि, बाइडेन के कार्यकाल के समय निकाले जाने का यह आंकड़ा तेजी से गिरा। बाइडेन प्रशासन के दौरान यानी 2021 में 292, 2022 में 276 और 2023 में 370 अवैध प्रवासी भारतीय निकाले गए। यही नहीं, अक्टूबर 2024 में बिना दस्तावेज वाले 100 से ज्यादा भारतीयों को चार्टर्ड प्लेन के जरिए अमेरिका से भारत पहुंचाया गया। वहीं, ट्रंप के दूसरी बार आ जाने के बाद अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई एक बार फिर तेज हो गई है। इन्हें पकड़कर जेलों और डिटेंशन सेंटर में रखा जा रहा है। अभी की अगर बात करें तो अमेरिका में बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों की संख्या करीब एक करोड़ 40 लाख है। हालांकि, ट्रंप का मानना है कि यह आंकड़ा ढाई करोड़ तक हो सकता है। इनमें भारतीय भी हैं। अमेरिका का कहना है कि उसने 18 हजार अवैध भारतीयों की पहचान की है, इन्हें वह वापस भेजेगा। भारत सरकार भी इन्हें वापस लेने के लिए तैयार है। भारत ने तो यहां तक कहा है कि दुनिया में जहां कहीं भी भारतीय अवैध तरीके से हैं, उन्हें वापस लेने में उसे कोई दिक्कत नहीं है।
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