महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले BJP क्यों हो रही है डामाडोल? वो 4 मुद्दे जो कर सकते हैं पार्टी का बड़ा नुकसान
Maharashtra BJP: महाराष्ट्र भाजपा (BJP) में दो खेमे बन गए हैं। एक खेमे में राज्य के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव हैं, जिनका साथ नितिन गडकरी, विनोद तावड़े, पंकजा मुंडे दे रहे हैं। तो वहीं देवेंद्र फडणवीस के खेमे में नितेश राणे, प्रवीण दरेकर और रावसाहेब दानवे जैसे नेता शामिल हैं।
महाराष्ट्र भाजपा की हालत क्यों डामाडोल?
Maharashtra BJP: महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर जीत का दावा कर रही है। हालांकि, राजनीतिक एक्सपर्ट भाजपा की राहें कठिन बता रहे हैं। पार्टी में कई आंतरिक विवादों के जगह बनने के साथ कई ऐसे मुद्दे भी हैं, जिनपर भाजपा जनता के कठघरे में फंसती नजर आ रही है।
ये मुद्दे हैं BJP की राह के कांटे
- छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति का सिंधुदुर्ग में गिरना और भाजपा के लिए कई सीटों के नुकसान के बराबर माना जा रहा है। देव, देश और धर्म के मामले में जनता के न बदलने वाले विचार महायुति की मुश्किल बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र के पालघर में इस मुद्दे पर माफी मांगी थी, पर इससे जनता में आक्रोश कम नहीं हुआ है। इस मुद्दे को जिस तरह से विपक्ष भुना रहा है इससे साफ है कि नवंबर में होने वाले चुनाव तक शिवाजी महाराज का मुद्दा शांत नहीं होगा।
- अजीत पवार की महायुति में एंट्री की सबसे ज्यादा नाराजगी भाजपा के भीतर उन नेताओ में है जो चुनाव में पार्टी से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे थे। जिस एनसीपी के खिलाफ भाजपा और देवेंद्र फडणवीस से लेकर प्रधानमंत्री बात करते आए हैं, उन्ही के साथ हाथ में हाथ मिलाने को भाजपाई तैयार नहीं है। अजीत पवार का राज्य में रेवेन्यू मिनिस्ट्री लेना हो या फिर लगातार उनके पार्टी नेताओं के महायुति के खिलाफ बयान हों...इससे भाजपा पर सवाल उठे हैं। आखिरकार भाजपा की वजह से पवार परिवार सत्ता में बरकरार है।
- मराठा आरक्षण का मुद्दा भी शांत होने को तैयार नहीं है। लोकसभा चुनाव में भी मराठा समाज से एक बड़ा धक्का भाजपा को मराठवाड़ा में लगा, जहां सबसे ज्यादा मराठा वोटर्स हैं। मराठा चेहरा महायुति में शामिल होने के बावजूद मराठाओं के साथ पूर्ण न्याय न होने का जिम्मा भी राज्य की बड़ी पार्टी भाजपा पर ही लगा है। मराठा आरक्षण के चलते ओबीसी समाज भी नाराज है, जिसके चलते ही पार्टी हाई कमान ने पंकजा मुंडे को फ्रंट रो में लाने का निर्णय लिया।
- भाजपा में दो खेमे बन गए हैं। एक खेमा देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ है, और इसी का असर है कि भाजपा राज्य में बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ रही है। एक खेमे में राज्य के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव हैं, जिनका साथ नितिन गडकरी, विनोद तावड़े, पंकजा मुंडे दे रहे हैं। तो वहीं फडणवीस के खेमे में नितेश राणे, प्रवीण दरेकर और रावसाहेब दानवे जैसे नेता शामिल हैं। यह खेमा ब्राह्मण फैक्टर पर भी टीका हुआ है, क्योंकि फडणवीस पर ब्राह्मणवाद को महाराष्ट्र में दोबारा तवज्जो देने का आरोप है जिसके चलते भाजपा में मराठा नेताओं को साइड लाइन किया गया है।
ये प्वाइंट बन सकते हैं BJP की मजबूती की वजह
- आरएसएस का सक्रिय होना भाजपा के लिए महाराष्ट्र में बेहद जरूरी माना जा रहा है। संगठन लोकसभा चुनाव के दौरान निष्क्रिय रहा, जिसका खामियाजा भाजपा को भोगना पड़ा। वहीं,अब संगठन सक्रिय होकर भाजपा को विधानसभा में मजबूती प्रदान कर सकता है।
- पंकजा मुंडे को लोकसभा चुनाव में भले ही हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन विधान सभा में मराठा आरक्षण से नाराज़ जनता को दोबारा अपनी ओर खींचने में मुंडे की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
- बैठकों का दौर जारी है। पिछले 2 महीने से भूपेंद्र यादव लगातार मुंबई में बैठके कर रहे हैं। पार्टी के भीतर की दरार को भरने पर गौर दे रहे है। इसी के साथ भाजपा ने अब तक अपने चुनावी पत्ते नहीं खोले है। एक तरफ जहा एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी लगातार जनसभाएं कर रहे हैं, वही भाजपा पहले अपने मतभेद दूर करेगी और फिर चुनावी मैदान में अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाएगी।
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Shivani Mishra author
Covering stories of public interest in crime and politics now. Entertainment enthusiast over five years. Reporting across Maharashtra.और देखें
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