भले ही ब्रिटेन का गुलाम था भारत, लेकिन महिला सशक्तिकरण में पीछे रह गया गोरों का देश; जानें कैसे
India and Britain: अंग्रेजों ने भारत को 200 सालों तक अपना गुलाम बनाए रखा, लेकिन कई मामले में वो आज भी भारत से पीछे है। दुनिया पर राज करने वाला देश ब्रिटेन महिला सशक्तिकरण के मामले में भारत से पिछड़ गया। आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, आपको इस खास रिपोर्ट में समझाते हैं।

महिला सशक्तिकरण के मामले में कौन आगे, भारत या ब्रिटेन?
Women Empowerment: 200 साल की गुलामी के बाद भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी। इन दौरान ब्रिटेन ने भारत को खूब लूटा और अरबों की संपत्ति साथ लेकर चले गए। भले ही गोरों ने सालों तक भारत पर राज किया, लेकिन कई मामलों में वो पीछे रह गया। इनमें से एक मुद्दा महिला सशक्तिकरण का भी है। आपको इस लेख में हम समझाते हैं कि आखिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि महिलाओं सशक्तिकरण के मामले में ब्रिटेन क्यों भारत से पिछड़ गया।
महिला नेतृत्व की तुलना में दोनों देश
क्या आपने कभी ये अंदाजा लगाया है कि 200 सालों तक जब भारत अंग्रेजों का गुलाम रहा तो उन्होंने कितनी संपत्ति को लूट लिया। दुनिया पर राज करने वाले देश ब्रिटेन की तुलना भारत से अगर महिला नेतृत्व के मामले में की जाए, तो गोरों का देश काफी पीछे रह गया। भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं, जिन्होंने 24 जनवरी 1966 को पदभार संभाला था। वहीं अगर अंग्रेजों के देश का जिक्र किया जाए, तो साल 1979 में ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री मार्गेट बैरोनेस थैचर ने कुर्सी संभाली थी।
मार्गेट बैरोनेस थैचर ने लंबे अर्से तक ब्रिटेन की बागडोर संभाली। वो अपने वक्त की अकेली महिला थीं, जिन्होंने सियासत में कदम रखकर इतनी ऊंचाई हासिल की और अपने देश की सत्ता पर काबिज हुईं। उन्होंने 11 सालों तक पीएम की कुर्सी संभाली। वहीं यदि भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बात की जाए तो उन्होंने करीब 15 सालों तक कुर्सी संभाली। पहला कार्यकाल 24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1977 तक था, जबकि उनका दूसरा कार्यकाल 14 जनवरी 1980 से 31 अक्टूबर 1984 तक था। इंदिरा ने इसके अलावा वित्त और रक्षा मंत्रालय भी संभाला था। उनके बाद भारत सरकार में कई महिला मंत्रियों में अपनी जिम्मेदारी निभाई। सूची में ममता बनर्जी, निर्मला सीतारमण समेत कई अन्य नाम दर्ज है।
ब्रिटेन में इस बार रिकॉर्ड 11 महिलाएं बनीं मंत्री
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर के मंत्रिमंडल में भारतीय मूल की लीसा नंदी समेत रिकॉर्ड 11 महिलाएं शामिल हैं। उत्तर-पश्चिम इंग्लैंड के विगन संसदीय क्षेत्र से भारी अंतर के साथ पुनर्निर्वाचित होने वालीं लीसा नंदी (44) शनिवार को ब्रिटेन की संस्कृति, मीडिया एवं खेल मंत्री के रूप में अपना पदभार ग्रहण करेंगी।
दोनों महिला मंत्रियों ने रच दिया इतिहास
आम चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज करने वाले स्टॉर्मर के मंत्रिमंडल में शामिल 11 महिलाओं में रेचेल रीव्स (वित्तमंत्री), एंजेला रेनर (उप प्रधानमंत्री) भी शामिल हैं। दोनों ने इतिहास रचा है क्योंकि रीव्स के तौर पर ब्रिटेन को पहली महिला वित्तमंत्री मिली हैं, वहीं रेनर उप प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होने वाली दूसरी महिला हैं।
चुनावों में लेबर पार्टी की शानदारी जीत के बाद स्टॉर्मर ने शुक्रवार को तुरंत अपनी शीर्ष टीम की घोषणा करते हुए नयी सरकार के कामकाज की शुरुआत कर दी थी। नंदी ने सोशल मीडिया पर कहा कि ब्रिटेन के संस्कृति, मीडिया और खेल विभाग (डीसीएमएस) का प्रमुख बनना एक ‘अकल्पनीय विशेषाधिकार’ है।
भारतीय मूल की लीसा नंदी बनी मंत्री
नंदी लीसा (44) जनवरी 2020 में लेबर पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनावों में अंतिम तीन दावेदारों में से एक थीं, जहां उनका सामना स्टॉर्मर और एक अन्य उम्मीदवार से था। लीसा तब से स्टॉर्मर के शैडो कैबिनेट (छाया मंत्रिमंडल) में काम कर रही थी। ब्रिटेन में सरकार की खामिया उजागर करने के लिए विपक्ष भी नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में अपना छाया मंत्रिमंडल गठित करता है। लीसा, ऋषि सुनक के नेतृत्व वाले कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार में संस्कृति मंत्रालय का कार्यभार संभाल रही लूसी फ्रेजर की जगह लेंगी।
ब्रिटेन के संसदीय चुनावों में कंजर्वेटिव पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। कलकत्ता में जन्मे अकादमिक दीपक नंदी और अंग्रेज महिला लुइस बायर्स की बेटी लीसा नंदी का जन्म मैनचेस्टर में हुआ। लीसा नंदी ने अतीत में लेबर पार्टी के सम्मेलनों के दौरान अपनी भारतीय विरासत के बारे में बात की है। उनके पिता ब्रिटेन में नस्ल संबंध (रेस रिलेशन) के क्षेत्र में अपने काम के लिए जाने जाते थे।
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