क्षेत्रीय दलों के लिए कांग्रेस जरूरी या मजबूरी? दिल्ली चुनाव के नतीजों ने समझाया सबकुछ

Congress Importance for Regional Parties: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद हर कोई ये कांग्रेस सोच रहा है कि कांग्रेस का क्या होगा, लेकिन सबसे अहम सवाल ये है कि क्या क्षेत्रीय दलों और छोटी पार्टियों का कांग्रेस के बिना क्या होगा? केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे नेताओं को चुनावी नतीजों से ये समझ आ गया होगा कि कांग्रेस उनके लिए जरूरी है या मजबूरी है।

Congress Importance for Regional Parties

विपक्षी दलों के लिए कांग्रेस जरूरी है या मजबूरी?

Delhi Ka Next CM Kaun: भले ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ज़ीरो की हैट्रिक लगाई हो, लेकिन इस हार में कई बड़ी बातें छिपी हैं। ऐसे विपक्षी दल जो कांग्रेस को पानी कम समझते हैं, उनके लिए ये किसी सबक से कम नहीं है। क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने उस कहावत याद रखा कि 'हम तो डूबे हैं सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे...' जाहिर है केजरीवाल से कांग्रेस ने न सिर्फ बदला लिया, बल्कि ये बता भी दिया कि आपस में लड़ोगे तो, दोनों ही मरेंगे। भले ही जनता इस चुनाव में कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाने को बड़ी हार समझ रही हो, असल मायने तो कुछ और ही हैं।

दिल्ली में कांग्रेस ने बताया वो जरूरी है या मजबूरी?

चुनावी नतीजों में एक बात तो अरविंद केजरीवाल को समझ आ गई होगी कि कांग्रेस से गठबंधन ना करके उन्होंने सबसे बड़ी गलती कर दी। दिल्ली चुनाव के नतीजों ने देशभर की क्षेत्रीय पार्टियों को ये सबक दे दिया है कि कांग्रेस उनके लिए क्यों जरूरी है। अगर ऐसा कहा जाए कि कांग्रेस इस वक्त देशभर की भाजपा विरोधी क्षेत्रीय दलों के लिए जरूरी और मजबूरी दोनों है, तो गलत नहीं होगा।

कांग्रेस क्यों है इस वक्त जरूरी और मजबूरी दोनों?

ये सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर कांग्रेस क्यों जरूरी भी है और मजबूरी भी है? हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखा जाए तो आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने से साफ मना कर दिया था। लोकसभा चुनाव के बाद ये पहला मौका था जब विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूजिव अलायंस (INDIA) को झटका लगा और गठबंधन में दरार पड़ा। कांग्रेस और आप ने एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक कर चुनाव लड़ा। नतीजा सबने देखा। कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण आम आदमी पार्टी बनी। दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बातें हवा हो गईं और फिर नतीजा सबके सामने है। पिछले चुनाव में 63 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी 22 सीटों पर आ गई। भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल करते हुए 48 सीटों पर जीत का डंका बजाया। इन नतीजों ने समझाया कि कांग्रेस कैसे क्षेत्रीय दलों के लिए गले की फांस बन सकती है।

आंकड़ों से समझिए कांग्रेस ने क्यों कैसे परेशान?

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार आम आदमी पार्टी को 43 फीसदी से अधिक वोट मिले, जबकि भाजपा को करीब 46 फीसदी वोट मिले। सबसे अहम रोल कांग्रेस का रहा। कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव के नतीजों में 6 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए। अब समझना आसान हो सकता है कि कांग्रेस का रोल चुनावों में कितना अहम है। रही बात क्षेत्रीय दलों की तो खास तौर पर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, लालू यादव की राजद को इस चुनाव के नतीजों से सीख लेने की आवश्यकता है। हालांकि बिहार में कांग्रेस और राजद के बीच ज्यादा अनबन नहीं है। मगर उत्तर प्रदेश में 2027 से पहले विपक्षी दलों की एकता को मजबूत करना होगा, समय रहते अगर अखिलेश को कांग्रेस की अहमियत समझ नहीं आती है, तो शायद दिल्ली चुनाव के नतीजे यूपी में भी देखे जा सकते हैं।

कांग्रेस बोली- दिल्ली ने छल की राजनीति को किया अस्वीकार

कांग्रेस ने शनिवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम को पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) पर जनमत संग्रह करार दिया और कहा कि लोगों ने ‘‘छल और धोखे’’ की राजनीति को अस्वीकार किया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन उसका वोट प्रतिशत बढ़ा है तथा उसने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पांच साल बाद कांग्रेस दिल्ली की सत्ता में लौटेगी। रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजे अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर जनमत संग्रह से ज्यादा कुछ नहीं दर्शाते हैं। आख़िरकार, 2015 और 2020 में प्रधानमंत्री की लोकप्रियता के चरम पर होने के बावजूद आप ने दिल्ली में निर्णायक जीत हासिल की थी। इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री की नीतियों की पुष्टि होने के बजाय यह वोट अरविंद केजरीवाल की छल, धोखे की राजनीति और उपलब्धि के बढ़ा-चढ़ाकर किए दावों की अस्वीकृति है।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हुए विभिन्न ‘घोटालों’ को उजागर करने का बीड़ा उठाया और मतदाताओं ने उनके 12 वर्षों के कुशासन पर अपना फैसला सुनाया है। रमेश ने कहा, ‘‘कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, हालांकि वोट शेयर बढ़ा है। कांग्रेस का प्रचार अभियान जोरदार था। विधानसभा में भले ही न हो लेकिन दिल्ली में इसकी उपस्थिति जरूर है।’’ रमेश ने कहा कि यह ऐसी उपस्थिति है जिसे लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के निरंतर प्रयासों से चुनावी रूप से विस्तारित किया जाएगा तथा 203O में दिल्ली में एक बार फिर कांग्रेस सरकार बनेगी।

प्रियंका गांधी बोलीं- दिल्ली के लोग तंग आ गए थे

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के जीत ओर अग्रसर होने के बाद शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के लोगों ने परिवर्तन के लिए मतदान किया क्योंकि वे जिस तरह से चीजें चल रही हैं उससे तंग आ गए थे। वायनाड से लोकसभा सदस्य प्रियंका गांधी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली चुनाव से पहले पार्टी की बैठकों के दौरान यह स्पष्ट था कि लोग बदलाव चाहते हैं। उनका कहना था, ‘‘चीजें जिस तरह से थीं उससे लोग तंग आ गए थे और वे बदलाव चाहते थे। मुझे लगता है कि उन्होंने बदलाव के लिए मतदान किया। जो लोग जीते हैं उन्हें मेरी बधाई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हममें से बाकी लोगों के लिए इसका मतलब सिर्फ इतना है कि हमें कड़ी मेहनत करनी होगी, वहां रहना होगा, जमीन पर रहना होगा और लोगों के मुद्दों के प्रति उत्तरदायी होना होगा।’’ प्रियंका केरल के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।

और लड़ो आपस में: उमर का कांग्रेस, आप पर कटाक्ष

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के निर्णायक जीत की ओर बढ़ने के बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर कटाक्ष किया। अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ पर एक मीम पोस्ट करते हुए लिखा, ‘‘और लड़ो आपस में!’’ वह दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जारी मतगणना से उभर रहे रुझानों का जिक्र कर रहे थे, जिसमें भाजपा, आप से आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस लगातार तीसरी बार खाता खोलने में असमर्थ दिख रही है। आप और कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया, जो पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों में विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा थे।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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